प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में नौकरी छोड़ने की दर में भारी बढ़ोतरी, RBI ने दी चेतावनी
Sandesh Wahak Digital Desk : बैंकिंग क्षेत्र को सामान्यत: सुकून की नौकरी माना जाता है, लेकिन प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में यह स्थिति कुछ अलग है। यहां काम का दबाव इतना बढ़ चुका है कि कर्मचारियों की नौकरी छोड़ने की दर (Attrition Rate) में 25% तक का बड़ा उछाल देखा गया है। इस कारण प्राइवेट सेक्टर बैंकों के संचालन में भी असर पड़ रहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, यह स्थिति खासतौर पर चुनिंदा प्राइवेट बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों (एसएफबी) में देखी जा रही है। इन बैंकों में कर्मचारियों की नौकरी छोड़ने की दर तेजी से बढ़ी है, जो संस्थागत कामकाजी माहौल के लिए चिंताजनक है।
रिजर्व बैंक ने बैंकों को दिया दिशा-निर्देश
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 तक निजी बैंकों के कर्मचारियों की संख्या सरकारी बैंकों (पीएसबी) से अधिक हो जाएगी, लेकिन पिछले तीन वर्षों में उनकी नौकरी छोड़ने की दर में भारी वृद्धि हुई है, जो औसतन 25 प्रतिशत तक पहुंच गई है। रिजर्व बैंक ने इसे महत्वपूर्ण परिचालन जोखिम के रूप में चिन्हित किया है, जिसमें ग्राहक सेवाओं में व्यवधान, संस्थागत ज्ञान की हानि और भर्ती लागत में वृद्धि शामिल हैं।
रिजर्व बैंक ने इस पर ध्यान देते हुए बैंकों को यह सलाह दी है कि कर्मचारी स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सिर्फ मानव संसाधन विभाग ही नहीं, बल्कि यह एक रणनीतिक आवश्यकता बन चुकी है। इसके लिए बैंकों को दीर्घकालिक कर्मचारी जुड़ाव बनाने के उपायों को लागू करने की आवश्यकता है। इसमें बेहतर प्रशिक्षण, करियर ग्रोथ के अवसर, आकर्षक लाभ, और सहायक कार्यस्थल संस्कृति जैसी रणनीतियां शामिल हैं।
यह बदलाव प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरा है, जिसे सुलझाने के लिए बैंकों को अब तेज़ी से कदम उठाने की आवश्यकता होगी।