Sarfaraz Khan Test Debut : मैच में शानदार शुरुआत, आसान नहीं था यहां तक पहुंचना
Sarfaraz Khan Test Debut: सरफराज खान. ये नाम आज हर किसी के जुबान पर है. और इसकी वजह है इस शानदार खिलाड़ी के संघर्ष की दास्ताँ. सरफराज खान ने छह साल की उम्र से ही अपनी क्रिकेट यात्रा की शुरुआत कर दी थी. सरफराज शुरू से ही अपने पिता के सामने एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने का सपना देखते थे.
लगभग दो दशक बाद मुंबई के इस बल्लेबाज का यह सपना बीते गुरुवार को सच हो गया. जब इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट से पहले पूर्व कप्तान अनिल कुंबले ने उन्हें टेस्ट कैप सौंपी. इसी दौरान मैदान पर मौजूद उनके पिता नौशाद खान रोते हुए अपने बेटे को टेस्ट कैप मिलता हुआ देख रहे थे.
सरफराज ने इस मैच में अर्धशतक लगाकर अपनी योग्यता भी साबित की. हालांकि, वह शतकवीर रवींद्र जडेजा के साथ मिक्स-अप के बाद नॉन-स्ट्राइकर एंड पर रन-आउट हो गए थे, नहीं तो वह एक बड़ी पारी भी खेल सकते थे.
हालांकि, 26 वर्षीय सरफराज को किसी से कोई शिकायत नहीं है. सरफराज ने पहले दिन का खेल समाप्त होने के बाद मीडिया से कहा कि पहली बार मैदान पर आकर और अपने पिता के सामने कैप लिया. मैं छह साल का था. जब उन्होंने मेरी क्रिकेट (ट्रेनिंग) शुरू की. उनके सामने भारतीय टीम के लिए खेलना मेरा सपना था. जो आज पूरा हो गया.
4 घंटे से तैयार थे सरफराज खान
भारत के टेस्ट कैप नंबर 311 सरफराज ने 66 गेंद में 62 रन बनाए थे. और अंतरराष्ट्रीय करियर की बेहतरीन शुरुआत की. जिसको लेकर उनके पिता नौशाद काफी खुश नज़र आ रहे थे. उन्होंने अपने बेटे को देखने के लिए राजकोट जाने की भी योजना नहीं बनाई थी. लेकिन मैच शुरू होने से पहले वह यहां पहुंच गए. नौशाद के साथ सरफराज की पत्नी रोमाना जहूर भी वहां मौजूद रहीं.
इस दौरान सरफराज ने कहा कि मैं ड्रेसिंग रूम में लगभग चार घंटे तक तैयार होकर इंतजार करता रहा. मैं सोचता रहा कि मैंने जीवन में इतना धैर्य रखा है. अब कुछ और रखने में कोई बुराई नहीं है.
‘पापा का सपना हुआ पूरा’
सरफराज खान ने कहा कि पापा, राजकोट आने के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन कुछ लोगों ने जोर देकर कहा कि वह जाएं. जाहिर है कि उन्हें आना पड़ा. क्योंकि उन्होंने केवल इस दिन के लिए इतनी मेहनत की थी. जब मैंने उनके सामने कैप ली, तो वह काफी भावुक हो गए थे और मेरी पत्नी भी. मुझे लगा जैसे मेरे कंधों से कुछ दबाव उतर गया था, क्योंकि उन्होंने मुझ पर कड़ी मेहनत की थी और मैंने इसे बर्बाद नहीं किया.
बता दें कि किसी भी खिलाड़ी के लिए घरेलू क्रिकेट के वर्षों में संघर्ष करते रहना. और साल दर साल रन बनाना. इसके बाद भी राष्ट्रीय टीम में मौका नहीं मिलना आसान नहीं होता.
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सरफराज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का स्वाद लगभग घरेलू क्रिकेट जैसा ही था, लेकिन कुछ स्पष्ट अंतर थे. उन्होंने कहा कि शुरू में मैं अजीब महसूस कर रहा था. क्योंकि मेरे लिए यह एक लंबा समय रहा है. लेकिन बाद में मुझे लगा कि मैंने ठीक शुरुआत कर ली है. एक बार जब मैं अपने जोन में था, तो मुझे यह मुश्किल नहीं लगा. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अंतर यह है कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दर्शक नहीं होते और आप राष्ट्रीय खिलाड़ियों का सामना ज्यादा नहीं करते. वाकई में इस खिलाड़ी के संघर्ष को सलाम है.