राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली घोटाला : फंसे तो जिम्मेदारी से भाग रहे डीआईओएस
Sandesh Wahak Digital Desk : माध्यमिक शिक्षा विभाग में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में हुए घोटाले में फंसने के बाद लखनऊ के जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश पांडेय अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। इसकी सारी जिम्मेदारी अपने मातहत बाबुओं पर डाल कर उन पर ताबड़तोड़ मनमानी कार्रवाई कर दी है। जबकि अभी तक बाबुओं के खिलाफ कोई जांच नहीं हुई है। खुद ही बाबुओं को दोषी करार दे दिया है। वहीं शासन का आदेश के मुताबिक एनपीएस की फाइल से लेकर डाटाबेस तक की सभी जिम्मेदारी डीआईओएस की है।
वाराणसी में माध्यमिक के शिक्षकों और कर्मचारियों के एनपीएस की धनराशि को अपने मनमाफिक निजी संस्थाओं में निवेश करने का खेल काफी समय से चल रहा था।
अभी तक 25 जिलों का नाम आया सामने
वहां पर अभिदाता और सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एनपीएस की धनराशि चुपचाप निजी वित्तीय संस्थानों में लगा दी गई है। फिर विभाग ने उसने तत्काल सभी जिलों से जानकारी मांगी। अभी तक 25 जिलों का नाम सामने आया है। इसमें लखनऊ भी शामिल है। यहां पर 25 करोड़ की धनराशि को खेल किया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि ऐसा सभी जिलों में हुआ है। इसमें एनपीएस के अरबों रुपए को अभिदाता की जानकारी के बिना निजी संस्थाओं के हवाले कर दिया गया है।
लखनऊ में दो बाबुओं के खिलाफ दी गई तहरीर
लखनऊ में इस घोटाले के खुलासे की बात जैसे ही ये सर्वाजनिक हुई, वैसे ही जिला विद्यालय निरीक्षक ने बाबू सर्वेश निगम और आशीष कुमार के खिलाफ वजीरगंज थाने में तहरीर देकर मुकदमा पंजीकृत करने को कहा। कारण बताओ नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब मांगा। फिर रिपोर्ट लखनऊ मंडल के जेडी प्रदीप कुमार को सौंपी। जेडी ने दोनों बाबू को निलंबित कर दिया। डीआईओएस से लेकर जेडी तक ने बिना जांच किए ही खुद ही तय कर लिया कि दोनों बाबू ही दोषी हैं, लेकिन जब जिला विद्यालय निरीक्षक की जिम्मेदारी की बात सामने आई तो कहा जा रहा है कि जांच की जा रही है।
बिना डीआईओएस की सहमति के बाबू नहीं कर सकता निवेश
बाबुओं के निलंबन के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। फिर धीरे धीरे खुलासा होने के लगा कि कर्मचारी व शिक्षक के एनपीएस की फाइल से लेकर डाटा बेस के लिए डीआईओएस उत्तरदायी होंगे। विभाग के वरिष्ठ बाबुओं से लेकर डीआईओएस तक के कई सेवानिवृत्त अधिकारी बताते हैं कि बिना डीआईओएस की सहमति के निजी संस्थाओं में निवेश बाबू अपने स्तर से नहीं कर सकता है। ऐसा हो ही नहीं सकता है कि इतनी बड़ी रकम निवेश करने की जानकारी डीआईओएस को नहीं हो।
कर्मचारियों ने शुरू किया आंदोलन
आनन फानन में सर्वेश और आशीष पर कार्रवाई के चलते कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो गया है। यूपी एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफिर्स एसोसिएशन ने ऑनलाइन मीटिंग कर तत्काल आंदोलन शुरू कर दिया है। मंडल अध्यक्ष दयाशंकर मिश्रा ने बताया कि पूरे लखनऊ मंडल में 22 तारीख तक कर्मचारी काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। उनका कहना है कि दो बाबुओं पर कार्रवाई एक तरफा और जल्दबाजी में की गई है। बिना जांच के सर्वेश और आशीष पर मुकदमा कैसे दर्ज कराया जा सकता है।
डीआईओएस के मोबाइल पर आता है ओटीपी
जानकार बताते हैं कि डीआईओएस की आईडी से जब भी कोई काम होगा, तो डीआईओएस के मोबाइल पर ओटीपी आएगा। उस ओडीपी के बिना बाबू कुछ कर ही नहीं सकता है। साथ ही जानकारों का ये भी कहना है कि खाते से जब पैसा निजी बैंक में भेजा गया तो उसका मैसेज भी डीआईओएस के मोबाइल पर आएगा। ऐसे में इसके लिए केवल बाबुओं को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
ओटीपी और मैसेज आने की नहीं है व्यवस्था
इस पूरे मामले पर तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक अमर कांत सिंह और वर्तमान जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश पांडेय अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में ना तो ओटीपी आता है और ना ही मैसेज आने की व्यवस्था है। इसमें पूरी धनराशि सुरक्षित है। केवल बाबुओं की ये गलती है कि अभिदाता से अनुमति नहीं ली है।
उच्चाधिकारी भी हैं शामिल, एसआईटी करे जांच
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष व प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि बिना डीआईओएस की मिलीभगत के ऐसा संभव नहीं है। इसमें शासन स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं। पूरा खेल पांच फीसदी कमीशन का है। अधिकारी अपनी पत्नी और निकट रिश्तेदारों को एजेंट बनाकर कमीशनखोरी के चक्कर में डीआईओएस से मिलीभगत कर ये खेल करते हैं। उन्होंने एसआईटी से जांच कराने की मांग की है।
Also Read : UP: वाराणसी के बाद लखनऊ में भी एनपीएस में घोटाला, FIR दर्ज करने के आदेश