RBI ने दिया Repo Rate कट का तोहफा, कार और घर की EMI पर मिलेगी बड़ी राहत

Sandesh Wahak Digital Desk: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 54वीं बैठक में केंद्रीय बैंक ने वैश्विक आर्थिक तनाव और व्यापारिक युद्ध के बीच बड़ी राहत देने वाला फैसला लिया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि RBI ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। इस कटौती के बाद अब रेपो रेट 6% पर आ गया है।
यह लगातार दूसरा मौका है जब केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कटौती की है। इससे पहले फरवरी में हुई MPC बैठक में भी रेपो रेट 0.25% घटाकर 6.25% किया गया था। यह कटौती पिछले पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद की गई थी।
रेपो रेट और अन्य नीतिगत दरों में बदलाव
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि रेपो रेट में 0.25% की कटौती के साथ-साथ MSF (Marginal Standing Facility) रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गया है, जबकि SDF (Standing Deposit Facility) रेट 6% से घटकर 5.75% हो गया है। इसके अलावा, आरबीआई ने पॉलिसी रुख को “Neutral” से “Accommodative” कर दिया है, जिसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक भविष्य में भी वृद्धि की बजाय नीतिगत समर्थन जारी रखने के लिए तैयार है।
भारत की आर्थिक वृद्धि और महंगाई दर पर अनुमान
आरबीआई ने भारत की जीडीपी वृद्धि को लेकर भी महत्वपूर्ण अनुमान पेश किए हैं। उन्होंने कहा कि इस साल 2025-26 की पहली और दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.5% रहने का अनुमान है, जबकि तीसरी तिमाही में यह 6.6% और चौथी तिमाही में 6.3% तक गिर सकती है। साथ ही, महंगाई दर (Inflation Rate) को 4% के दायरे में रखने की उम्मीद जताई गई है। गवर्नर ने यह भी कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
टैरिफ वॉर और ग्लोबल इकोनॉमिक चैलेंजेज पर चिंता
संजय मल्होत्रा ने बैठक के दौरान ग्लोबल टैरिफ और व्यापारिक युद्ध पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि उच्च शुल्क (High Tariffs) से भारतीय निर्यात गतिविधियों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार में दिक्कतें बढ़ सकती हैं। हालांकि, उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर आशावाद व्यक्त किया, खासकर इन्वेस्टमेंट और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में सुधार के संकेत मिलने से।
नतीजों का असर आम लोगों पर
रेपो रेट में हुई इस कटौती का सीधा असर बैंक लोन लेने वालों पर पड़ेगा। रेपो रेट घटने से वाणिज्यिक बैंकों के लिए केंद्रीय बैंक से धन उधार लेने की लागत कम हो जाती है, जिससे बैंक लोन की ईएमआई घट सकती है। यही नहीं, यह निर्णय खासतौर पर उन लोगों के लिए राहतकारी हो सकता है जो मौजूदा समय में होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन जैसी चीजों के लिए ब्याज दरों पर दबाव महसूस कर रहे थे।
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