Money Laundering Case: हवाई यात्राओं में 52 लाख उड़ाए, ईडी को ढूंढे नहीं मिली बेनामी संपत्तियां
हजारों करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में आज तक जारी है पूर्व प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रदीप शुक्ला पर जांच एजेंसी की दरियादिली

Sandesh Wahak Digital Desk/ Manish Srivastava: एनआरएचएम घोटाले के प्रमुख खिलाडियों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कृपादृष्टि आज तक बरकरार है। घोटाले के बड़े आरोपियों की चंद सम्पत्तियां जब्त करके वर्षों से एजेंसी अपनी पीठ थपथपा रही है।

सिक्के का दूसरा पहलू ये है कि ईडी ने स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभाले तत्कालीन प्रमुख सचिव प्रदीप शुक्ला की एक भी सम्पत्ति पर नजरें टेढ़ी करना मुनासिब नहीं समझा। स्वास्थ्य मंत्री रहे अनंत मिश्रा अंटू भी मनी लांड्रिंग की जांच से पूरी तरह सेफजोन में बने हुए हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में खेल
एनआरएचएम घोटाले की सीबीआई जांच में खुलासा हुआ था कि पूर्व आईएएस प्रदीप शुक्ला और उनके परिवार ने सिर्फ हवाई यात्राओं में 52 लाख रूपए की भारी रकम तत्समय फूंकी थी। ईडी ने सात वर्ष पहले ही शुक्ला की सम्पत्तियों और बैंक खातों की अहम जानकारियां जुटाई थीं। नोटिस देने के बाद भी एजेंसी ने एक भी सम्पत्ति को जब्त करना जरुरी नहीं समझा। प्रदीप शुक्ला से ईडी ने तकरीबन आधा दर्जन मुकदमों में पूछताछ की थी। पूरी कवायद कभी इससे आगे नहीं बढ़ी।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा जैसे नेताओं को भी एजेंसी ने बख्शा
सीबीआई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक शुक्ला ने जिन घोटालेबाज़ों के लिए स्वास्थ्य विभाग को गिरवी रखा था। उन्होंने दिल खोलकर इस पूर्व आईएएस पर पैसा लुटाया था। लेकिन ईडी इस बिंदु की जांच को सिर्फ फाइलों पर दौड़ाती रही। किट सप्लाई और अस्पतालों के अपग्रेडेशन घोटालों में फंसे अधिकांश आरोपियों को मानो क्लीनचिट देकर बख्श दिया गया। नेहरू युवा केंद्र के सह समन्वयक डीके सिंह तत्कालीन एक कद्दावर आईएएस के मोहरे थे। सीबीआई को इनके पास से पांच करोड़ की बड़ी रकम मिली थी।
बताया जा रहा था कि सिंह के नाम उसी आईएएस ने लखनऊ में कई फार्महाउस से लेकर बड़ी सम्पत्तियां तक खरीद रखी थी। तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनंत मिश्रा अंटू के खिलाफ भी मनी लांड्रिंग की जांच परवान नहीं चढ़ सकी। मिश्रा की करीबियां आज भी दवा और उपकरण माफियाओं से हैं।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई छापों के दौरान तत्समय कई शहरों में सम्पत्तियों की जानकारियां सामने आयी थी। इनमें जयपुर के पास एक बड़ी सम्पत्ति भी शामिल थी। लेकिन ईडी ने इसको गंभीरता से लेना मुनासिब नहीं समझा। कुशवाहा की अधिकांश बेनामी सम्पत्तियां आज तक सेफ जोन में हैं।
पीएम मोदी की भरोसेमंद इस संवेदनशील एजेंसी में बढ़ रही विश्वासघाती अफसरों की जमात
ईडी जैसी संवेदनशील एजेंसी के भीतर बीते वर्षों में विश्वासघात करने वाले अफसरों की जमात तेजी से बढ़ी है। आठ साल पहले रिटायर होने के एक दिन पहले ईडी के तत्कालीन असिस्टेंट डायरेक्टर एनबी सिंह को लाखों की रिश्वत लेने के आरो प में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। मेरठ के दवा व्यापारी द्वारा 21 करोड़ के घोटाले के केस में राहत देने के एवज में 50 लाख रिश्वत मांगने की शिकायत पर सीबीआई ने साथी संग दबोचा था।
इस अफसर के पास एनआरएचएम घोटाले की अहम जांचें थीं। इसी मामले में तत्कालीन लखनऊ सीबीआई (एसीबी) के एसपी प्रणव कुमार और सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा के बीच कहासुनी ने सुर्खियां बटोरी थी। इसी तरह संजय शेरपुरिया के मामले में एसटीएफ को दो ईडी अफसरों की भूमिका बेहद संदिग्ध मिली थी। उन पर भी आज तक शिकंजा नहीं कसा गया।
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