निकाय चुनाव में भाजपा के भीतर गोरिल्ला युद्ध लड़ रहे बागी, मिशन 24 होगा प्रभावित!
यूपी में निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान दो दिन बाद है। लेकिन बागियों ने सभी दलों की मुश्किलें बढ़ा रखी है।
Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी में निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान 2 दिन बाद है। लेकिन बागियों ने सभी दलों की मुश्किलें बढ़ा रखी है। भाजपा ने प्रदेश भर में तीन सैकड़ा बागियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है। इसके बावजूद अभी भी बागी भाजपा के लिए सरदर्द बने हुए हैं।भाजपा ने तमाम जिलों में उन बागियों को बाहर का रास्ता दिखाया है, जो फिलहाल पार्टी से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। इसके बावजूद प्रदेश भर में अभी भी काफी संख्या में बागी भाजपा को भीतरघात से नुकसान पहुंचा रहे हैं। सबसे पहले लखनऊ की बात की जाए, यहां बड़ी संख्या में भाजपा के बागी पार्टी के साथ एक तरह से गोरिल्ला यद्ध लड़ रहे हैं। भाजपा के कई दिग्गज महापौर से लेकर पार्षदों तक के टिकट अपने करीबियों को दिलाना चाहते थे। परिवारवाद को झटका देते हुए भाजपा ने इनकी एक नहीं सुनी।
निकाय चुनाव के बीच दो बड़े नेताओं के बीच छिड़ी रार
सूत्रों के मुताबिक इनमें से कई नेता अंदरखाने से न सिर्फ नाराज हैं बल्कि लखनऊ से लेकर कई जिलों तक बागियों को सीधा प्रश्रय तक देने में जुटे हैं। हालांकि भाजपा के एक नेता के मुताबिक पार्टी में बागी सुर सिर्फ निचले स्तर तक सीमित हैं। लखनऊ में कई पार्षदों का टिकट कटा है। वहीं महिला मोर्चा की कई सदस्यों को टिकट से नहीं नवाजा जाना भी बागियों को लाभ दिला रहा है। इसी तरह कानपुर में निवर्तमान महापौर प्रमिला पांडेय को टिकट देने से काफी नाराजगी है। एक सांसद अपने बेहद करीबी परिजन को टिकट दिलाना चाहते थे। लेकिन ऐसा न होने से वे भी भाजपा से ज्यादा खुश नजर नहीं आ रहे हैं। इसी तरह पूर्वांचल के एक जिले में दो बड़े नेताओं के बीच छिड़ी रार चर्चा में है।
हाल ही में भाजपा सांसद और यूपी सरकार में मंत्री के बीच की सियासी जंग सडक़ पर आयी है।
दो प्रदेश अध्यक्ष आपस में ही भिड़े!
उक्त लोकसभा क्षेत्र की सडक़ों के एस्टीमेट में सांसद के तौर पर सांसद के बजाय सीधे मंत्री का नाम लिख दिया गया है। सांसद ने इसे संसद का अपमान बताते हुए मामला संसदीय विशेषाधिकार समिति के सामने उठा दिया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने प्रदेश सरकार से तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजने को कहा है। दोनों ही कद्द्वार नेता भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। जिसको लेकर भी भाजपा के अंदर खासी चर्चा है। दोनों नेता निकाय चुनाव में एक दूसरे के करीबी प्रत्याशियों के खिलाफ माहौल बनाने में शिद्द्त से जुटे हैं। ये हाल सिर्फ एक जिले का नहीं है बल्कि प्रदेश के अधिकांश जिलों का है। जिसका खामियाजा भाजपा को निकाय चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
हालांकि भाजपा के अंदर उठते बागी सुरों के खिलाफ कुछ कहने से बच रहा है। लेकिन मिशन 2024 को देखते हुए भाजपा के जिम्मेदारों की सियासी रणनीति को इससे चोट भी पहुंच सकती है।
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