‘धैर्य रखिए…सच्चाई सामने आने में समय लगता है’, सुर्खियों में बने रहने की नेताओं की लालसा पर राहुल ने कसा तंज
Sandesh Wahak Digital Desk : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिल्ली में अपने राजनीतिक विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए यहां कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में नेतृत्व सभी लाउडस्पीकर और कैमरों को अपनी ओर घुमाना पसंद करते हैं। लेकिन वह माइक को जनता की ओर करना और उनकी बात सुनना पसंद करते हैं।
यहां प्रसिद्ध लेखक टी पद्मनाभन को केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) द्वारा पहला प्रियदर्शिनी साहित्य पुरस्कार प्रदान किए जाने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि नेता बड़े मजेदार किस्म के लोग होते हैं, और लाउडस्पीकर हमेशा उनके सामने रहता है।
राहुल गांधी ने कहा, “यह (लाउडस्पीकर) भीड़ की तरफ नहीं होता क्योंकि हम खुद को बोलते हुए सुनना पसंद करते हैं। हर बार जब मैं वहां जाता हूं, तो मुझे लाउडस्पीकर को दूसरी ओर घुमाना पड़ जाता है। मुझे लगता है, आज के भारत में, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि लाउडस्पीकर को दूसरी ओर घुमाया जाए। अगर आप दिल्ली में अपने नेतृत्व को देखें, तो सभी लाउडस्पीकर और कैमरे उन्हीं की दिशा में लगे होते हैं।’ उन्होंने कहा कि निस्संदेह, पद्मनाभन जैसे लेखकों और राहुल गांधी जैसे राजनीतिक नेताओं के बीच एक बड़ा अंतर है।
नेताओं से लेखकों की तरह बनने की आकांक्षा रखने का आग्रह
वायनाड से सांसद राहुल ने नेताओं से लेखकों की तरह बनने की आकांक्षा रखने का भी आग्रह किया, जो अपने मन में आने वाले हर सच को बोल देते हैं। हालाँकि, राहुल ने स्वीकार किया कि यह बहुत कठिन काम है।
राहुल ने कहा कि ‘राष्ट्र सत्य पर निर्मित होते हैं और झूठ की बुनियाद पर नहीं बनाए जा सकते। यह एक ऐसी सीख है जो हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने हमें किसी अन्य की तुलना में बेहतर दी है’। राहुल ने कहा ‘सच्चाई को सामने आने में समय लगता है…धैर्य रखना पड़ता है…लेकिन आखिरकार सच, झूठ से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है’।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अपने राजनीतिक जीवन में, जितना संभव हो सका उन्होंने एक लेखक की तरह बनने की कोशिश की और जो भी उन्हें कहने का मन हुआ, कहा, हालांकि इससे समस्याएं पैदा हुईं।
उन्होंने कहा, लेकिन इसका श्रेय भारत के लोगों को जाता है जिन्होंने उन्हें इतना प्यार और सम्मान दिया है और इसने उन्हें असहज होने पर भी सच बोलने के लिए प्रेरित किया। राहुल ने कहा कि आज के समय में, जब स्वतंत्रता पर हमला हो रहा है, जहां समाज में नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है, टी पद्मनाभन जैसे लोग इसके खिलाफ लड़ाई की बुनियाद तैयार करते हैं।