UP News: लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने बनाई नई रणनीति, इस प्लान पर करेगी काम
Sandesh Wahak Digital Desk: आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने भी अपनी कमर कस ली है. इसके लिए पार्टी ने एक नई रणनीति तैयार की है. दरअसल, पिछड़ों, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) सरकार का नारा बुलंद करने वाली सपा अगड़ों को भी जोड़ने की मुहिम शुरू करने जा रही है. सपाईयों की रणनीति है कि पीडीए को उनके अधिकार दिलाएंगे, लेकिन किसी का भी साथ लेने से कोई परहेज नहीं है. यही वजह है कि ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य और कायस्थ समाज के बीच पैठ बढ़ाने की योजना पर भी सपा काम कर रही है.
क्षत्रिय सम्मेलनों का आयोजन
सपा के प्लान के अनुसार, पहले चरण में कई जगहों पर क्षत्रिय सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा. साल 2019 का लोकसभा चुनाव सपा, बसपा और रालोद ने मिलकर लड़ा था. उस समय सपा ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि देश के 10 फीसदी सामान्य वर्ग के समृद्ध लोग 60 फीसदी राष्ट्रीय संपत्ति पर काबिज हैं. हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को सफलता नहीं मिली थी. इसलिए इस बार सपा का फोकस पीडीए पर है. साथ ही, सामान्य जातियों को साथ लेते हुए आगे बढ़ने की योजना है.
उधर, सपा नेतृत्व के साथ अनौपचारिक बातचीत में कुछ क्षत्रिय नेताओं ने पार्टी के साथ जुड़कर काम करने की इच्छा जताई थी. जिसको लेकर अब सपा ने भी इस दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है.
जूही सिंह को जिम्मेदारी
क्षत्रिय समाज को जोड़ने की जिम्मेदारी समाजवादी महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह को दी गई है. जूही सिंह ने बताया कि पार्टी ने सजातीय समाज को जोड़ने की जो जिम्मेदारी दी है, उस पर गंभीरता से काम किया जा रहा है. 23 जुलाई को लखनऊ के इटौंजा में क्षत्रिय समाज का सम्मेलन होगा. इस तरह के सम्मेलन अवध, पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी के अलग-अलग हिस्सों में होंगे.
व्यापार सभा के सम्मेलन होंगे आयोजित
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जीएसटी को ईडी के दायरे में लाने के मुद्दे पर सपा ने वैश्य समाज को एकजुट करने की जिम्मेदारी व्यापार सभा के प्रदीप जायसवाल को दी है. शीघ्र ही व्यापार सभा के जिलेवार सम्मेलन भी आयोजित होंगे. इसी तरह के प्रयास ब्राम्हण और कायस्थ समाज के बीच भी शुरू किए जा रहे हैं.
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