Mission 2024: एक साल से लखनऊ नहीं आईं हैं प्रियंका गांधी, कैसे होगी नैय्या पार?
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी भी जैसे उत्तर प्रदेश को भूल गई हैं। जुलाई 2022 के बाद वह प्रदेश कांग्रेस कार्यालय तक नहीं आई हैं।
Sandesh Wahak Digital Desk: कांग्रेस सबसे पुरानी सियासी पार्टी है। इसके बावजूद देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में हाशिये पर है। मिशन 2024 के लिए एक साल से भी कम वक्त बचा होने के बावजूद कांग्रेस एक तरह से हाशिये पर ही कही जायेगी। वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में सभी दल अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए हैं, लेकिन देश की सत्ता में दोबारा आने का सपना देख रही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में निष्क्रिय दिखाई देती है। हार पर हार मिलने के बावजूद पार्टी उत्तर प्रदेश में संगठन को सुधारने का कोई भी निर्णय समय पर नहीं ले पा रही है।
मार्च 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित करने में छह महीने से ज्यादा का वक्त लग गया। नए प्रदेश अध्यक्ष को आठ महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है और राज्य का संगठन नहीं बना पाए हैं। पार्टी में भीतरी राजनीति इस कदर हावी है कि प्रदेश अध्यक्ष कोई निर्णय ही नहीं कर पाते। कई अन्य नेता सीधे ऊपर से फरमान ले आते हैं। कई नेता इसलिए खफा हैं कि उन्हें प्रियंका गांधी के निजी सचिव से तकलीफ है। पार्टी में और भी कई तरह की राजनीति है। ऐसे में लोकसभा की तैयारी हाशिये पर है।
2019 लोकसभा चुनाव में सक्रिय हुईं थी प्रियंका गांधी
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) भी जैसे उत्तर प्रदेश को भूल गई हैं। जुलाई 2022 के बाद वह प्रदेश कांग्रेस कार्यालय तक नहीं आई हैं। ऐसे में पार्टी की स्थिति का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। वह 2019 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले राजनीति में सक्रिय हुई थीं। उस समय उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का जिम्मा देते हुए पार्टी महासचिव बनाया गया था। बाद में वह उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनीं और 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए खूब प्रचार भी किया। हालांकि इस चुनाव में पार्टी की बहुत बुरी हार हुई। प्रदेश में पार्टी की हार क्यों हुई, इस हार के सबक क्या रहे और कारणों की मीमांसा कर सुधार कैसे किया जाए, यह सोचने की बजाय नेतृत्व हाथ पर हाथ धरे बैठा है। फिर लोकसभा चुनाव में चमत्कार भला कैसे होगा।
सोनिया इकलौती सांसद, विस में सिर्फ दो विधायक
सोनिया गांधी प्रदेश में कांग्रेस की एक मात्र सांसद हैं जो रायबरेली विधानसभा सीट से 2019 में चुनाव जीती थीं। वहीं 2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के सिर्फ दो नेता जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इनमें प्रतापगढ़ की रामपुर खास विधानसभा सीट से आराधना मिश्रा तीसरी बार विधायक बनकर आई थीं, जबकि महाराजगंज जिले की फरेंदा विधानसभा सीट से वीरेंद्र चौधरी विधायक बने थे। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में कांग्रेस का कोई सदस्य नहीं है और पार्टी का यही हाल विधान परिषद में भी है।
कांग्रेस नेतृत्व ने इन लोगों को दी है जिम्मदारी
- बजलाल खाबरी को उत्तर प्रदेश का नया अध्यक्ष
- नसीमुद्दीन सिद्दीकी (पश्चिम क्षेत्र के प्रांतीय अध्यक्ष)
- अजय राय (प्रयागराज क्षेत्र के प्रांतीय अध्यक्ष)
- नकुल दुबे (अवध क्षेत्र के प्रांतीय अध्यक्ष)
- विधायक वीरेंद्र चौधरी (पूर्वांचल के क्षेत्रीय अध्यक्ष)
- योगेश दीक्षित (बृज क्षेत्र के प्रांतीय अध्यक्ष)
- अनिल यादव (बुंदेलखंड और कानपुर क्षेत्र के प्रांतीय अध्यक्ष)
इन नामों की घोषणा करते समय केंद्रीय नेतृत्व ने सभी जातीय समीकरणों का ध्यान रखा। इससे उम्मीद जगी कि प्रदेश अध्यक्ष और प्रांतीय अध्यक्ष मिलकर ध्वस्त हो चुका पार्टी का संगठन फिर से मजबूत करेंगे। हालांकि यह उम्मीद कोरी ही साबित हुई।
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