MNREGA Scam: झारखंड में ईडी हीरो, उत्तर प्रदेश में जीरो

तकरीबन एक दशक की जांच के बाद भी करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग के जिम्मेदारों की अवैध सम्पत्तियां आज तक जब्त नहीं।

Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश के आईएएस अफसरों का घोटालों में जिक्र आते ही केंद्रीय एजेंसियों की जांचें भी पैसेंजर ट्रेन के माफिक हो जाती हैं। बाकी राज्यों में इन्ही घोटालों की जांचें सुपर फास्ट एक्सप्रेस की तर्ज पर दौड़ती हैं। सटीक उदाहरण अरबों के मनरेगा घोटाले की मनीलांड्रिंग जांच (Money laundering investigation of MNREGA scam) है। जिसका जिम्मा प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी के पास है। झारखंड में ईडी ने मनरेगा घोटाले में न सिर्फ महिला आईएएस पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया बल्कि 82 करोड़ की सम्पत्तियां भी जब्त की। लेकिन बीते नौ वर्षों में ईडी ने यूपी के मनरेगा घोटाले में फंसे अफसरों की सम्पत्तियां जब्त करना गंवारा नहीं समझा।

आईएएस पूजा सिंघल

झारखंड के मनरेगा घोटाले (MNREGA scams of Jharkhand) में फर्जी कंपनियां बनाकर मनीलांड्रिंग की गयी थी। यूपी का मनरेगा घोटाला तो दस हजार करोड़ से ऊपर का है। जिसको 2007 से 2010 के बीच अंजाम दिया गया था। घोटाले में करीब ढाई दर्जन आईएएस और 6 दर्जन पीसीएस समेत डेढ़ सैकड़ा अफसर फंसे थे। मनीलांड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने ताबड़तोड़ आठ केस नौ साल पहले दर्ज किये थे। लेकिन इसके बाद ईडी ने अफसरों के ठिकानों पर सिलसिलेवार छापेमारी तक करना जरुरी नहीं समझा।

झारखंड की तर्ज पर फर्जी कंपनियां बनाकर यूपी में भी इसी खेल को बखूबी अंजाम दिया होगा। लेकिन वर्षों का समय गुजरने के बावजूद ईडी के अफसर इस ट्रेल का पता नहीं लगा पाए। साथ ही खातों की जांच भी जरुरी नहीं समझी। सिर्फ सोनभद्र में ही 400 करोड़ की हेराफेरी हुई थी। तत्कालीन डीएम पंधारी यादव थे।

सीबीआई द्वारा घोटाले में गिरफ्तार बलरामपुर के तत्कालीन डीएम सच्चिदानंद दुबे की सम्पत्तियों को भी ईडी ने नहीं खोजा। जबकि सीबीआई के छापे में दुबे के पास 50 लाख रुपए भी मिले थे। मनरेगा घोटाले में कई जिलों के डीएम सीधे तौर पर फंसे थे। कई आरोपी रिटायर भी हो गए।

सच्चिदानंद दुबे

सीबीआई हजार करोड़ की धांधलियों तक भी नहीं पहुंच पाई

सीबीआई अफसर भी अभी तक एक हजार करोड़ तक की धांधलियों की जांच पूरी नहीं कर सके हैं। हाईकोर्ट ने सबसे पहले सोनभद्र, कुशीनगर, मिर्जापुर, संतकबीरनगर, बलरामपुर, गोंडा और महोबा जिलों की जांच के निर्देश दिए थे। इसके बाद पूरे प्रदेश के जिलों में मनरेगा योजना में किये गए फर्जीवाड़े की जांच होनी थी। जो फिलहाल ठन्डे बस्ते में नजर आ रही है।

फर्जी जॉब कार्डों के जरिये आज भी जारी है MNREGA Scam

इसी वर्ष मार्च में बस्ती जिले में शिकायतों को देखते हुए प्रशासन ने आधार कार्ड और जॉब कार्ड लिंक का सत्यापन करवाया, तो उनमें से 1 लाख 50 हज़ार जॉब कार्ड फर्जी पाए गए। प्रशासन ने 60 हज़ार जॉब कार्ड निरस्त कर दिए। जांच कराई जाए तो फर्जी मनरेगा मजदूरों के जरिये सरकारी धन हड़पने का ये खेल सिर्फ बस्ती ही नहीं प्रदेश के अधिकांश जिलों में मिल सकता है।

Also Read: शिकंजा: अरबों की Tax चोरी, फर्जी कंपनियों का खेल, 10 करोड़ बरामद

Get real time updates directly on you device, subscribe now.