गोंडा में 20 हजार से अधिक बच्चे कुपोषित, आंगनबाड़ी केंद्रों को 3 माह से नहीं मिला पोषाहार

बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की सरकार की मंशा पर फिर रहा पानी

Sandesh Wahak Digital Desk/A.R.Usmani: गोंडा जिले में बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है। यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पिछले तीन महीने से पोषाहार का वितरण ठप है, जिससे कुपोषण का असर बच्चों के वजन और कद पर पड़ रहा है।

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से गत नवंबर माह तक जिले के 3,02,784 बच्चों का वजन व कद मापा गया तो 20,605 बच्चों का वजन और कद औसत से कम मिला। इन्हें कुपोषित व अति कुपोषित की श्रेणी में रखा गया। इसके बाद भी इन्हें पोषण देने में लापरवाही बरती जा रही है। मेडिकल कॉलेज स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में औसत से कम वजन व लंबाई वाले कुपोषण के शिकार गंभीर बच्चों को भर्ती किया गया है।

उचित पोषक तत्व न मिलने से बच्चे हो रहे कुपोषित

छपिया के धर्मदासपुर निवासी शिवांश की उम्र दो वर्ष है, लेकिन उसका वजन 7.5 किलोग्राम व लंबाई 79 सेमी है। दो वर्ष के बच्चों की औसत लंबाई 85 सेमी और वजन 11 से 13 किलोग्राम होना चाहिए। बच्चे में काफी कमजोरी भी है। पंडरी कृपाल के सोनापार निवासी महिया बानो की उम्र दो साल चार महीने है। इसका वजन मात्र 6 किलोग्राम व लंबाई 75 सेमी है। इसी प्रकार कटरा बाजार के गौरिया निवासी तीन महीने के मयंक का वजन 3.91 किलोग्राम है। एनआईसीयू में तैनात डॉ अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि उचित पोषक तत्व न मिलने के कारण बच्चे कुपोषित हो रहे हैं। इससे उनका वजन, कद व अन्य प्रकार का विकास नहीं हो पा रहा है।

उन्होंने कहा कि यदि गर्भावस्था में मां व जन्म के बाद बच्चे को पोषाहार का उचित डोज मिलता तो बच्चा कुपोषित न होता। शहर के जानकीनगर रानीपुरवा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर 35 बच्चों का नामांकन है। इसमें कई बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्री शिवकुमारी ने बताया कि गत सितंबर में पोषाहार मिला था, लेकिन उसके बाद नहीं आया। अब गांव में गर्भवती व धात्री महिलाओं और सेंटर के बच्चों को उचित पोषण कैसे दिया जाए। अधिकारियों से कई बार कहा गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

क्या कहते हैं डीपीआरओ

जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मौर्य ने बताया कि जिले में नेफेड संस्था की ओर से पोषाहार की आपूर्ति की जाती है। तीन महीने से संस्था ने आपूर्ति नहीं की है। इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दी गई है।

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