साहब! आप कौन-सी वैरायटी के ‘ईमानदार’ हो

Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Shankar Awasthi: आज के समय में ईमानदारी की बाजार में इतनी वैरायटी हैं कि हरि अनन्त की तरह, ईमानदारी कथा भी अनन्ता। इतने तरह के ईमानदार होते हैं कि ईमानदारी की एक पूरी मंडी सज सकती है। ईमानदारी की बात तो यह भी है कि ईमानदार होने में और ईमानदार दिखने में बहुत अंतर होता है। ईमानदार होने से ज्यादा महत्व ईमानदार दिखने का है। इसीलिए लोग  मौका-बेमौका ईमानदारी की माला जपते रहते हैं। उनके चेले-चपाटे भी बुलंद आवाज में अपने साहब की ईमानदारी चालीसा गाते रहते हैं।

फिलहाल सवाल शहर को चमकाने वाले विभाग के एक बड़े अफसर से है। तो सुनिए एक ईमानदार वह है जो बेईमानी नहीं करता। पर वह भी ईमानदार है जो स्वयं बेईमानी नहीं करता पर अपने चेलों को ऐसा करने की खुली छूट जरूर देता है। एक ईमानदार वह जिसे अखबार में छपी भ्रष्टाचार की खबर दिखाई नहीं देती। एक ईमानदार वह भी जिसे अपने भ्रष्ट अफसर-कर्मचारियों का सिंडिकेट भी दिखाई न दे। ईमानदार वो भी है जो त्योहार पर लोगों से गिफ्ट-मिठाई आदि न लेकर उच्च कोटि की ईमानदारी का प्रदर्शन करे। यही नहीं ईमानदार की एक नायाब किस्म भी होती है जो बिरले ही मिलती है। जिनका अपना एक स्तर होता है, मोटा नजराना देख ईमानदारी का चोला उतार देते हैं। ऐसे लोग साल में 2-4 बड़े कांड कर के पूरे साल ईमानदार रहते हैं। ईमानदारों का एक वर्ग ऐसा भी होता है, जो भय के चलते भ्रष्टाचार को गले नहीं लगाता। क्योकि बेईमानी निर्भीकता मांगती है। जो समाज, कानून, ईडी, सीबीआई, आयकर या फिर ऊपर वाले से डर गया। वह भी ईमानदार है।

अरे साहब! हमने तो पीने वालों की भी ईमानदारी देखी है। ठेके पर 40-40 रुपये मिलाकर एक पव्वा लेने वाले दो लोग आपस में जिस ईमानदारी से बंटवारा कर रहे थे उसके सामने चोर-उचक्कों का बंटवारा भी फेल दिखाई दिया। मिलकर सोमरस की बोतल लेने वालों ने पेन से निशान लगाकर तय किया कि इसके ऊपर का माल तुम्हारा, नीचे का मेरा। ऊपर वाले ने दो लम्बे घूट लगाकर बोतल दूसरे को पकड़ा दी। दूसरे ने जांच की तो पाया कि तरलता का स्तर अभी भी उस निशान से ऊपर है तो उसने सरलता से कहा, मेरे भाई, मैं ईमानदार हूं। मुझे तुम्हारा हिस्सा नहीं चाहिए। एक घूंट और लगाकर अपना हिस्सा गटक लो। खैर पीने वाले तो टल्ली हो गए उन्हें उनके हाल पर छोडि़ए। अब आप अपनी अंतरात्मा से पूछिए और खुद तय कीजिए, कि आप कौन-सी वैरायटी के ईमानदार हो, हमें क्या हम तो चुप ही रहेंगे।

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