Russia Gives India Dangerous Warship: रूस ने भारत को दिया घातक युद्धपोत आईएनएस तुशील, चीन और पाकिस्तान की बढ़ी चिंता!

Russia Gives India Dangerous Warship: भारत की नौसैनिक ताकत को बढ़ाने के लिए रूस ने दुनिया के सबसे खतरनाक युद्धपोतों में से एक आईएनएस तुशील भारत को सौंप दिया है। यह अत्याधुनिक युद्धपोत रूस के कलिनिनग्राद से रवाना होकर हिंद महासागर में भारत की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में इसे औपचारिक रूप से 9 दिसंबर को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।

दुश्मनों की नींद उड़ी

आईएनएस तुशील की पहली तैनाती की खबर ने चीन और पाकिस्तान को चिंता में डाल दिया है। चीन के प्रमुख अखबार साउथ-चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इसे भारत की रणनीतिक बढ़त बताया है। चीन का कहना है कि यह युद्धपोत भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत की नौसैनिक ताकत को बढ़ाएगा और हिंद महासागर में भारत के प्रभाव को मजबूत करेगा।

आईएनएस तुशील की खासियत

आईएनएस तुशील भारतीय नौसेना के लिए निर्मित सातवां तलवार श्रेणी का फ्रिगेट है। इसकी लंबाई 125 मीटर और वजन 3900 टन है। इसे स्टील्थ तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, ब्रह्मोस मिसाइल, वर्टिकल एंटी-शिप मिसाइल और अत्याधुनिक गन सिस्टम से लैस किया गया है। इसके साथ ही इसमें कामोव और ध्रुव हेलीकॉप्टर तैनात करने की भी क्षमता है। यह युद्धपोत 30 दिनों तक 180 नौसैनिकों के साथ समुद्र में संचालन करने में सक्षम है।

भारत के लिए रणनीतिक महत्व

यह युद्धपोत मुख्य रूप से पश्चिमी नौसेना कमान के मिशन का समर्थन करेगा, जिसमें अरब सागर और पश्चिमी हिंद महासागर में सुरक्षा बनाए रखना शामिल है। पाकिस्तान और चीन के बीच घनिष्ठ संबंधों के चलते चीन ग्वादर बंदरगाह का उपयोग करता है। इसके जवाब में आईएनएस तुशील भारतीय नौसेना की सतह युद्ध क्षमताओं को मजबूत करेगा।

हिंद महासागर में बढ़ेगा भारत का दबदबा

पूर्व नौसैनिक अधिकारी कमोडोर सी. उदय भास्कर के अनुसार, आईएनएस तुशील जैसे आधुनिक युद्धपोत के शामिल होने से भारतीय नौसेना की शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी। यह हिंद महासागर में भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को नई मजबूती प्रदान करेगा।

रूस-भारत की दोस्ती का प्रतीक

रूस द्वारा निर्मित यह युद्धपोत दोनों देशों के बीच गहरे रक्षा संबंधों का उदाहरण है। यह पोत बाल्टिक सागर, उत्तरी सागर और अटलांटिक महासागर से होते हुए भारत पहुंचेगा और रास्ते में कई मित्र देशों के बंदरगाहों पर रुकेगा। इसके भारत आने से न केवल भारतीय नौसेना का दबदबा बढ़ेगा, बल्कि भारत-रूस की साझेदारी भी और मजबूत होगी।

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