ब्रिटेन के बैंकों में रोज बंद हो रहे एक हजार खाते, सांसदों के अकाउंट्स भी शामिल, जानें वजह
Sandesh Wahak Digital Desk: ब्रिटेन के बैंकों में खाते बंद करने का सिलसिला लगातार जारी है. बैंकों के ऐसा करने से छोटे और मझोले व्यवसायियों की परेशानियां बढ़ गई हैं. इतना ही नहीं, बंद किये जा रहे बैंक खातों में वहां के सांसदों के अकाउंट्स भी शामिल हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, ब्रिटेन के बैंक रोज करीब एक हजार से अधिक खाते बंद कर रहे हैं. गार्जियन की रिपोर्ट के अनवर, इसके पीछे की बड़ी वजह नया डेटा बताया गया है, जिससे तथाकथित ‘डीबैंकिंग’ पर विवाद बढ़ गया है.
यूनाइटेड किंगडम इंडिपेंडेंस पार्टी के नेता निगेल फराज ने ‘घोटाले’ की जांच के लिए एक रॉयल कमीशन के गठन का आह्वान किया था. फराज ने कहा कि वह उन लोगों की ओर से अभियान चलाने के लिए एक वेबसाइट शुरू कर रहे हैं, जिनके खाते बंद कर दिए गए थे.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय आचरण प्राधिकरण से सूचना की स्वतंत्रता के तहत मांगी गई जानकारी से प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि साल 2016-17 में बैंकों द्वारा 45 हजार से अधिक खातों को बंद कर दिया गया था. वहीं, साल 2021-22 में इसकी संख्या बढ़ते हुए 3 लाख 43 हजार से अधिक हो गई. मतलब कि सप्ताह के हर बिजनेस डे में करीब एक हजार से अधिक खातों को बंद किया गया, जिसकी जानकारी अकाउंट होल्डर्स को नहीं दी गई.
बैंक खाते बंद करने की कार्रवाई में निगेल फराज का अकाउंट भी शामिल है. फराज ने कहा था कि उन्हें समस्या की जांच के लिए एक शाही आयोग स्थापित करने में खुशी होगी, बशर्ते यह जल्द से जल्द हो. देश में ज्यादातर छोटे व्यवसायी हैं. ब्रिटेन के बैंकों के इस कदम से लोग पूरी तरह भय और आतंक में हैं. जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं, हजारों लोगों का व्यवसाय बंद हो गया है. ये वो लोग हैं जिन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. लेकिन उनको इसका खामियाजा उठाना पड़ रहा है.
उधर, ब्रिटेन के कुछ राजनेताओं को भी बैंकों ने ठुकरा दिया है. क्योंकि यह अनुमान लगाया गया था कि करीब 90 हजार व्यक्तियों को ‘राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्तियों’ के रूप में कैटेगराइज्ड किया गया है. इनमें ब्रिटेन के कुछ सांसद भी शामिल हैं. ब्रिटेन के ऊर्जा सचिव ग्रांट शाप्स ने खुलासा किया कि वह और उनका परिवार ‘डीबैंकिंग’ का शिकार हुए हैं, क्योंकि वह राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्ति हैं. उन्होंने कहा कि एक बैंक ने उन्हें ग्राहक बनने से पहले 18 साल की भुगतान पर्ची की मांग की थी.
एफसीए का कहना है कि बैंकों की तरफ से बढ़ाई गई निगरानी से खाता बंद होने में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है. हम जानते हैं कि वित्तीय अपराध के कारण बैंकों ने जिन ग्राहकों के साथ कारोबार करना बंद कर दिया है, उनकी कुल संख्या 0.2 फीसदी से कम है. वित्तीय अपराध से निपटना एफसीए की प्राथमिकता बनी हुई है. हमने देखा है कि कंपनियां पिछले कुछ सालों में खातों की निगरानी बढ़ा रही हैं, जिससे आंकड़ों में बढ़ोतरी हो सकती है.
यूके सरकार ने बैंक खाता बंद करने के नियमों में बदलाव की योजना की भी घोषणा की, जिसमें बैंकों को लंबे समय तक नोटिस देने की जरूरत भी शामिल है.
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