नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते ने छोड़ा BJP का दामन, कहा- वादे पूरे नहीं किये
Sandesh Wahak Digital Desk: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र बोस ने बुधवार को यह कहते हुए भाजपा से इस्तीफा दे दिया कि पार्टी ने नेताजी के दृष्टिकोण को प्रचारित करने के वादे पूरे नहीं किये। चंद्र बोस साल 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे और उन्होंने दो बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। वह साल 2016 में विधानसभा चुनाव और साल 2019 में लोकसभा चुनाव लड़े थे।
चंद्र बोस ने कहा कि ‘जब मैं भाजपा में शामिल हुआ तो मुझसे वादा किया गया था कि मुझे नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शरत चंद्र बोस की समावेशी विचारधारा का प्रचार करने की अनुमति दी जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।’
#WATCH | Kolkata: On his resignation from the BJP, Netaji Subhash Chandra Bose's nephew, Chandra Kumar Bose says, "In 2016, I had contributed to the BJP. I was inspired by the leadership of Narendra Modi. My principles are in line with my grandfather Sarath Chandra Bose and his… pic.twitter.com/DTSW2NH8Fp
— ANI (@ANI) September 6, 2023
बोस को साल 2016 में भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, लेकिन साल 2020 के संगठनात्मक फेरबदल के दौरान पद से हटा दिया गया।
उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे अपने त्यागपत्र में कहा कि ‘तब मेरी चर्चा (भाजपा के साथ) बोस बंधुओं (नेताजी और उनके बड़े भाई शरत चंद्र बोस, जो स्वतंत्रता सेनानी थे) की समावेशी विचारधारा पर केंद्रित थी। तब और बाद में भी मेरी समझ यह रही कि मैं इस विचारधारा को भाजपा के मंच पर पूरे देश में प्रचारित करूंगा।’
त्यागपत्र में कहा गया कि ‘धर्म, जाति और पंथ से परे सभी समुदायों को भारतीय के रूप में एकजुट करने की नेताजी की विचारधारा का प्रचार करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ भाजपा के ढांचे के भीतर आजाद हिंद मोर्चा बनाने का भी निर्णय लिया गया।’ उन्होंने कहा कि देश को एकजुट रखने के लिए यह जरूरी है।
चंद्र बोस ने कहा कि ‘इन प्रशंसनीय उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए मेरे प्रयासों को केंद्र या पश्चिम बंगाल में राज्य स्तर पर भाजपा से कोई समर्थन नहीं मिला है। मैंने राज्य के लोगों तक पहुंचने के लिए बंगाल की रणनीति का सुझाव देते हुए एक विस्तृत प्रस्ताव रखा था। मेरे प्रस्तावों को नजरअंदाज कर दिया गया।’
इसके अलावा, बोस ने कई मुद्दों पर राज्य नेतृत्व पर बार-बार निशाना साधा और पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर 2019 में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का भी विरोध किया। उनके इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि काफी लंबे समय से वह पार्टी के संपर्क में नहीं थे।
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