राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन: जीएम एचआर की शैक्षिक अर्हता पर सवाल
- डिप्टी सीएम से शिकायत, जांच के आदेश
- चयन में संलग्न दस्तावेजों में छेड़छाड़ का आरोप
Sandesh Wahak Digital Desk: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की महाप्रबंधक मानव संसाधन (जीएम एचआर) पर फर्जी शैक्षिक प्रमाण लगाकर नौकरी करने के आरोप लगे हैं। मामले की शिकायत उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से की गई है। शिकायत के बाद उप मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच आख्या तलब की गई है। आरोप है कि जीएम एचआर शैक्षिक अहर्ता के मानक को पूरा नहीं कर रही है। फर्जी अभिलेख लगाकर नौकरी कर रही हैं। अब जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा की आरोप सही हैं अथवा फर्जी।
कैसरबाग निवासी सुधीर प्रजापति ने उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से प्रकरण की शिकायत की थी। शिकायत में उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय में संविदा के आधार पर तैनात जीएम एचआर सुधा यादव की एमबीए की डिग्री टियर-1 कॉलेज, इस्टीट्यूशन से नहीं है। न ही प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार सुधा यादव को 12 वर्ष का अनुभव है। सुधा का चयन विभाग द्वारा गलत ढंग से किया गया है। सुधा यादव द्वारा अपने पद का दुरुपयोग किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत पूर्व में जनपदों में भर्ती प्रक्रिया में अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन भ्रष्टाचार करके किया गया। उन्होंने बताया कि उक्त आरोप निराधार नहीं हैं।
आरटीआई के तहत प्राप्त हुई सूचनाओं के आधार पर शिकायत की गई है। आरोप लगाया कि सुधा यादव अपने अधीनस्थ कार्यरत कर्मचारियों को डराती-धमकाती भी हैं। शिकायतकर्ता सुधीर प्रजापति ने अपने शिकायती पत्र के साथ एक प्रमाणपत्र भी संलग्न किया, जो कि कुमाऊं विश्वविद्यालय द्वारा जारी प्रमाणपत्र है। शिकायतकर्ता का कहना है कि कुमाऊं विश्वविद्यालय टियर-टू स्तर का संस्थान है। जबकि चयन के पहले जारी विज्ञापन में टियर-वन संस्थान से एमबीए होना, मांगा गया था। दूसरी शिकायत अनुभव को लेकर सुधा यादव द्वारा मिशन को फर्र्जी जानकारी देने की की गई है। शिकायत के बाद उप मुख्यमंत्री कार्यालय से जांच आख्या तलब की गई है।
होगी जांच
प्रकरण की जांच कराई जाएगी। जो भी रिपोर्ट आएगा उच्चाधिकारियों को कार्रवाई हेतु अवगत करा दिया जाएगा- हीरालाल, अपर मिशन निदेशक, एनएचएम
कंसलटेंट को मिला अवैतनिक अवकाश
एनएचएम में कंसलटेंट दीपिका पाठक की पुनर्नियुक्ति मामले में एनएचएम प्रबंधन ने दीपिका के अवैतनिक अवकाश की स्वीकृति दी है। एनएचएम के एक अधिकारी ने बताया कि प्रबंधन यह नहीं मानता कि दीपिका ने इन्वेस्ट यूपी में मित्र के रूप में दूसरे संस्था में ज्वाइनिंग दी थी। ऐसी स्थिति में दीपिका की वापसी हो गई है, उनके एक महीने के कार्यकाल को अवैतनिक अवकाश के रूप में स्वीकृत किया गया है। गौरतलब हो कि एनएचएम कंसलटेंट दीपिका पाठक का चयन इन्वेस्ट यूपी में उद्यमी मित्र के रूप में हुआ था। ऐसे में उन्होंने ट्रेनिंग भी की थी। देवरिया में उनकी तैनाती भी हुई थी। लेकिन बाद में उन्होंने इन्वेस्ट यूपी को छोडक़र पुन: एनएचएम कंसलटेंट के रूप में ज्वाइन करने का आवेदन किया था। जिसे बाद में स्वीकार कर लिया गया। इसको लेकर कई ऐसे कर्मचारियों ने वापसी की मांग की थी कि जो पहले एनएचएम में कार्यरत रहे हैं। दीपिका पाठक की वापसी को आधार भी बनाया था। बावजूद इसके एनएचएम प्रबंधन ने उनकी वापसी नहीं कराई। ऐसे में दीपिका की पुनर्नियुक्ति विवाद का विषय बन गई।
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