Scam 2010 : सुब्रत रॉय की कहानी लेकर आ गए हैं हंसल मेहता, यहां जानें हजारों करोड़ के घोटाले की पूरी कहानी

Scam 2010 : फिल्म ‘स्कैम 1992’ और ‘स्कैम 2003’ की धुंआदार सफलता हासिल करने के बाद अब डायरेक्‍टर हंसल मेहता अपने सीरीज के तीसरे सीजन के साथ चर्चाओं में हैं। इस बार वह OTT प्लेटफार्म में सुब्रत रॉय की कहानी लेकर आने वाले हैं। उन्‍होंने 16 मई, ‘स्‍कैम’ के नए सीजन ‘स्‍कैम 2010: द सुब्रत रॉय सागा’ की घोषणा कर दिया है। इंटरेस्टिंग बात ये है कि इस सीजन का डायरेक्‍शन खुद हंसल मेहता करने करेंगे।

Scam 2010

90 के दशक में सुब्रत रॉय देश की जाने-माने लोगों में से एक हैं, जो भारत के सबसे मशहूर बिजनसमैन के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने सहारा ग्रुप को इस्टैब्लिश किया था। ये वो समय था जब सहारा का बिज़नेस चिटफंड से लेकर हवाई जहाज और टीम इंडिया की स्‍पॉन्‍सरश‍िप से कई न्‍यूज मीडिया तक फैला था। हालांकि, सहारा श्री के नाम से फेमस सुब्रत रॉय को उस वक़्त तेज और बड़ा झटका लगा जब निवेशकों से धोखाधड़ी का कारनामा सामने आने के बाद उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

कहां गए गरीब लोगों के 10,000 करोड़ ?

साल 2014 में 10,000 करोड़ रुपये की बकाया राशि ना चुका पाने के कारण सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर के जेल में बंद कर दिया गया। वह 2 साल से ज्यादा वक़्त तक जेल में बंद रहे और साल 2016 में बाहर आए। हालांकि, बाद में उन्‍हें दोबारा जेल जाना पड़ा, क्‍योंकि नियामक संस्‍था सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से पैरोल रद्द करने की मांग की थी। बता दे, साल 2023 में कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट से 75 साल में सुब्रत रॉय की मौत हो गयी।

पहले रिलीज़ हो चुकी है ‘स्‍कैम 1992’ और ‘स्‍कैम 2003’

OTT प्लेटफार्म पर बेहद धमाकेदार ‘स्कैम फ्रैंचाइजी’ का यह तीसरा सीजन होगा। पहले सीजन ‘स्कैम 1992’ में हर्षद मेहता की कहानी को दर्शाया गया था। साल 2020 में यह उस साल की सबसे बड़ी सुपरहिट सीरीज रही थी। इसमें प्रतीक गांधी अहम किरदार में नज़र आये थे।

इस भूमिका ने प्रतीक को रातों-रात स्‍टार बना दिया। सीरीज के दूसरे सीजन में स्‍टाम्‍प पेपर घोटाले की कहानी को दर्शाया गया है। ‘स्‍कैम 2003’ सीरीज अब्दुल करीम तेलगी की कहानी पर बेस्ड है, जिसका निर्देशन जय मेहता नेद्वारा किया गया था।

कौन थे सुब्रत रॉय, क्‍या है सहारा श्री की पूरी कहानी ?

बिहार के अररिया जिले में 10 जून 1948 को जन्म लिए सुब्रत रॉय ने गोरखपुर के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की अपनी पढ़ाई की थी। साल 1978 में उन्‍होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में केवल 2,000 रुपये में छोटा सा अपना ब‍िजनस शुरू किया। धीरे-धीरे उन्‍होंने देश के सबसे बड़े चिटफंड कारोबार और सहारा साम्राज्य को इस्टैब्लिश किया।

फिर वो गोरखपुर से लखनऊ आ गए। उन्‍होंने अपने चिटफंड योजना में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले कई लोगों से लगभग लाखों रुपये लेकर जमा किए। बता दे ये वो लोग थे, जिन्‍हें बैंकिंग के बारे में बहुत कम पता होता था। सुब्रत रॉय एक तय की गई समय सीमा में इस पैसे को कई गुना बढ़ाकर लौटाने का वादा करते थे।

साल 2010 में SEBI ने की जांच हुई

और आखिरकार SEBI और विनिमय ब्यूरो ने साल 2010 में सुब्रत रॉय पर जांच-पड़ताल बैठाई। इस जांच में सामने आया कि उन्होंने तकरीबन 3 करोड़ लोगों से 24 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किए थे।

भारतीय रेलवे के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाले बने व्यक्ति

आपको बता दे, सुब्रत रॉय के सहारा ग्रुप के साम्राज्‍य का अनुमान केवल इस बात से लगा सकते हैं कि साल 2004 में, ‘टाइम मैगजीन ने उन्‍हें भारतीय रेलवे के बाद सबसे ज्यादा नौकरी देने वाला बताया था। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नजदीक रहे सुब्रत रॉय का बिजनस 1990 के दशक में सातवें आसमान पर था।

यह इस हद तक था कि साल 2004 में जब उन्होंने अपने बेटे की शादी रचाई, तो उसमे बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर अमिताभ बच्चन जैसे बड़े कलाकारों को बारात में शामिल किया था।

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