एसबीआई ने बढ़ाया MCLR, करोड़ों ग्राहकों को झटका, नई दरें लागू
Sandesh Wahak Digital Desk: भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने करोड़ों ग्राहकों को जबरदस्त झटका दिया है. एसबीआई ने सभी अवधियों के लिए एमसीएलआर यानि मार्जिनल कॉस्ट में 5 बेसिस प्वाइंट (बीपीएस) की बढ़ोत्तरी की है। एसबीआई के उठाये इस कदम से उधारकर्ताओं के लिए ईएमआई में इजाफा होगा और वृद्धि के साथ उन उधारकर्ताओं के लिए ईएमआई भी बढ़ जाएगी, जिन्होंने एमसीएलआर पर लोन लिया है न कि उन लोगों के लिए जिनके लोन अन्य बेंचमार्क से जुड़े हुए हैं।
इतनी बढ़ी दरें
एसबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट की गई जानकारी के अनुसार, संशोधित एमसीएलआर दर 15 जुलाई, 2023 से प्रभावी है। संशोधन के साथ ही 1 साल का एमसीएलआर 8.50 प्रतिशत से बढ़कर 8.55 प्रतिशत हो गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकतर लोन 1 साल की एमसीएलआर दर से जुड़े होते हैं। ओवरनाइट एमसीएलआर दर को 5 बीपीएस बढ़ाकर 7.95 प्रतिशत से 8 प्रतिशत कर दिया गया है।
1 महीने के लिए एमसीएलआर दर 8.10 प्रतिशत से 8.15 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं, 3 महीने के पीरियड के लिए एमसीएलआर दर को भी 8.10 प्रतिशत से 8.15 प्रतिशत कर दिया गया है। अगर 6 महीने की एमसीएलआर दर की बात की जाये तो फिर यह 5 बीपीएस बढ़कर 8.45 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही 1 साल का एमसीएलआर 0.5 बीपीएस बढ़कर 8.50 प्रतिशत से 8.55 प्रतिशत हो गई है। वही, 2 साल की 8.65 प्रतिशत और 3 साल की 8.75 प्रतिशत हो गई है।
ब्याज दर पर उधार
1 अक्टूबर 2019 से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित सभी बैंकों को सिर्फ बाहरी बैंचमार्क जैसे आरबीआई की रेपो रेट या ट्रेजरी बिल उपज से जुड़ी ब्याज दर पर उधार देना होगा। इसके परिणाम स्वरूप बैंकों के द्वारा मौद्रिक नीति प्रसारण को गति मिली है। मॉनेटरी ट्रांसमिशन पर लोन के बाहरी बेंचमार्क आधारित मूल्य निर्धारित शुरुआत का प्रभाव कई सारे सेक्टर में महसूस किया गया है। यहां तक की इसमें उन सेक्टर को भी एड किया गया है जो डायरेक्ट बेंचमार्क आधारित लोन मूल्य निर्धारण से जुड़े नहीं हैं।