Exclusive: यीडा में 8125 की गड़बड़ियों पर ईडी का शिकंजा, मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू
16 वर्षों के दौरान बसपा-सपा-भाजपा सरकार (योगी 1.0) में तैनात रहे अफसर रडार पर, सीएजी की रिपोर्ट पर शुरू हुई कार्रवाई

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: जिन अफसरों-नेताओं-बिल्डरों और ठेकेदारों के ताकतवर सिंडिकेट ने यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) में घोटालों की कलंक कथा लिखी है। उनके खिलाफ अब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है।
दिसंबर 2024 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने यीडा में 16 वर्षों के दौरान अंजाम दी गईं 8125 करोड़ की गड़बडिय़ों का खुलासा विधानसभा में पेश रिपोर्ट में किया था। इसी के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच के सिलसिले में यीडा के गौतमबुद्धनगर स्थित मुख्यालय से कई बिंदुओं पर जानकारियां मांगी हैं। राडार पर बसपा, सपा और मौजूदा भाजपा की सरकार में यहां तैनात रहे अफसर हैं।
यीडा के सीईओ को पत्र भेजकर ईडी ने कई बिंदुओं पर मांगी जानकारियां
‘संदेश वाहक’ के पास ईडी के लखनऊ जोनल दफ्तर में तैनात असिस्टेंट डायरेक्टर जय कुमार ठाकुर का 19 मार्च को यीडा के सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह को भेजा वो पत्र है। जिसमें कहा गया है कि 2005-06 से 2020-21 के ऑडिट पीरियड के दौरान सामने आयीं अनियमितताओं पर प्रवर्तन निदेशालय स्तर से जांच शुरू की गयी है। ईडी ने यीडा से सरकार द्वारा कराई गयी जांच व कमेटी के गठन का स्टेट्स, रिपोर्ट और शिकायतों की सत्यापित प्रति मांगी है। वहीं जांचों में दोषी अफसरों का ब्यौरा भी तलब किया है। उक्त जानकारियां पीएमएलए ऐक्ट के सेक्शन 54 के तहत ईडी ने मांगी हैं। दिल्ली मुख्यालय से हरी झंडी मिलते ही ईडी के लखनऊ जोनल दफ्तर के जॉइंट डायरेक्टर राजकुमार ने जांच शुरू करा दी है।
एजेंसी की इंटेलिजेंस यूनिट की प्रारंभिक जांच में ऐसी तमाम फर्मों का खुलासा हुआ है, जिनको यीडा से सैकड़ों करोड़ की जमीनें नियम विपरीत आवंटित की गयी। पूरा खेल काली कमाई को सफेद करने से जुड़ा है। कुछ मामलों में बिल्डर ने घोषित संपत्ति से 18 गुना अधिक कीमत पर लाखों वर्गफुट के बड़े प्लॉट खरीदे। इनके पीछे खड़े असली चेहरों को अब ईडी तलाशेगी। जांच के दौरान फर्मों में अफसरों-नेताओं की हिस्सेदारी सामने आना तय है। जिसमें कमोबेश सभी दलों से जुड़ी प्रभावशाली हस्तियां शामिल हैं।
मायावती व अखिलेश सरकार में घोटालों को दबाने के खातिर नहीं दी थी ऑडिट की मंजूरी
घोटालों को दबाने के खातिर बसपा प्रमुख मायावती से लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकारों ने यीडा के क्रियाकलापों का ऑडिट कभी नहीं करवाया। सीएजी ने जून 2012 से लेकर अप्रैल 2017 तक सरकारों से ऑडिट कराने की गुहार भी की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने जनवरी 2018 में सीएजी को ऑडिट का जिम्मा सौंपा। हालांकि जांच के दायरे में योगी 1.0 के दौरान लम्बे समय से तैनात यीडा अफसर भी हैं।
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि नौ वर्षों के बाद भी यीडा ने 52 में से 29 सेक्टरों के लिए लेआउट योजनाएं तैयार नहीं की। ख़ास बात ये है कि यीडा द्वारा भूस्वामियों से सीधे खरीदी भूमि का तत्काल दाखिल ख़ारिज नहीं कराया गया। बैंकों के पास कर्ज के तौर पर लोगों की बंधक जमीनें भी यीडा अफसरों ने साजिशन खरीद डाली। खासतौर पर 25 से 50 एकड़ के भूखंडों की योजना में विक्रय मूल्य कम निर्धारित करके करीब 500 करोड़ की चपत लगाई गयी।
2008 से 2012 के दौरान ग्रुप हाऊसिंग भूखंडों के मूल्य भी कम निर्धारित करके 125 करोड़ का नुकसान कराया गया। बिना दस्तावेज और तकनीकि अहर्ता पूरी कराये बड़े भूखंड चहेतों को इंटरव्यू के आधार पर बांटे गये। बिना हस्तांतरण शुल्क आरोपित किये पट्टों में खूब धांधलियां हैं। एक आवंटी को 103 करोड़ का लाभ मिला। 25 मामलों में 128 करोड़ अतिरिक्त भुगतान हुआ। पट्टा विलेख में देरी से 498 करोड़ की चपत लगी। 2008 से 2021 के दौरान 29009 भूखंड आवंटित हुए, पट्टा विलेख सिर्फ 10547 को हुआ। बिल्डरों को के लिए जरूरत से ज्यादा भूमि खरीदकर 160 करोड़ फंसाये गए। ठेकेदारों को अफसरों ने लाभ पहुंचाते हुए करोड़ों का कमीशन खाया है।
कटघरे में योगी के मिस्टर भरोसेमंद अरुण वीर सिंह2015 से यीडा में तैनाती का सुख भोग रहे सीएम योगी के मिस्टर भरोसेमंद सीईओ डॉ अरुण वीर सिंह की कार्यप्रणाली भी जांच के घेरे में हैं। सीएम की भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के बावजूद सीएजी को ऑडिट से जुड़े जरुरी दस्तावेज यीडा अफसरों ने देना मुनासिब नहीं समझा। सीएजी ने जवाबदेही तय करने की संस्तुति की थी। आज तक कार्रवाई नहीं हुई।अरबों के घोटाले में सीबीआई ने पूर्व सीईओ को भेजा था जेलसात साल पहले सीबीआई ने यीडा में अरबों के घोटालों पर पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता को जेल भेजा था। इन घोटालों में फंसे सपा-बसपा के चहेते बड़े अफसर जांच के दौरान बच निकले। अब ईडी के रडार पर 2005 से यमुना प्राधिकरण में तैनात रहे सभी बड़े अफसर हैं। इनमें से कई सैकड़ों करोड़ के मालिक बताये जा रहे हैं। कई ऐसे अफसर हैं जिनकी नौकरी का लम्बा हिस्सा एनसीआर में बीता है। ये अफसर बिल्डरों के एजेंट बनकर जमीनों की खरीद फरोख्त के जरिये काली कमाई को सफेद कराते हैं।4226 करोड़ की चपत, नहीं कराई विजिलेंस जांचआवासीय टाउनशिप और ग्रुप हाउसिंग योजनाएं पांच वर्षों तक लंबित रखी गयीं। 34 पट्टाधारकों पर बकाया 4226 करोड़ नहीं वसूला गया। सीएजी ने कहा था कि बिना सरकार की मंजूरी भू-उपयोग में परिवर्तन करके भूखंड आवंटित करने वालों पर अनुशासनिक कार्रवाई हो। टाउनशिप और ग्रुप हाऊसिंग भूखंडों के आवंटन में बड़ा घोटाला है। निविदादाताओं के लिए त्रुटिपूर्ण और अनुचित शर्तें बनाकर जानबूझकर लाभ दिलाया गया। साथ ही कंसोर्टियम भूखंडों के मामले में अयोग्य फर्मों को लाभ पहुंचाया गया। दोनों प्रकरणों की जांच विजिलेंस से कराने की सिफारिश सीएजी ने की थी। आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।