रामजी लाल सुमन के विवादित बयान पर सियासी संग्राम, अखिलेश यादव ने भाजपा को दी चेतावनी

Sandesh Wahak Digital Desk: समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और सांसद रामजी लाल सुमन के राज्यसभा में दिए गए बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सुमन ने गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा करते हुए बाबर और औरंगजेब के मुद्दे पर टिप्पणी की, जिसके बाद सियासी माहौल गरमा गया। सुमन ने राणा सांगा को लेकर विवादित बयान दिया, जिसके बाद भाजपा और सपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया।
अखिलेश यादव का भाजपा पर हमला
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बयान के बाद भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, “भाजपा को इतिहास के पन्ने पलटना बंद कर देना चाहिए।” उन्होंने सवाल उठाया कि भाजपा के लोग औरंगजेब पर चर्चा क्यों कर रहे हैं, जबकि सपा सांसद ने सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों को सामने रखा था। अखिलेश ने यह भी कहा कि अगर भाजपा इतिहास के पन्ने पलटने की प्रक्रिया जारी रखती है, तो बहुत कुछ और भी सामने आ सकता है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “जब छत्रपति शिवाजी महाराज का तिलक होना था, तब कुछ लोगों ने तिलक कराए जाने से इनकार किया था। क्या भाजपा उस घटना की निंदा करेगी?” अखिलेश ने भाजपा से अनुरोध किया कि वह विवादित ऐतिहासिक मुद्दों को उठाना बंद करे और देश में आपसी सद्भाव बनाए रखने की दिशा में कदम उठाए।
रामजी लाल सुमन ने दी सफाई
राज्यसभा में रामजी लाल सुमन के बयान के बाद सियासी विवाद बढ़ने पर उन्होंने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। उन्होंने कहा, “मेरा मकसद सिर्फ ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाना था, न कि किसी समुदाय या व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाना।”
सुमन ने कहा, “बीजेपी का यह तकियाकलाम बन गया है कि सभी को बाबर का डीएनए बताया जाता है। लेकिन भारत का मुसलमान बाबर को नहीं, बल्कि मोहम्मद साहब और सूफी-संतों को आदर्श मानता है। बाबर को भारत कौन लाया था? इब्राहीम लोदी को हराने के लिए राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था।” हालांकि, इस दौरान उन्होंने राणा सांगा को गद्दार कह दिया, जिससे विवाद पैदा हो गया।
सुमन ने यह भी कहा कि बाबर, औरंगजेब और मुस्लिमों के बारे में विवादित बयानबाजी बंद होनी चाहिए, ताकि देश में सांप्रदायिक सद्भाव बना रहे।
राजनीतिक हलकों में सुमन के बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जहां भाजपा ने इसे गलत और असंवेदनशील करार दिया है, वहीं सपा इसे एक ऐतिहासिक तथ्य के रूप में पेश कर रही है। इस विवाद ने एक बार फिर से देश में ऐतिहासिक मुद्दों को लेकर राजनीति को गरमा दिया है।
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