Maharashtra Elections के दौरान Share Market का प्रदर्शन: 2004 से 2024 तक की विस्तृत समीक्षा

Sandesh Wahak Digital Desk : महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों ने हमेशा भारतीय बाजारों, खासकर Nifty 50 और Sensex पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। इन चुनावों के दौरान आर्थिक विकास, वैश्विक संकटों और निवेशकों की भावनाओं ने बाजार की दिशा तय की। पिछले दो दशकों में हुए चार विधानसभा चुनावों के दौरान इन दोनों प्रमुख सूचकांकों (Nifty और Sensex) का प्रदर्शन विभिन्न आर्थिक स्थितियों को दर्शाता है। आइए, एक नजर डालते हैं 2004 से 2024 तक के इन चुनावी दौरों पर और बाजार की यात्रा पर।

2004 से 2009: असाधारण वृद्धि का दौर
Nifty 50 यील्ड: 165.43%
Sensex यील्ड: 197.04%

13 अक्टूबर 2004 से 13 अक्टूबर 2009 तक का समय भारतीय शेयर बाजार के लिए असाधारण वृद्धि का था। इस दौरान Nifty में 165.43% और Sensex में 197.04% की शानदार बढ़त देखने को मिली। इस अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से विकसित हो रही थी, और विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में भरोसा बढ़ा। इसके साथ ही, भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकरण और विदेशी संस्थागत निवेश (FII) में वृद्धि ने बाजार को बल प्रदान किया। इस समय भारतीय बाजारों में आशावाद और उम्मीद का माहौल था, जो तेजी से बढ़ते बाजार को दर्शाता है।

Sensex, Nifty end higher; BPCL shares gain 5% - India Today

2009 से 2014: वैश्विक संकट के बाद मध्यम वृद्धि
Nifty 50 यील्ड: 53%
Sensex यील्ड: 59.75%

13 अक्टूबर 2009 से 15 अक्टूबर 2014 तक, वैश्विक वित्तीय संकट (2008) के बाद बाजार की वृद्धि की गति धीमी हो गई। इस दौरान Nifty में 53% और Sensex में 59.75% की वृद्धि हुई। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था ने संकट से उबरने की दिशा में कदम बढ़ाए, लेकिन वैश्विक वित्तीय स्थिति, मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे जैसी चिंताओं ने वृद्धि को प्रभावित किया। इसके बावजूद, घरेलू मांग और सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों ने बाजार को स्थिर बनाए रखा और एक धीमी लेकिन निरंतर वृद्धि संभव की।

2014 से 2019: सुधारों से प्रेरित बाजार गति
Nifty 50 यील्ड: 45.31%
Sensex यील्ड: 45.44%

15 अक्टूबर 2014 से 21 अक्टूबर 2019 के बीच बाजार ने स्थिर वृद्धि दिखाई, लेकिन इसकी गति धीमी रही। इस दौरान Nifty और Sensex में क्रमशः 45.31% और 45.44% की वृद्धि हुई। इस अवधि में मोदी सरकार के सुधारों, जैसे GST (वस्तु और सेवा कर), नोटबंदी, और व्यापारिक माहौल में सुधार ने भारतीय बाजार को एक नया दिशा दी। हालांकि, वैश्विक व्यापारिक तनावों और घरेलू आर्थिक चुनौतियों के कारण वृद्धि की संभावना सीमित रही। इसके बावजूद, सरकार की नीतियों ने निवेशकों का विश्वास बनाए रखा और बाजार को सकारात्मक दिशा दी।

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2019 से 2024: अनिश्चितताओं के बीच मजबूती से उभरा बाजार
Nifty 50 यील्ड: 119.85%
Sensex यील्ड: 93.62%

21 अक्टूबर 2019 से 20 नवंबर 2024 तक का दौर भारतीय शेयर बाजार के लिए जबरदस्त सुधार और रिकवरी का रहा। इस दौरान, कोविड-19 महामारी और वैश्विक राजनीतिक अनिश्चितताओं के बावजूद, Nifty में 119.85% और Sensex में 93.62% की शानदार वृद्धि देखी गई। यह रिकवरी सरकार द्वारा दी गई प्रोत्साहन योजनाओं, लचीली मौद्रिक नीतियों और मजबूत कॉर्पोरेट आयों की वजह से संभव हुई। कोविड-19 जैसे वैश्विक संकट के बावजूद भारतीय बाजार ने न केवल अपनी लचीलापन दिखाई, बल्कि लंबी अवधि में आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं में निवेशकों का विश्वास भी बना रहा।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन एक लंबी यात्रा को दर्शाता है, जिसमें आर्थिक उतार-चढ़ाव, वैश्विक संकट और घरेलू सुधारों ने अपनी भूमिका निभाई। 2004 से 2024 तक के चुनावी दौर में Nifty और Sensex ने अपनी लचीलापन और स्थिरता को साबित किया है। वैश्विक संकटों के बावजूद भारतीय बाजारों ने अपनी ताकत और भारतीय अर्थव्यवस्था की क्षमता को दर्शाया है। इन चुनावों ने यह भी स्पष्ट किया कि बाजार की दिशा केवल राजनीतिक घटनाओं से नहीं, बल्कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों से भी प्रभावित होती है।

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