संसद की समिति ने यूं ही नहीं की IAS के संपत्ति ब्यौरे की जांच की सिफारिश
संसद की एक समिति ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से आईएएस (IAS) अफसरों के सम्पत्ति ब्यौरों को जांचने के लिए एक तंत्र बनाने की सिफारिश की है।
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क/लखनऊ। संसद की एक समिति ने केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से आईएएस (IAS) अफसरों के सम्पत्ति ब्यौरों को जांचने के लिए एक तंत्र बनाने की सिफारिश की है। बीते दस वर्षों में तकरीबन डेढ़ हजार अफसरों ने अपने सम्पत्ति ब्यौरों को डीओपीटी में नहीं जमा किया है। यूपी समेत देशभर के आईएएस अफसरों के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामलों की जांचें तमाम एजेंसियां कर रही हैं। ऐसे में सम्पत्ति का स्वघोषित ब्यौरा कितना प्रामाणिक है, इसकी जांच बेहद जरुरी है। साथ ही कई घोटालों में अफसरों ने हाथ काले कर रखे हैं।
डीओपीटी के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष अभी तक 460 आईएएस अफसरों ने अपने सम्पत्ति ब्यौरे को दाखिल किया है। वहीं वीआरएस (VRS) मांगने वाले अफसरों के साथ 16 आईएएस (IAS) ऐसे भी हैं। जिन्होंने आईपीआर (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राईट) नहीं जमा किया। इनमें एक ऐसे भी वरिष्ठ आईएएस हैं। जिनके ऊपर आयकर विभाग का शिकंजा कसा हुआ है। इसी तरह हजारों करोड़ के खनन घोटाले की जांच में कई आईएएस फंसे हैं। इन अफसरों के पास भी अकूत सम्पत्तियां बताई जा रही हैं।
कौडिय़ों के भाव संपत्तियां दिखाने का खेल
एक तो आईएएस (IAS) ऐसे भी हैं, जिनके डीएम रहते जब सीबीआई ने इसी घोटाले में छापा मारा तो 50 लाख रुपए बरामद हुए थे। इनके आईपीआर में पांच सम्पत्तियों का जिक्र है। अधिकांश पिता द्वारा खरीदना दिखाया गया है। बाराबंकी की जमीन इस आईएएस ने नौ लाख में खरीदी, जिसकी कीमत आज 15 लाख बताई है। हकीकत में इसका मूल्य कहीं अधिक होगा। इसी तरह एक व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स भी दिखाया है। जिसकी वर्तमान कीमत 50 करोड़ है। सिर्फ यही नहीं एक महिला आईएएस ऐसी भी हैं। जिनके ठिकानों पर छापेमारी के बाद सीबीआई को तकरीबन दो सौ करोड़ की सम्पत्तियां पता चली थी। लेकिन इनके आईपीआर में सिर्फ एक सम्पत्ति ही दिखाई गयी है जो गैर प्रदेश में है।
एक प्रमुख सचिव ने नौ सम्पत्तियां प्रॉपर्टी रिटर्न में कौडिय़ों के भाव दर्शाई
बारी अब सचिव रैंक के एक आईएएस की है। जो अखिलेश सरकार के दौरान बेहद ताकतवर अफसर था। इसकी खनन से लेकर मनरेगा घोटाले समेत कई बड़े मामलों में फंसी है। इसकी नौ सम्पत्तियां हैं। जिसमें अधिकांश खुद खरीदी हैं। लेकिन कीमत बेहद कम दिखाई गयी है। इस अफसर ने अंसल में ढाई करोड़ का आशियाना भी लिया है। इसी तरह कभी परिवहन में रहे एक प्रमुख सचिव ने भी नौ सम्पत्तियां प्रॉपर्टी रिटर्न में कौडिय़ों के भाव दर्शाई हैं। बाहरी प्रदेशों में भी इस आईएएस के पास सम्पत्तियां हैं। लखनऊ के मोहनलालगंज, मस्तेमऊ और गोमतीनगर विस्तार में भी इस आईएएस की कई कीमती सम्पत्तियां हैं।
एक ऐसी महिला आईएएस भी हैं जिनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सीबीआई अभियोजन मंजूरी वर्षों से मांग रही है। इनकी सम्पत्तियां नाबालिग बेटी के नाम पर भी हैं। अधिकांश सम्पत्तियां कर्नाटक में हैं। लखनऊ में भी सम्पत्ति है जिसको कौडिय़ों के भाव दिखाया है।
बाकी सेवाओं के लिए भी अनिवार्य करने पर जोर
यूपी में अपर मुख्य सचिव के पद से कुछ समय पहले रिटायर एक वरिष्ठ आईएएस के मुताबिक सम्पत्तियों की कीमतें इसलिए कम दिखाई जाती हैं क्योंकि खरीदे जाने के समय उनकी कीमत काफी कम होती है। लेकिन आईएएस अफसरों के आईपीआर की जांच के लिए अगर तंत्र बनाने की पहल हो रही है तो बाकी सेवाओं के लिए भी इसे अनिवार्य बनाना चाहिए।
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