प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का सच बेनकाब, आबकारी मंत्री से बोले ग्रामीण- नहीं मिला कनेक्शन
Sandesh Wahak Digital Desk : 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना एक तरह गेमचेंजर साबित हुई थी। तभी हाल ही में केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत मिलने वाले एलपीजी सिलेंडर पर 400 रूपए की कटौती करके एक बार फिर मिशन 2024 के लिए बड़ा दांव चला है। उसके बावजूद यूपी में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का सच रविवार को प्रदेश के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल के सामने ही नजर आ गया।
आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल के सामने ग्रामीण बोले, नहीं मिला कनेक्शन
दरअसल आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने हरदोई की बिलग्राम तहसील के बाढग्रस्त क्षेत्र का दौरा करने के बाद लगी चौपाल में ग्रामीणों से पूछा कि क्या सभी को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलिंडर मिल गए हैं। इसके जवाब में अफसरों के सामने ही ग्रामीणों ने कनेक्शन नहीं मिलने की बात कही। जिसके बाद खुलासा हुआ कि पिछले करीब आठ माह से योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए ही नहीं जा रहे हैं। उज्ज्वला योजना को यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में शामिल किया था। यूपी में उज्जवला योजना के पौने दो करोड़ लाभार्थी हैं।
वादा निभाएगी यूपी सरकार
2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए 2022 के चुनाव में किए वादे को योगी सरकार जल्द निभाएगी। उज्जवला के तहत 1.75 करोड़ लाभार्थियों को दो निशुल्क एलपीजी सिलेंडर देने की जगह बैंक खाते में रुपये डालने पर विचार हो रहा है। एक सिलेंडर के लिए 914.50 रुपये का भुगतान किया जाएगा। भुगतान साल में दो बार होगा। पहली किस्त दिवाली में भेजने की योजना है। दूसरा सिलेंडर होली में देने की योजना है।
मोदी की काशी का हाल
सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी की बात करें तो रसोई गैस सिलेंडर महंगा होने से बड़ी संख्या में उज्ज्वला लाभार्थी एलपीजी से खाना नहीं पका रहे हैं। केंद्र ने 400 रूपए की छूट जरूर दी है। इससे कितना फर्क पडेगा। ये भविष्य पर निर्भर है। वाराणसी में कोई छह माह, कोई एक साल से सिलेंडर नहीं खरीद रहा। कंपनियों के आंकड़ों के अनुसार 25 फीसदी अर्थात करीब 58 हजार लाभार्थी एलपीजी सिलेंडर का उपयोग लंबे समय से नहीं कर रहे हैं।
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