सियासत: अभी तक Nikay Chunav के लिए नारा नहीं तलाश पाई BJP
निकाय चुनाव (Nikay Chunav) को मिशन 2024 का सेमीफाइनल करार दिया जा रहा है। इसको देखते हुए सभी दलों के बीच एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है।
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क/मनीष श्रीवास्तव। निकाय चुनाव (Nikay Chunav) को मिशन 2024 का सेमीफाइनल करार दिया जा रहा है। इसको देखते हुए सभी दलों के बीच एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ मची हुई है। भाजपा ने भी प्रथम चरण के उम्मीदवारों का एलान करने के बाद चुनाव प्रचार न सिर्फ तेज कर दिया है बल्कि प्रदेश के अधिकांश वार्डों में कमल खिलाने के दावे करने भी शुरू कर दिए हैं। भाजपा के दावों से इतर अभी तक पार्टी ने कार्यकर्ताओं में जोश भरने वाले चुनावी नारे ऐलान तक नहीं किया है।
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव ((Nikay Chunav) की रणभेरी भेदने के साथ ही सबकी नजरें सत्तारूढ़ पार्टी (ruling party) भाजपा पर टिकी हैं। 2017 के निकाय चुनाव में भाजपा ने “हर वार्ड में कमल निशान विकास की यही पहचान” का नारा देकर जोश भरने का काम किया था। बाकायदा इस नारे को प्रदेश भर के लेकिन इस बार भाजपा की फिजाओं से निकाय चनाव के लिए चुनावी नारा गायब नजर आ रहा है। दूसरे चरण का नामांकन शुरू होने के बावजूद अभी तक भाजपा का ध्यान चुनावी नारे पर कतई नजर नहीं आ रहा है। ये हाल तब है जब भाजपा के प्रदेश स्तर के दिग्गज नेता लगातार बूथ स्तरीय मैनेजमेंट को मजबूत करने की तरफ ध्यान दे रहे हैं।
कार्यकर्ताओं में जोश का संचार करता है चुनावी नारा
चुनावी जंग में नारों की भूमिका बेहद अहम होती है। जिससे गांवों से लेकर शहरों तक आम जनता से लेकर कार्यकर्ताओं में एक जोश का संचार होता है। निकाय चुनाव के दौरान 2017 में भाजपा के चुनावी नारे से आम जनता ने कमल निशान को विकास की पहचान माना था। लेकिन इस बार भाजपा के किसी भी नेता ने चुनावी नारे की ओर गम्भीरता से काम नहीं किया। भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक निकाय चुनाव के लिए इस बार बुलडोजर बाबा (Buldozer Baba) ही भारी हैं।
जल्द ही बैठक करके चुनावी नारा तय होगा- भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने संदेश वाहक (Sandesh Wahak) को बताया कि अभी निकाय चुनाव के लिए कोई चुनावी नारा तय नहीं किया गया है। लेकिन अगले एक दो दिन में बैठक करके जल्द ही चुनावी नारे को तय किया जाएगा।
पिछली बार से अपनी बढ़त बढ़ाने पर रहेगा जोर
निकाय चनाव में निर्दलीय प्रत्याशी (Independent candidate in municipal elections) सभी दलों की राह में कांटें बिछाने का काम करते रह हैं। भाजपा भले 2014 से विजय रथ पर सवार है, लेकिन उसके लिए भी निर्दलीय सरदर्द बढ़ाएंगे। निकाय चुनाव में इस बार भाजपा की नजर अपनी बढ़त को बनाए रखते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बढ़त बनाए रखने पर है।
14 महापौर के साथ पिछली बार नगर निगमों में पार्षदों के भी करीब 46 प्रतिशत पद भाजपा के खाते में गए थे। दूसरे नंबर पर निर्दलीय थे, जिन्होंने 17 प्रतिशत से अधिक सीटों पर जीत हासिल की थी। 2017 में नगर पालिका अध्यक्ष के 35 प्रतिशत पद भाजपा जीत पाई थी। करीब 22 प्रतिशत पदों पर निर्दलीय ने कब्जा जमाया था। भाजपा को नगर पंचायत के अध्यक्ष की 23 प्रतिशत सीटों पर ही जीत मिली थी। 41 प्रतिशत से अधिक पद तो निर्दलीयों के खाते में गए थे। नगर पंचायत सदस्य के तो 71 प्रतिशत से अधिक पदों पर निर्दलीय काबिज हुए थे।
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