सफेदपोश नेता ही नहीं, अफसरों तक भी नहीं पहुंची जांच की आंच

नोएडा अथॉरिटी के लुटेरे यादव सिंह के घोटालों की सीबीआई-ईडी जांच के शिकंजे में एक भी बड़ी मछली नहीं फंसी

Sandesh Wahak Digital Desk: नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह के घोटालों की जांचों में सीबीआई और ईडी सुस्त है। तभी नोएडा अथॉरिटी के भ्रष्टाचार की जांच में अभी तक दोनों एजेंसियों ने न ही सफेदपोश नेताओं को रडार पर लिया है और न ही अफसरों को। जिन अफसरों ने नोएडा में बसपा और सपा की सरकारों के दौरान बेहिसाब घोटालों की कलंक कथा लिखी, उनमें से कई जहां रिटायर हो गए, वहीं कुछ तो भाजपा नेता तक बन बैठे हैं।

सपा सरकार के दौरान आयकर विभाग ने नोएडा अथॉरिटी के चार अफसरों के ठिकानों पर छापे मारे थे। जिसमें खुलासा हुआ कि इन अफसरों के पास बेहिसाब सम्पत्तियां हैं। तत्कालीन जीएम फाइनेंस ललित विक्रम के तार फ़ार्म हॉउस घोटाले से भी जुड़े थे। वहीं यादव सिंह के बेहद करीबी तत्कालीन जीएम प्रॉपर्टी रवींद्र तोंगड़ के पास करीब सौ करोड़ की सम्पत्तियों के साथ ही उनकी पत्नी कई बेनामी कंपनियों में निदेशक थीं। सीबीआई और ईडी ने इस अफसर पर शिकंजा नहीं कसा। बाद में तोंगड़ ने वीआरएस लेकर भाजपा नेता का चोला पहन लिया।

IAS भी यादव के करीबियों में शुमार

2018 में अथॉरिटी के इस पूर्व अफसर पर फिर आयकर छापा पड़ा और अकूत काले साम्राज्य का पर्दाफाश हुआ। अथॉरिटी के सीईओ रहे रमारमण, मोहिंदर सिंह, राकेश बहादुर, संजीव सरन जैसे पूर्व आईएएस भी यादव के करीबियों में शुमार थे। अथॉरिटी में हजारों करोड़ के घोटालों का आरोप इन पूर्व अफसरों के ऊपर होने के बावजूद ईडी और सीबीआई की नजरें नहीं टेढ़ी हुई।

संजीव की सम्पत्तियों की जानकारी पूर्व आईएफएस एके जैन ने सीएम योगी को पत्र भेजकर दी थी। विदेशों में होटल तक थे। रमारमण बसपा-सपा सरकारों के दौरान नोएडा में लंबे समय तक तैनात थे। मनी लांड्रिंग की जांच में एक भी पूर्व अफसर की संपत्तियों की जांच करना ईडी ने मुनासिब नहीं समझा। यादव सिंह के आईएएस दामाद पर सीबीआई छापेमारी जरूर हुई, आगे कार्रवाई नहीं हुई।

किरीट सोमैया और यादव सिंह

अथॉरिटी का पूर्व बढ़ई बना बिल्डर, अरबों की जमीनें, कंपनियां

भाजपा नेता किरीट सोमैया ने यादव सिंह के मामले में एमएमआर ग्रुप के मुखिया महिपाल राघव पर भी काली कमाई को सफेद करने के आरोप लगाये थे। महिपाल बिल्डर बनने से पहले नोएडा अथॉरिटी में बढ़ई के तौर पर नियुक्त थे। बसपा राज के दौरान एनसीआर में अरबों की जमीनों के आवंटन इनकी कम्पनी को हुए। महिपाल और उसका बेटा दो दर्जन से ज्यादा कंपनियों के मुखिया हैं।

Electoral Bond Case

अब सौ करोड़ के घोटाले में फंसे दो करीबी अफसर 

हाल ही में सौ करोड़ के नोएडा मुआवजा घोटाले में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। फाइल पर तत्कालीन सीईओ रमा रमण और एसीईओ राजेश प्रकाश के हस्ताक्षर हैं। रमा रमण रिटायर हो चुके हैं। आईएएस राजेश प्रकाश एनसीआर बोर्ड में एडिशनल कमिश्नर हैं। दोनों यादव सिंह के करीबियों में शुमार हैं।

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