राज्य कर विभाग : अरबों की टैक्स चोरी में फंसे अफसरों पर मेहरबानी

एक दिन पहले 2700 करोड़ के सात फर्जीवाड़ों पर पत्र लिखने वाले आईएएस ओपी वर्मा का तबादला

Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी के राज्य कर विभाग में उन अफसरों की भरमार है। जो टैक्स चोर माफियाओं के साथ साठगांठ करके कुबेरपति तक बन चुके हैं। इस विभाग का मुखिया भले बदल जाए, लेकिन इन अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने से सरकारें भी परहेज करती हैं।

हाल ही में राज्य कर विभाग में तकरीबन 2700 करोड़ की टैक्स चोरी से जुड़े सात मामलों को अपर आयुक्त रहे ओपी वर्मा ने बेनकाब किया। उन्होंने बाकायदा माफियाओं के इशारों पर काम कर रहे दागी अफसरों के गैंग का खुलासा करते हुए शासन को विस्तृत पत्र भेज दिया। हालांकि इस आईएएस के ऊपर भी 70 लाख की रिश्वत लेकर एक विभागीय अफसर की जांच खत्म होने के संगीन आरोप विधायकों ने शिकायत के जरिये लगाए।

भ्रष्ट अफसरों पर 2700 करोड़ की टैक्स चोरी के गंभीर आरोप

वर्मा ने अपने मामले समेत सभी सातों प्रकरणों की जांच एसआईटी या निष्पक्ष एजेंसी से कराये जाने की संस्तुति शासन से की थी। ख़ास बात ये है कि एक दिन पहले ही यूपी सरकार ने राज्य कर विभाग के अपर आयुक्त ओपी वर्मा को यहां से हटाते हुए प्रतीक्षारत कर दिया। लेकिन जिन भ्रष्ट अफसरों के ऊपर 2700 करोड़ की टैक्स चोरी में लिप्त होने के गंभीर आरोप हैं।

उनमें से एक के खिलाफ भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। यही नहीं दो अगस्त को शासन ने शीर्ष स्तर से मिले निर्देशों के बाद मौजूदा आयुक्त मिनिस्ती एस के स्टाफ अफसर राजेश प्रताप सिंह चंदेल और वाणिज्य कर अधिकारी कपिल देव तिवारी को प्रतीक्षारत कर दिया था।

माना जा रहा था कि तबादलों की एवज में खुलेआम वसूली किये जाने की गोपनीय शिकायतें मुख्यमंत्री सचिवालय को प्राप्त होने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया था। लेकिन इसके बाद पूरा मामला ठन्डे बस्ते में चला गया। जबकि अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच होती तो कई बड़े चेहरे बेनकाब होते।

आय से अधिक संपत्ति के आरोपियों की भी नहीं हुई जांच

2012 में तत्कालीन आयुक्त हिमांशु कुमार के कार्यकाल में भी राज्य कर विभाग के तकरीबन तीन दर्जन अफसरों के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में जांच की संस्तुति हुई थी। इन अफसरों के दबाव में अखिलेश सरकार के दौरान आयुक्त हिमांशु कुमार का ही तबादला करा दिया गया। बाद में शासन ने आरोपी अफसरों के खिलाफ जांच कराने का औचित्य नहीं पाया।

क्या बड़े अफसरों के बीच तकरार से शुरू हुई रार?

राज्य कर विभाग के जिस वरिष्ठ अफसर संजय पाठक के खिलाफ कार्रवाई करने में आयुक्त मिनिस्ती एस तेजी दिखा रही हैं। वे कभी राज्य कर विभाग के अपर मुख्य सचिव रहे आलोक सिन्हा, संजीव मित्तल और तत्कालीन आयुक्त अमृता सोनी के करीबी अफसरों में शुमार थे। सूत्रों की माने तो मित्तल और मिनिस्ती के बीच बढ़ी तकरार के बाद विभाग के कई अफसर राडार पर आये। जिन अफसरों ने अरबों के मेंथा आयल फर्जीवाड़े के बड़े रैकेट का खुलासा किया। उनको भी चार्जशीट थमाई गयी। लेकिन टैक्स चोर ग्रुप से एक अऱब से ऊपर की वसूली नहीं की गई।

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