‘UPSC की जगह RSS से हो रही भर्ती’, लेटरल एंट्री को लेकर बीजेपी पर भड़के राहुल गांधी
Rahul Gandhi News: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने बीते शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया था। इसमें 10 संयुक्त सचिव और 35 उप सचिव के पद शामिल है। अब इसको लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के प्रमुख पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से जल्द ही 45 विशेषज्ञ नियुक्त किए जाने के फैसले की आलोचना की है। कांग्रेस सांसद ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।
नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के ज़रिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।
मैंने हमेशा…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 18, 2024
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट लिखा। जिसमें उन्होंने इस फैसले को प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि देश विरोधी कदम का INDIA गठबंधन मजबूती से विरोध करेगा।
‘राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा पोस्ट’
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी ने लिखा कि नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के ज़रिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है। यह UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक़ पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है।
अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने आगे लिखा कि ‘चंद कॉरपोरेट्स’ के प्रतिनिधि निर्णायक सरकारी पदों पर बैठ कर क्या कारनामे करेंगे इसका ज्वलंत उदाहरण SEBI है, जहां निजी क्षेत्र से आने वाले को पहली बार चेयरपर्सन बनाया गया। प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का INDIA मजबूती से विरोध करेगा। ‘IAS का निजीकरण’ आरक्षण खत्म करने की ‘मोदी की गारंटी’ है।
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