UP News: सवालों के घेरे में अरबों के चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता

भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने चिकित्सा उपकरणों व आईवीडी की जांच में बीआईएस मानकों को बनाया है अनिवार्य

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: यूपी में घटिया दवाओं की आपूर्ति के सहारे करोड़ों का खेल अक्सर होता है। इस कड़ी में अब चिकित्सा उपकरणों और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आईवीडी) का नाम भी जुड़ सकता है। जिसकी जांच में लापरवाही खुद ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ने पकड़ते हुए बीआईएस मानकों का पालन अनिवार्य बनाया है।

मलेरिया समेत कई रोगों की जांच में इस्तेमाल होती हैं आईवीडी किट

यूपी में इन उपकरणों की जांच मानो भगवान भरोसे है। इन-विट्रो डायग्नोस्टिक के तहत मलेरिया समेत तमाम रोगों की जांच में इस्तेमाल होने वाली किटें आती हैं। गुणवत्ता से समझौता होने पर इन किटों से होने वाली मरीजों की जांचें प्रभावित हो सकती हैं। यूपी के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) के जिम्मेदार भी इस संवेदनशील मुद्दे पर खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं।

दरअसल 29 मई को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) राजीव रघुवंशी ने चिकित्सा उपकरण और इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आईवीडी) के परीक्षण के संबंध में आदेश जारी किया था। जिसमें साफ़ कहा था कि कई चिकित्सा उपकरणों का परीक्षण स्थापित मानदंडों के अनुसार नहीं किया जा रहा है। भारत में विभिन्न चिकित्सा प्रक्रियाओं में लगभग छह हजार चिकित्सा उपकरणों का उपयोग किया जाता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सा उपकरण नियम (एमडीआर) 2017 के तहत इन उत्पादों की जांच अधिकृत की है। बीआईएस मानक उपलब्ध नहीं होने पर ही सिर्फ एमडीआर के अन्य मानक ही लागू किए जा सकते हैं।

एफएसडीए अफसरों को नहीं पता, कितने उपकरणों के नमूने जांच को भेजे

एफएसडीए में ड्रग कंट्रोलर शशि मोहन गुप्ता के मुताबिक यूपी में चिकित्सा उपकरणों/आईवीडी की जांच करने के लिए बीआईएस मानकों वाली लैब नहीं है। जो चिकित्सा उपकरण या आईवीडी निर्माता यूपी मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन को अरबों के उपकरणों की आपूर्ति कर रहे हैं। उनकी गुणवत्ता की जांच बीआईएस मानकों के मुताबिक हो रही है या नहीं, ये भी बताने से इनकार करते हुए उन्होंने मानो पल्ला झाडऩा ही मुनासिब समझा।

क्या कहते हैं प्रमुख सचिव (एफएसडीए) और ड्रग कंट्रोलर?

प्रमुख सचिव खाद्य एवं औषधि व कमिश्नर पी. गुरु प्रसाद ने कहा कि मैं इसे दिखवाता हूं। वहीं ड्रग कंट्रोलर शशि मोहन गुप्ता ने बताया कि ऐसे चिकित्सा उपकरण/आईवीडी के सैंपल भारत सरकार द्वारा अधिकृत बीआईएस मानकों वाली लैब में परीक्षण के लिए भेजे जाते हैं। नए ऐक्ट में ड्रग इंस्पेक्टर को मेडिकल डिवाइस ऑफिसर का नाम दिया गया है। एफएसडीए ने खुले बाजारों और सरकारी आपूर्ति से जुड़े कितने चिकित्सा उपकरणों/आईवीडी के नमूने एकत्र किये, इस सवाल पर ड्रग कंट्रोलर ने कहा कि मुझे संख्या नहीं पता है।

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