‘यह राजनीतिक खेल बंद होना चाहिए’, मणिपुर हिंसा पर बोले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते

Sandesh Wahak Digital Desk: स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते सुगाता बोस ने मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर चिंता जताई है. मणिपुर समस्या का हल बताते हुए पूर्व सांसद ने कहा कि सभी तीनों समुदायों-मैतई, कुकी और नगा को एक साथ लाकर उनके बीच पावर शेयरिंग एग्रीमेंट करके ही शांति लाई जा सकती है. हमें तीनों समुदायों को साथ लाने के लिए उनके पूर्व में अंग्रेजों के खिलाफ किए गए सशस्त्र संघर्ष की विरासत को अपनाने की जरूरत है.

सुगाता ने कहा कि ‘मणिपुर में हालात बेहद चिंताजनक हैं. अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ खड़ा किया जा रहा है. यह राजनीतिक खेल बंद होना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि केंद्र में निर्णय लेने में पूर्वोतर के बाकी हिस्सों की तरह मणिपुर को भी आवाज दी जानी चाहिए.

इतिहास बताते हुए सुगाता ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भी साल 1944 में अपनी अग्रिम पंक्ति के सैनिकों से मिलने के लिए चुराचांदपुर के पास आईएनए शिविर का दौरा भी किया था. यहां उन्होंने कई ग्रामीणों से भी बात की थी. बड़ी संख्या में मणिपुरी युवा आईएनए के मार्च में शामिल हुए थे और बिष्णुपुर और उखरुल जिले के युद्धक्षेत्रों में कंधे से कंधा मिलाकर लड़े थे. मणिपुर के इन स्वतंत्रता सेनानियों में राज्य के पहले सीएम एम कोइरेंग सिंह भी शामिल थे.

बता दें कि मणिपुर में मैतई समुदाय को जनजातीय आरक्षण का लाभ देने के अदालत के फैसले के बाद से बीती तीन मई से राज्य में हिंसा हो रही है. इस हिंसा में अभी तक 175 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग अपने घरों से पलायन करके शरणार्थी कैंपों में रहने को मजबूर हैं.

 

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