समर्थन की दरकार, नुमाइंदगी से इनकार, …हैसियत आपकी वोटों से ज्यादा क्या है

Sandesh Wahak Digital Desk: टाफियां मांगते बच्चों से ज्यादा क्या है, चमचमाते हुए सिक्कों से ज्यादा क्या है, क्या कभी आपने सोचा है मुसलमानों ये, हैसियत आपकी वोटों से ज्यादा क्या है…किसी प्रख्यात शायर के इन अल्फाजों से यूपी की तकरीबन 20 फीसदी मुस्लिम आबादी को सिवाय वोटबैंक से रत्ती भर भी ज्यादा न समझने वाले सियासी दलों का असल चेहरा झलकता है। खासतौर से मुस्लिम वोटबैंक को अपनी जागीर समझने वाली समाजवादी पार्टी का।

मुलायम के दौर में सपा के अंदर भले मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व झलकता था, लेकिन अखिलेश यादव के राज में सपा मुस्लिमों के वोट के सहारे यूपी की सत्ता से लेकर संसद की दहलीज तक पहुंचने को तो बेताब है, बस प्रतिनिधित्व देना गंवारा नहीं है।

राज्यसभा के लिए सपा से घोषित तीनों उम्मीदवार

जिसका नजारा मंगलवार को राज्यसभा के लिए सपा से घोषित तीनों उम्मीदवारों के चयन में दिखा। जिसमें एक भी उम्मीदवार मुस्लिम नहीं था। सपा ने ऐसा तब किया है जब अखिलेश पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रदेश भर में पीडीए यात्राएं आयोजित हो रही हैं। लेकिन इस फॉर्मूले को जमीन पर अमलीजामा पहनाने की बारी आयी तो अखिलेश ने हाथ पीछे खींचने में एक पल भी नहीं गंवाया।

सपा ने जया बच्चन को लगातार पांचवीं बार राज्यसभा भेजा है। वहीं पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन का नाम तो और भी ज्यादा चौंकाने वाला है। इसी तरह सपा महासचिव रामजी लाल सुमन को भी राज्यसभा भेजा जा रहा है। अखिलेश ने एक भी अल्पसंख्यक नेता को राज्यसभा की उम्मीदवारी के लायक नहीं समझा, जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा गठबंधन को प्रदेश के मुस्लिम बहुल इलाकों ने 80 फीसदी वोट देकर सर माथे पर बिठाया था।

डेढ़ सौ विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटबैंक निर्णायक भूमिका में

तकरीबन डेढ़ सौ विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटबैंक निर्णायक भूमिका में है। गठबंधन के 34 मुस्लिम विधायक जीते भी। इसके बावजूद सपा ने मुस्लिमों को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राज्यसभा भेजने से परहेज किया। ये वही अखिलेश हैं, जो सीएम रहते ईदगाह पहुंचकर मुस्लिमों के रहनुमा होने का सन्देश देते नहीं थकते थे।

सियासी जानकारों के मुताबिक मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगने के कारण अखिलेश सपा के मुख्य वोटबैंक से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। सपा के कद्दावर नेता आजम के मामले में भी अखिलेश पर नजरअंदाज करने के आरोप लगे थे। तब मुस्लिम मतदाताओं को साधने के वास्ते राज्यसभा के लिए सपा से जावेद अली खां पर दोबारा भरोसा जताया गया था। जावेद को राज्यसभा की नुमाइंदगी देने के पीछे का सच ये था कि 2004 में जब सम्भल से राम गोपाल यादव ने चुनाव लड़ा तो पूरा मैनेजमेंट जावेद ने संभाला था। जिसके इनाम के तौर पर उन्हें राज्यसभा भेजा गया।

विधान परिषद में मुस्लिमों को बनाएंगे प्रत्याशी : राजेंद्र चौधरी 

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि पार्टी ने दो बार जावेद अली को राज्यसभा भेजा था। हम हिन्दू मुसलमान के नाम पर काम नहीं करते हैं। विधान परिषद् का चुनाव आएगा तो सपा मुस्लिमों को प्रत्याशी बनाएगी। समाज के बहुत सारे हिस्से हैं।

हम अगड़ा-पिछड़ा भी देखते हैं : एसटी हसन

मुरादाबाद से सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि राज्यसभा की और सीटें होतीं तो मुस्लिम उम्मीदवार बनते। हम अगड़ा पिछड़ा भी देखते हैं। मुस्लिमों को मॉरल सपोर्ट व इन्साफ सिर्फ सपा ने दिया है। सपा ने कई आरोप भी झेले हैं। सपा ने मुस्लिमों के लिए बड़ी कुर्बानियां दी हैं।

अखिलेश पर पल्लवी पटेल भड़कीं, नहीं देंगी वोट

अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने सपा के राज्यसभा प्रत्याशी को वोट न देने का एलान किया है। उन्होंने कहा कि सपा नेतृत्व ने पीडीए के नारे के विपरीत उम्मीदवार तय किए हैं। पीडीए को कुछ मदांध लोग बच्चन और रंजन बना रहे हैं।

मौलाना खालिद रशीद और अबू आजमी

मौलाना खालिद रशीद और अबू आजमी ने नहीं उठाया फोन

इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और महाराष्ट्र के सपा अध्यक्ष व विधायक अबू आसिम आजमी से भी संदेश वाहक ने इस मुद्दे पर बात करने का प्रयास किया। दोनों को कई सन्देश भी भेजे। लेकिन कॉल और संदेशों का कोई जवाब नहीं आया। वहीं सम्भल से सपा सांसद डॉ शफीकुर रहमान बर्क के अस्पताल में होने के चलते बात नहीं हो सकी।

जया बच्चन और रामजीलाल सुमन

राज्यसभा : जया, आलोक व रामजीलाल ने किया नामांकन

सपा से राज्यसभा चुनाव के लिए घोषित उम्मीदवार पूर्व सांसद रामजीलाल सुमन, जया बच्चन और पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने मंगलवार को विधानसभा पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इस मौके पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव, राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव, सांसद डिंपल यादव समेत कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

अमिताभ बच्चन और जया के पास है एक हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति

राज्यसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के तीन उम्मीदवारों यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन, चार बार की राज्यसभा सदस्य जया बच्चन और पूर्व सांसद व दलित नेता रामजी लाल सुमन ने विधान भवन के सेंट्रल हाल में मंगलवार को नामांकन किया।

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और शिवपाल यादव की मौजूदगी में इन तीनों उम्मीदवारों ने दो-दो सेटों में नामांकन पत्र दाखिल किया। नामांकन पत्र में दिये गये ब्योरे के मुताबिक सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और उनकी पत्नी जया बच्चन के पास एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। बच्चन दंपत्ति के पास 800.49 करोड़ की चल और 200.14 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है।

जया के पास 57 हजार रुपये और अमिताभ के पास 12.75 लाख रुपये नकद हैं। जया के पास 10.11 करोड़ रुपये की एफडी है, वहीं अमिताभ के नाम 120 करोड़ रुपये से अधिक की एफडी आदि चल-अचल संपत्ति है।

सवा दो करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं सुमन

सपा के राज्यसभा प्रत्याशी रामजीलाल सुमन 2.22 करोड़ रुपये की चल एवं अचल संपत्ति के मालिक हैं। सुमन ने नामांकन पत्र के साथ प्रस्तुत शपथ पत्र में अपनी संपत्ति का खुलासा किया है। उनके पास 1.85 करोड़ रुपये की अचल और 37,18,189 रुपये की चल संपत्ति हैं। रामलीलाल के खिलाफ अलीगढ़ के कोतवाली थाना में मुकदमा भी दर्ज रहा है

आलोक रंजन की संपत्ति है कुल 12.50 करोड़

आलोक रंजन और उनकी पत्नी के पास 12.50 करोड़ के मालिक हैं। दोनों पति- पत्नी के पास कुल 40 हजार नकद है। अलग-अलग बैकों में 1,42,77,924.11 रुपये था। वहीं शेयर में  2,67,26,526.31 रुपये है।

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