आयुष विभाग में रसूखदार डॉक्टरों का जलवा, वर्षों से एक ही जिले में तैनाती के बावजूद शासन ने तबादला सत्र किया शून्य

Sandesh Wahak Digital Desk: डेढ़ दशक एक जिले में गुजारने वाले आयुष विभाग के तमाम रसूखदार डॉक्टरों का तबादला आज तक नहीं हुआ। मुख्यमंत्री के आदेश पर तबादला सत्र आया तो येन केन प्रकारेण शासन ने स्थानांतरण सत्र ही शून्य घोषित कर दिया। जरूरतमंद डॉक्टर/कर्मी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

स्थानांतरण की बाट जोह रहे सैकड़ों जरूरतमंदों की उम्मीदें टूटीं

रविवार को शासन में आयुष विभाग के अनुभाग दो से एक आदेश जारी किया गया। जिसके मुताबिक आयुष विभाग (आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथिक) के कर्मियों और अफसरों के तबादले के संबंध में प्रस्ताव/अभिलेख देर से उपलब्ध कराये गए। साथ ही इन प्रस्तावों में कई विसंगतियां भी हैं।

तबादलों की समयसीमा 30 जून तक होने के कारण इन्हे दुरुस्त करना भी सम्भव नहीं है। जिसको देखते हुए प्रमुख सचिव आयुष लीना जौहरी ने तबादला सत्र को शून्य घोषित कर दिया है। शासकीय हित में जरूरी होने पर समय सीमा के विस्तार के लिए मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिए जाने की बात भी आदेश में है।

प्रस्ताव में विसंगतियों और देरी के जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं?

आयुष तकरीबन एक सैकड़ा से ज्यादा तबादले के लिए अर्जियां लगाई थीं। शासन के फैसले के बाद सभी की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। दाम्पत्य नियम के बावजूद दर्जनों पति पत्नी भी सैकड़ों किमी दूर तैनात हैं। कई दिन पहले उपलब्ध कराये गए प्रस्ताव को समय से जांचा जाता तो तबादला सत्र शून्य होने की नौबत ही नहीं आती, लेकिन शासन ने इसके लिए किसी भी अफसर की न ही जिम्मेदारी तय की और न ही जांच के आदेश दिए।

पिछले वर्ष लगे थे तबादलों में गड़बड़ियों के आरोप

पिछले वर्ष भी आयुष विभाग के तबादलों में गड़बडिय़ों के आरोप लगे थे। विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिंह ने  जांच के निर्देश दिये थे। आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र ने कहा था कि लखनऊ मंडल में 88 आयुर्वेद डॉ. 10 वर्ष से अधिक समय से तैनात थे। 63 डॉ. का स्थानांतरण नहीं हुआ था।

कहीं मंत्री और प्रमुख सचिव में अंदर से ठनी तो नहीं!

सूत्रों के मुताबिक मनचाहे तबादलों के लिए शासन पर खासा दबाव है। आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र के आगे झुकने को प्रमुख सचिव लीना जौहरी तैयार नहीं है। शासन ने क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों की डीपीसी पिछले वर्ष की थी। उनको नई तैनाती तक नहीं दी गयी। कई अफसर रिटायर भी हो गए। लखनऊ के प्रभारी क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ राजकुमार यादव जैसे रसूखदारों के कारण मंत्री के दबाव में शासन चुप्पी साधे है।

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