पौधरोपण घोटाला : खेल के आरोपी 18 तत्कालीन डीएफओ पर मेहरबानी

प्रधान महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट ने किया था बेनकाब, जेसीबी के नंबर पर बाइक और स्कूटर थे रजिस्टर्ड

Sandesh Wahak Digital Desk : प्रदेश के वन विभाग का घोटालों से पुराना रिश्ता है। खासतौर पर बसपा और सपा सरकारों के दौरान यहां तैनात रहे अफसरों ने खूब खेल किये। हाल ही में वन विभाग में मनमाने तरीके से हुए तबादलों पर विभागीय मंत्री की शिकायत के बाद हड़कंप ही मच गया था।

लेकिन शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाने वाले अफसरों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तर्ज पर पौधरोपण अभियान में योगी सरकार के सत्ता में आने के शुरुआती तीन साल के भीतर 18 डीएफओ के ऊपर करोड़ों के घोटाले का आरोप लगा था।

प्रधान महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट ने खुलासा

प्रधान महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट ने खुलासा किया था कि साल 2017, 2018 और 2019 में विभाग ने जो पौधरोपण के बिल पेश किए, उसमें गड्ढे खोदने और दूसरे कार्यों के लिए जिन जेसीबी मशीन का इस्तेमाल किया गया उनके नंबर दरअसल स्कूटर और मोटरसाइकिल के थे। यानी वृक्षारोपण के लिए गड्ढे खोदने के लिए जेसीबी मशीन का नहीं बल्कि स्कूटर का इस्तेमाल किया गया और उसकी एवज में सरकार से भुगतान भी लिया गया। घोटाला करोड़ों में था।

जांच में यह भी पता चला, मिट्टी का कार्य करने के लिए, पौधों के लिए गोबर ढोने के लिए और पौधों की सिंचाई करने के लिए जिन गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया वह भी स्कूटर और मोटरसाइकिल के नंबर ही थे। शुरूआती जांच में कुल 662 फर्जी वाउचर पकड़ में आए थे। जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए। लेकिन इस खेल में शासन के जिन अफसरों की संलिप्तता होने का शक था।

घोटाले के दौरान इन आरोपी डीएफओ को शासन के अफसरों का संरक्षण बताया जा रहा

उनको जांच के दायरे से बाहर रखा गया। घोटाले के दौरान इन आरोपी डीएफओ को शासन के अफसरों का संरक्षण बताया जा रहा था। तत्कालीन वन विभागाध्यक्ष सुनील पांडेय ने शासन के आदेश पर सभी आरोपी 18 डीएफओ से दो साल पहले स्पष्टीकरण भी मांगा था। इनके जवाब से शासन भी संतुष्ट नहीं था। इसके बावजूद करोड़ों के घोटाले पर सख्त कार्रवाई से परहेज किया गया। फिलहाल वन विभाग के अफसरों के भ्रष्टाचार के तमाम कारनामें शासन की फाइलों में कैद हैं।

इन 18 तत्कालीन डीएफओ की फंसी थी गर्दन

महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट के बाद 18 तत्कालीन डीएफओ की गर्दन फंसी थी। उनमें झांसी के मनोज शुक्ला, ललितपुर के वीके जैन, हमीरपुर के सुंदर पांडे, लखनऊ के मनोज सोनकर, बलिया के महावीर, कतर्निया घाट के जीपी सिंह और लखीमपुर नार्थ खीरी के डॉ. अनिल पटेल समेत कई डीएफओ शामिल थे। ये वन अफसर कई सालों तक संबंधित जिलों में तैनात रहे हैं।

शासन के मुखिया भी कम नहीं

वन विभाग में तैनात रहे प्रमुख सचिवों पर भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। पूर्व में तैनात रहे संजीव सरन और चंचल तिवारी  ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। सरन के ऊपर पूर्व आईएफएस एके जैन ने विदेशों में होटल व अकूत सम्पत्तियां होने का आरोप भी लगाया था।

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