नकारा तंत्र: भूमाफियाओं की कब्जेदारी से खत्म हो रहा तालाबों का अस्तित्व
Sandesh Wahak Digital Desk/Arvind Singh Chauhan: जिम्मेदारों की भ्रष्टाचारी रवैया के चलते गांवों और कस्बों नगर पंचायतों में स्थित तालाबों का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर है।
कागजों पर भले ही इन तालाबों की संख्या तमाम दरसाई दिखाई दे रही हो। मगर हकीकत यह है कहीं पर एक दो तालाब बचें हो अन्य तालाबों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है, क्योंकि जनप्रतिनिधियों एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिली भगत की वजह से भूमाफियाओं ने कब्जा करके उन पर इमारतें खड़ी कर दी है।
तहसील सरोजनीनगर क्षेत्र के गांवों कस्बों नगर पंचायतों तालाब लगभग विलुप्त हो चुके हैं। कागजों पर उनकी संख्या पहले जैसी दिखाई दे रही है। परंतु हकीकत में यह तालाब कहां पर हैं? यह दिखाई नहीं दे रहा है। इन पर अवैध तरीके से दबंग भूमाफियाओं द्वारा कब्जा करके स्वयं इमारतें बनाकर दूसरों के हाथ सौदा कर लिया गया।
तालाबों पर दबंगों का कब्जा
बताते हैं कि अधिकांश जगहों पर तालाबों पर जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों की मिली भगत से तालाबों पर लगातार दबंग कब्जा करते रहे हैं और कर रहे हैं। फिर भी इन पर रोकथाम लगाने के लिए जनता द्वारा चुने गए जिम्मेदार जनप्रतिनिधि इन तालाबों का अस्तित्व बचाने के बजाय इसको मिटाने पर आमादा है।
इन भूमाफियाओं और जनप्रतिनिधियों तथा राजस्व विभाग की जुगलबंदी के चलते लगातार तालाब जैसी अन्य तमाम सरकारी जमीनों पर दबंग कब्जा करके उनपर निर्माण कार्य कर रहे हैं। फिर भी सब कुछ जानकर भी इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहे है इसके मायने क्या निकले जाएं। गांवों कस्बों नगर पंचायतों में तालाबों की संख्या नाम मात्र बची है।
प्रशासनिक अधिकारियों से भी कर चुके हैं शिकायत
उन पर भी कब्जा करने का प्रयास चल रहा है। समाज के कुछ जागरूक ईमानदार स्वच्छ छवि के लोग इन तालाबों के मिटते अस्तित्व को बचाने के लिए जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन उनकी इन बातों पर ध्यान न देकर प्रार्थना-पत्रों को रद्दी टोकरी में डाल दिये जाते है। इन जमीनों पर जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों का पूरा हस्तक्षेप होता है, लेकिन जब उनकी मिली भगत से ही जमीन पर कब्जे दरी जैसे कार्य हो रहे हो तो अन्य के द्वारा की जा रही शिकवा शिकायत पर कौन ध्यान दें।
फिलहाल जिस तरीके से तहसील सरोजनीनगर क्षेत्र में दबंग भूमाफियाओं और जनप्रतिनिधियों तथा राजस्व विभाग की मिली भगत से सरकारी जमीनों पर कब्जा करने का सिलसिला जारी है। आने वाले समय में क्या सरकारी जमीनें हकीकत में जमीन पर दिखाई देगी या फिर यह कागजों पर ही शोभा बढ़ती रहेगी यह भी सोचने वाला बिंदु है।
तालाब की मिट्टी से रोजी-रोटी चलाने वाले कुम्हार भी परेशान
तालाबों के मिटते अस्तित्व के कारण कुम्हार समाज के लोगों के लिए मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है। कुछ गांवों कस्बों नगर पंचायतों में इन कुम्हारों के लिए मिट्टी के बर्तन बनाने को लेकर मिट्टी दूसरे स्थान से साधनों को लेकर लानी पड़ रही हैं। जिसमें इन लोगों को पुलिस का उत्पीडऩ भी इनको झेलना पड़ता है।
पशु-पक्षियों के सामने पीने के पानी का संकट
तालाबों का अस्तित्व खत्म होने से पशु-पंछियों के लिए इन भीषण गर्मी के दिनों में पीने के पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी हैं। तालाबों में गर्मी के दिनों में पानी भरा रहता था। उनमें पशु-पंछी खूब नहाते थे और पानी पीते थे। तालाब न होने से इन पशु-पक्षियों के सामने समस्या भीषण रूप धरण कर चुकी है और अब लोग अपने दरवाजो पर एवं छतों के ऊपर बर्तनों में पानी रख रहे हैं।
जिनसे पंछी प्यास बुझा रहे हैं। पशुओं को लोग जैसे तैसे मेहनत कर अपने घरों में पानी पिलाकर कभी-कभार उनको नहला देते हैं, लेकिन तालाबों में जब पानी भरा रहता था उसमें पशु-पक्षी अपने मन माफिक नहाने और पानी पीने के साथ भरपूर आनंद लेते थे। दबंग भू माफियाओं जनप्रतिनिधियों और राजस्व विभाग की हरकत से इन बेजुबान पशु-पक्षियों के नहाने और पानी पीने में भी दिक्कत पैदा कर दी है।
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