UP: रसूखदारों की बेनामी सम्पत्तियों को तलाशने में प्रोजेक्ट इनसाइट फेल!

आयकर विभाग के अफसरों को 30 लाख से ऊपर की प्रत्येक रजिस्ट्री पर रखनी थी पैनी नजरें

Sandesh Wahak Digital Desk/ Manish Srivastava: उत्तर प्रदेश में बीते कुछ वर्षों के दौरान नेताओं और अफसरों ने बेहिसाब जमीनें और सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त की है। इन बेनामी सम्पत्तियों को परिजनों से लेकर नौकरों के नामों पर खरीदा गया है। इस खेल पर निगरानी के लिए आयकर विभाग ने प्रोजेक्ट इनसाइट शुरू किया था।

 

लम्बे समय से आयकर विभाग ऐसे रसूखदारों पर शिकंजा कसने में नाकाम साबित हो रहा है। दरअसल 30 लाख से ऊपर की सम्पत्ति की खरीद फरोख्त पर आयकर विभाग की पैनी नजरें रहती हैं। निबंधन विभाग भी इन सम्पत्तियों की रजिस्ट्रियों की जानकारी आयकर विभाग से साझा करता है।

कई पूर्व आईएएस अफसरों पर आयकर विभाग ने की थी कार्रवाई

आयकर विभाग के प्रोजेक्ट इनसाइट का काम सम्पत्तियों को मालियत से कम दिखाकर बेचने पर भी लगाम कसना है। फिर भी आयकर विभाग के अफसर कोई बड़ा अभियान शुरू करने से परहेज दिखा रहे हैं। जिन अफसरों की सम्पत्तियां पूर्व में पकड़ी भी गयीं। उन पर भी मेहरबानी दिखा दी गयी। उनमें पूर्व आईएएस एसके सिंह का नाम भी शामिल है।

पूर्व आईएएस ह्रदय शंकर तिवारी, एसके सिंह और विमल शर्मा पर आयकर विभाग ने छापे मारे थे। एसके सिंह ने परिजनों के नाम करोड़ों की सम्पत्तियां खरीदी थीं। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह गैलेन्ट मामले में कई आईएएस की सम्पत्तियां और संदिग्ध निवेश सामने आया। फिलहाल मामला ठन्डे बस्ते में जा चुका है।

लखनऊ से लेकर नोएडा तक अफसरों ने जमीनें खरीदने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है। लेकिन इनके ऊपर आयकर विभाग ने छापे नहीं मारे।  पिनटेल समूह से अपर मुख्य सचिव स्तर के कई आईएएस ने करोड़ों की सम्पत्तियां खरीदीं थी। यहां भी आयकर का प्रोजेक्ट इनसाइट काम नहीं आया। कर चोरों की फेहरिस्त प्रदेश में लंबी होती जा रही है।

कम मालियत दिखाकर खरीद-फरोख्त का खेल

अधिकांश सम्पत्तियों को कम मालियत दिखाकर खरीदा बेचा जा रहा है। हाल ही में मोहनलालगंज तहसील में शाइन सिटी के निदेशक अमिताभ श्रीवास्तव ने एक बीघा से ज्यादा जमीन की रजिस्ट्री की है। इसकी दूसरी रजिस्ट्री छह दिनों के भीतर पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बेटे के नाम हो गई। ख़ास बात ये है कि इस जमींन की मालियत इससे ज्यादा दिखाकर रजिस्ट्री की गयी थी। लेकिन बाद में हुई दोनों रजिस्ट्रियों में जमीन की कीमत महज आठ से दस लाख ही दिखाई गयी। कम मालियत का खेल सभी तहसीलों में हो रहा है।

अयोध्या में राम मंदिर के करीब लुभा रहीं जमीनें

फिलहाल अयोध्या में राम मंदिर के करीब अफसरों और नेताओं द्वारा जमीनों को खरीदा जाना सुर्खियों में है। पूर्व में भी यहां तैनात डीएम, मंडलायुक्त और तमाम अफसरों और नेताओं ने परिजनों के नाम जमीनें खरीदी थी। आयकर विभाग की नजरें इन रसूखदारों पर नहीं हैं। जमीनें करोड़ों में खरीदी गयी हैं। आयकर विभाग का प्रोजेक्ट इनसाइट यहां भी फेल नजर आ रहा है। ये हाल कमोबेश सभी बड़े शहरों में नजर आ सकता है।

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