अभी भी दो सैकड़ा से ज्यादा आईपीएस अफसरों के पद खाली, 21 नवंबर को जारी रिपोर्ट से फिर हुई तस्दीक

Sandesh Wahak Digital Desk : केंद्रीय गृह मंत्रालय को आईपीएस अफसरों के वास्ते प्रतिनियुक्ति के लिए तय कोटा भरने में पसीने छूट रहे हैं। संदेश वाहक ने 30 सितंबर को देश के आईपीएस अफसरों को नहीं रास आ रही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति शीर्षक से खबर प्रकाशित करके इसका खुलासा भी किया था। इसके बावजूद हालात नहीं सुधरे।

तकरीबन एक हफ्ते पहले जारी एक रिपोर्ट में दिए आंकड़ों से साफ है कि अभी भी दो सैकड़ा से ज्यादा आईपीएस अफसरों के पद भरना केंद्र के लिए सरदर्द साबित हो रहा है। खासतौर पर एसपी से लेकर आईजी रैंक तक के आईपीएस अफसरों के लिए। पैनल सिस्टम खत्म करने से भी कोई फर्क नहीं पड़ा।

21 नवंबर को जारी रिपोर्ट से हुई तस्दीक

दरअसल सबसे ज्यादा मशक्कत केंद्रीय जांच एजेंसियों और अर्धसैनिक बलों के लिए आरक्षित आईपीएस अफसरों की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के पदों में है। हाल ही में 21 नवंबर को जारी रिपोर्ट की माने तो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए फिलहाल 215 आईपीएस अफसरों के पद लम्बे समय से खाली हैं। आईपीएस की प्रतिनियुक्ति के 679 पद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्धारित किए हैं। 10 अक्टूबर की स्टे्टस रिपोर्ट के मुताबिक डीजी के 15, एसडीजी के 12, एडीजी के 26, आईजी के 146, डीआईजी के 255 और एसपी के 225 पद स्वीकृत दिखाए गए थे।

मौजूदा समय में केंद्र की आईपीएस प्रतिनियुक्ति के लिए डीजी के तीन, एसडीजी का एक, एडीजी के 5, आईजी के 28, डीआईजी के 87 और एसपी के 91 पद खाली पड़े हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की 21 नवंबर की रिपोर्ट के मुताबिक आईजी के 146 पदों में से 28 पद खाली पड़े हैं।

केंद्र ने अखिल भारतीय सेवा नियमों में संशोधन भी किया

वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि जो भी आईपीएस एसपी या डीआईजी, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नहीं आएंगे। उन्हें बाकी सेवा के दौरान केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से प्रतिबंधित किया जा सकता है। इससे पहले केंद्र ने अखिल भारतीय सेवा नियमों में संशोधन भी किया था। उसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार, आईएएस व आईपीएस अधिकारी को राज्य की अनुमति या बिना अनुमति के भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला सकती है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक कमेटी ने सुझाव दिया था कि डीआईजी और एसपी रैंक के अफसरों के लिए पैनल प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जाए। इसके पूरा होने में काफी समय लगता है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति के पास यह प्रस्ताव कई बार भेजा गया था। गत वर्ष 10 फरवरी को इसे कमेटी की मंजूरी मिल गई थी। पैनल सिस्टम खत्म होने से भी केंद्रीय गृहमंत्रालय की मुश्किलें कम नहीं हुईं। इससे साफ है कि आईपीएस अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आने से परहेज है।

इन एजेंसियों व अर्धसैनिक बलों के लिए सबसे ज्यादा दिक्कत

जिन केंद्रीय जांच एजेंसियों और अर्धसैनिक बलों के लिए आईपीएस अफसरों के प्रतिनियुक्ति कोटे को भरने में दिक्कत आ रही है। उनमें बीपीआरएंडडी, बीएसएफ, सीबीआई, आईबी, आईटीबीपी, एनआईए, सीआईएसएफ, एनसीआरबी, एनएसजी, एसएसबी, सीआरपीएफ प्रमुख तौर पर शामिल हैं।

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