नए युग के अपराधों से निपटने के लिए तकनीकी-वैधानिक दृष्टिकोण की जरूरत: अश्विनी वैष्णव

Sandesh Wahak Digital Desk: केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सीबीआई के 62वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित 21वें डी.पी. कोहली मेमोरियल लैक्चर में ‘विकसित भारत @ 2047 – सीबीआई के लिए एक रोडमैप’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर मंत्री ने भारत के भविष्य में सीबीआई की भूमिका को लेकर रणनीतिक दृष्टिकोण साझा किया और नई तकनीकों जैसे एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और डीपफेक के मद्देनज़र अपराधों से निपटने के लिए तकनीकी-विधिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

मंत्री ने कहा, “भारत के शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के पास आज अत्यधिक तकनीकी क्षमता है, जिसे अन्वेषण एजेंसियों और विधिक अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने में लगाना चाहिए। यह सहयोग नए युग के अपराधों के समाधान में सहायक होगा।”

सीबीआई से उच्चतम तकनीकी सहयोग की आवश्यकता

केंद्रीय मंत्री ने सीबीआई से शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से अत्याधुनिक साइबर फोरेंसिक लैब स्थापित करने की बात की। इसके अलावा, उन्होंने एमईआईटीवाई (MEITY), दूरसंचार विभाग (DOT) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) जैसे सरकारी विभागों से तकनीकी समाधान विकसित करने में सीबीआई के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया।

भविष्य के अपराधों से निपटने के लिए विधिक संरचना का आधुनिकीकरण 

अश्विनी वैष्णव ने अपराधों के तेजी से बदलते स्वरूप के संदर्भ में कहा कि, “न केवल कानून, बल्कि विधिक ढांचा और तकनीकी नवाचार का संयोजन ही भविष्य में प्रभावी आपराधिक न्याय की कुंजी है।” इस संदर्भ में, उन्होंने डीपफेक और साइबर-सक्षम अपराधों का उल्लेख किया और बताया कि इनसे निपटने के लिए सीबीआई को तकनीकी सहयोग और सामर्थ्य से लैस किया जाना चाहिए।

भारत के विकास की चार प्रमुख स्तंभों की रूपरेखा 

मंत्री ने पिछले दशक में भारत की आर्थिक यात्रा पर चर्चा करते हुए विकास के चार प्रमुख स्तंभों की रूपरेखा प्रस्तुत की।

  1. भौतिक, सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक निवेश: इसमें राष्ट्रीय राजमार्गों, नए हवाई अड्डों का निर्माण और रेलवे का विद्युतीकरण शामिल है।
  2. समावेशी विकास: 54 करोड़ बैंक खाते खोले गए, 12 करोड़ पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए और 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं।
  3. विनिर्माण और नवाचार पर जोर: मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से देश को विनिर्माण केंद्र में बदलना।
  4. कानूनी और अनुपालन संरचनाओं का सरलीकरण: 1,500 से अधिक पुराने औपनिवेशिक कानूनों को समाप्त कर नए कानूनी ढांचे की स्थापना।

सीबीआई का महत्व और भविष्य 

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की स्थापना 1 अप्रैल 1963 को की गई थी, जिसका उद्देश्य देश में भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और गंभीर अपराधों की जांच करना था। पिछले छह दशकों में सीबीआई ने अपने कार्यों से न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है।

यह कार्यक्रम सीबीआई के उत्कृष्टता, निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा के आदर्शों को प्रदर्शित करता है, और इसमें विधि प्रवर्तन, आपराधिक न्याय प्रणाली और अन्वेषण क्षेत्र की चुनौतियों तथा समाधान पर संवाद को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया।

इस विशेष अवसर पर कई लोग रहे उपस्थित

सीबीआई के निदेशक प्रवीण सूद ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम में भारत के महाधिवक्ता, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, आईबी निदेशक, ईडी निदेशक, एनआईए निदेशक और अन्य अर्धसैनिक बलों के प्रमुखों ने भी भाग लिया।

यह कार्यक्रम सीबीआई की जाँच प्रक्रिया में निरंतरता और उत्कृष्टता की ओर उनके समर्पण को दर्शाता है, जो देश में न्याय व्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने सीबीआई के 26 अधिकारियों को उनके उत्कृष्ट सेवा के लिए पुलिस पदक और राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया।

(i) निम्नलिखित अधिकारियों/कर्मचारियों विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएम) को प्रदान किए गए:

  1. के. प्रदीप कुमार, पुलिस अधीक्षक, सीबीआई, एसीबी, जम्मू।
  2. नरेश कुमार शर्मा, अपर पुलिस अधीक्षक, सीबीआई, विशेष इकाई, नई दिल्ली।
  3. मुकेश कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक, सीबीआई, एसी-II, नई दिल्ली।
  4. रामजी लाल जाट, प्रधान आरक्षक, सीबीआई, एसीबी, जयपुर (अब सेवानिवृत्त)
  5. राज कुमार, प्रधान आरक्षक, सीबीआई, मुख्यालय, नई दिल्ली।

(ii) निम्नलिखित अधिकारियों/कर्मचारियों को सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक (पीएम) प्रदान किए गए:

  1. राघवेंद्र वत्स, भा.पु.से. (गुजरात:05), तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक-शाखा प्रमुख, सीबीआई, एसीबी, नई दिल्ली (वर्तमान में केडर में पुलिस महानिरीक्षक, गुजरात पुलिस)।
  2. शारदा पांडुरंग राउत, भा.पु.से. (महाराष्ट्र:05) तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक-शाखा प्रमुख, सीबीआई, ईओबी, मुंबई (वर्तमान में केडर में संयुक्त आयुक्त, एसआईडी, महाराष्ट्र, मुंबई)।
  3. प्रेम कुमार गौतम, भा.पु.से. (उत्तर प्रदेश:05), तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक-शाखा प्रमुख, सीबीआई, एसयू, नई दिल्ली (वर्तमान में केडर में पुलिस महानिरीक्षक, प्रयागराज रेंज, उत्तर प्रदेश)।
  4. मनोज चलदन, उप विधि सलाहकार, सीबीआई, एसीबी, मुंबई।
  5. श्रीनिवास पिल्लरी, प्रधान सिस्टम एनालिस्ट, सीबीआई, एसीबी, कोलकाता (अब सिस्टम प्रभाग, दिल्ली शाखा में तैनात)।
  6. अजय कुमार, पुलिस उपाधीक्षक (अब अपर पुलिस अधीक्षक) सीबीआई, नीति प्रभाग, नई दिल्ली।
  7. के. मधुसूदनन, पुलिस उपाधीक्षक, सीबीआई, एसीबी, विशाखापत्तनम।
  8. बलविंदर सिंह, निरीक्षक, सीबीआई, एससीबी, चंडीगढ़।
  9. चिट्टीबाबू एन., निरीक्षक, सीबीआई, एसीबी, हैदराबाद।
  10. मनोज कुमार, निरीक्षक, सीबीआई, मुख्यालय, नई दिल्ली (वर्तमान में अपने मूल बल सीआईएसएफ में सीजीबीएस यूनिट महिपालपुर, नई दिल्ली में तैनात हैं)।
  11. राहुल कुमार, निरीक्षक, सीबीआई, ईओबी, कोलकाता (वर्तमान में अपने बल सीआईएसएफ में यूनिट एसएमपी, कोलकाता में तैनात हैं)।
  12. राजीव शर्मा, निरीक्षक, सीबीआई, मुख्यालय, नई दिल्ली।
  13. एस. नंद कुमार, सहायक उप निरीक्षक, सीबीआई, एसयू, चेन्नई।
  14. सुरेश प्रसाद शुक्ला, प्रधान आरक्षक, सीबीआई, एसीबी, जबलपुर (अब सीबीआई, बीएसएफबी, मुंबई में तैनात हैं)।
  15. राजेश कुमार, प्रधान आरक्षक, सीबीआई, मुख्यालय, नई दिल्ली।
  16. ओम प्रकाश दलौत्रा, प्रधान आरक्षक, सीबीआई, एसीबी, जम्मू।
  17. रणधीर सिंह, प्रधान आरक्षक, सीबीआई, एसीबी, जयपुर।
  18. पवन कुमार, आरक्षक, सीबीआई, एससी-I, नई दिल्ली।
  19. तेजपाल सिंह, आरक्षक, सीबीआई, नीति प्रभाग, नई दिल्ली।
  20. अतुल सरीन, अपराध सहायक, सीबीआई, नीति प्रभाग, नई दिल्ली।
  21. सुब्रत मोहंती, आशुलिपिक ग्रेड-II, सीबीआई, एसीबी, भुवनेश्वर।

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