रायबरेली लोकसभा सीट: बीजेपी के राजनीतिक गेम से डर गईं सोनिया गांधी!

Rae Bareli Lok Sabha Seat : देश की राजनीति में वीआईपी लोकसभा सीट मानी जाने वाली रायबरेली को अगर सोनिया गांधी ने छोड़ा है। उसके पीछे बीजेपी से हार का गेम बहुत मायने रखता है। अगर पिछले कुछ चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो उससे स्पष्ट होता है, सोनिया गांधी ने अपने जीत के साख को जीवन पर्यंत बचाये रखने के लिये ही राज्यसभा का रास्ता चुना है।

रायबरेली सीट (Rae Bareli Lok Sabha seat) के साल 1951 के पहले लोकसभा चुनाव से अब तक के आंकड़ें बताते हैं 17 में से केवल 6 चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर एक तिहाई से भी कम रहा है। पार्टी ने आठ बार 50 फीसदी से अधिक वोट हासिल किए, जिसमें सोनिया द्वारा लड़े गए सभी 4 चुनाव शामिल हैं। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 2009 में इस सीट से किसी भी उम्मीदवार द्वारा जीते गए सबसे अधिक वोट शेयर 72.2 फीसदी हासिल कर रिकॉर्ड बनाया था। उस चुनाव में यूपीए दोबारा केंद्र में सत्ता में लौटी थी।

1996 और 1998 में सबसे खराब प्रदर्शन

रायबरेली सीट पर कांग्रेस का सबसे खराब प्रदर्शन 1996 और 1998 के चुनाव में था। तब उसे 10 फीसदी से भी कम वोट मिले थे, मगर 1999 के चुनाव से उसका वोट शेयर फिर बढऩे लगा। इस चुनाव में राजीव और सोनिया के करीबी गांधी परिवार के वफादार सतीश शर्मा यहां से चुनाव लड़े थे और जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे।

इस तरह से बीजेपी ने किया गेम

2014 से पहले तक रायबरेली में कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्धी समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) हुआ करती थी लेकिन 2014 के बाद कहानी बदल गई। सपा-बसपा को पीछे धकेल, भाजपा मुख्य प्रतिद्वंद्धी पार्टी बन गई। 2014 के चुनाव में भाजपा उप-विजेता थी। 2014 में जहां बीजेपी ने 21.1 फीसदी वोट हासिल किया तो 2019 में 38.7 फीसदी वोट अपने नाम किया। रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस भले ही अच्छा प्रदर्शन करती रही हो, मगर हाल के दिनों में विधानसभा क्षेत्रों में कहानी अलग रही है।

2022 का विधानसभा चुनाव

2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस न केवल रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र के सभी 5 विधानसभा क्षेत्रों में हार गई। बल्कि इन 5 में से 4 में तीसरे और 1 में चौथे स्थान पर रही। इनमें से 4 सीटों पर सपा ने जीत हासिल की, और 1 पर भाजपा ने। 5 विधानसभा क्षेत्रों में, कांग्रेस को केवल 13.2 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ, जो कि सपा के 37.6 फीसदी और भाजपा के 29.8 फीसदी से बहुत कम था। आपको यहां बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में पार्टी को सिर्फ 2 सीट और 2.3 वोट नसीब हुआ था।

2017 का विधानसभा चुनाव

अब 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस और भाजपा ने रायबरेली लोकसभा सीट (Rae Bareli Lok Sabha seat) की 2-2 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि सपा ने 1 सीट जीती थी। तब कांग्रेस ने सभी क्षेत्रों में 31.2 फीसदी के साथ सबसे अधिक वोट शेयर हासिल किया था, उसके बाद भाजपा 27.8 फीसदी वोट शेयर के साथ दूसरे स्थान पर थी। लेकिन 2017 में यूपी में कांग्रेस की कुल सीटों की संख्या बहुत निराशाजनक थी। कुल 7 सीटें हासिल की थीं और 6.2 फीसदी वोट शेयर अपने नाम किया था।

2012 का विधानसभा चुनाव : 2012 में, जब केंद्र में कांग्रेस की सत्ता थी और रायबरेली लोकसभा सीट उसके कब्जे में थी, तब भी विधानसभा में कुछ खास नहीं कर पाई थी। 2012 में रायबरेली की 5 में से 4 सीटें नवोदित पीस पार्टी ऑफ इंडिया ने जीती थीं। हालांकि 2012 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली के विधानसभा क्षेत्रों में खराब प्रदर्शन के बावजूद, कांग्रेस ने यूपी में कुल मिलाकर बेहतर प्रदर्शन किया था। 28 सीटें और 11.7 फीसदी वोट अपने नाम किया था।

रायबरेली से प्रियंका की अपेक्षा राहुल के चुनाव लड़ने के ज्यादा आसार

रायबरेली की सीट (Rae Bareli Lok Sabha seat) से सोनिया गांधी द्वारा अगला चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद अगले कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर अटकलें तेज हो गयी हैं। एक तरफ प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की जानकारी आ रही है तो दूसरी तरफ राहुल गांधी के वहां से लडऩे की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसका कारण है कि केरल में वामदल से चल रही कांग्रेस की अनबन। कांग्रेस के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार वामदल ने इस बार केरल में अपना उम्मीदवार उतारने के संकेत दे दिये हैं।

ऐसे में राहुल गांधी के लिए वायनाड की सीट निकालना भी मुश्किल हो सकता है। वहां वामदल द्वारा यदि कोई उम्मीदवार उतारा जाता है तो राहुल गांधी के लिए रायबरेली की सीट सुरक्षित मानी जा रही है। ऐसी स्थिति में यहां से प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव नहीं लड़ेंगी। सोनिया गांधी के वारिस के रूप में राहुल गांधी ही चुनाव लड़ेंगे।

राहुल गांधी को आगे बढ़ाना चाहती हैं सोनिया गांधी

कांग्रेस के एक उच्च पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वैसे भी सोनिया गांधी के वारिस का सवाल है। जो भी वहां से लड़ेगा। वह सोनिया गांधी की खाली की हुई सीट का प्रतिनिधित्व करेगा। आमजन में यह संदेश जाएगा कि सोनिया ने अपनी सीट प्रियंका गांधी या राहुल को दी। इस स्थिति में राहुल गांधी ही भारी पड़ेंगे, क्योंकि सोनिया गांधी भी राहुल को ही आगे बढ़ाना चाहती हैं।

यह तो तय है कि उप्र से गांधी परिवार बिल्कुल नाता तोड़ नहीं सकता।राहुल और प्रियंका में कोई न कोई यहां से चुनाव लड़ेगा। इस बात पर भी कांग्रेस सोच रही है कि प्रियंका गांधी पिछले दो चुनावों से उप्र में सर्वाधिक सक्रिय रही हैं। उस समय कार्यकर्ताओं में काफी जोश भी दिखा था। इसके बावजूद कांग्रेस की सीटें और वोट प्रतिशत कम हो गये। उनका उप्र चुनाव प्रचार में कुछ भी करिश्मा देखने को नहीं मिला। ऐसे में राहुल गांधी को ही आगे बढ़ाना उपयुक्त है।

Also Read: Jayant Chaudhary News: इस तारीख को होगा NDA -RLD गठबंधन का औपचारिक एलान, योगी कैबिनेट में मिलेगी जगह

Get real time updates directly on you device, subscribe now.