मिशन 2024: भाजपा के मास्टर स्ट्रोक से जाटलैंड में मजबूत होगी भगवा खेमे की पकड़

Sandesh Wahak Digital Desk : पहले मुरादाबाद में सीएम योगी द्वारा पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा का अनावरण और भारतीय कुश्ती संघ का निलंबन, इन दोनों ही फैसलों से भाजपा ने जाटलैंड और किसानों के बड़े वोटबैंक पर एक साथ कई सियासी निशाने साधे हैं। इसकी गूंज की तपिश न सिर्फ पश्चिमी यूपी बल्कि चार राज्यों तक मिशन 2024 के दौरान सुनाई देना बिल्कुल तय माना जा रहा है।

दरअसल देशभर में यूपी, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश और गुजरात तक जाटलैंड का असर है। वहीं जाट बहुल चार राज्यों में सीधे तौर पर 40 से ज्यादा लोकसभा सीटों के भाग्य विधाता यही हैं। सांसद बृजभूषण शरण सिंह के दबदबे के सन्देश से जाटलैंड में भाजपा का प्रभाव खिसकना तय था। देश के पहलवानों और कुश्ती संघ के बीच चल रहा द्वंद्व एक बार फिर सियासत का बड़ा अखाड़ा बन गया है।

वोटबैंक से तनिक भी खिलवाड़ के मूड में नहीं बीजेपी

वहीं भाजपा मिशन 2024 को देखते हुए इस वोटबैंक से तनिक भी खिलवाड़ के मूड में नहीं है। भाजपा के कुश्ती संघ को निलंबित करने के फैसले से करीब डेढ़ सौ विधानसभा सीटों पर भाजपा को सियासी लाभ भी होना तय है। लम्बे समय से बृजभूषण सिंह, कुश्ती संघ और पहलवानों के बीच चल रही नूराकुश्ती ने भाजपा का काफी सियासी नुकसान भी किया है। शीर्ष नेतृत्व से मंथन के बाद ही इस फैसले को खेल मंत्रालय ने अमलीजामा पहनाया है।

हरियाणा में करीब एक चौथाई आबादी जाटों की

जिससे लोकसभा चुनाव के दौरान जाट बहुल क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवारों को काफी फायदा होगा। साथ ही किसानों की नराजगी भी काफी हद तक दूर होने की पूरी उम्मीद है। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक नेता कहते हैं कि जिस बात को लेकर पहलवान पहले से विरोध करते आए थे, आखिरकार सरकार देर सवेर इस पर डैमेज कंट्रोल करने पर उतर आई। आंकड़ों के मुताबिक हरियाणा में करीब एक चौथाई आबादी जाटों की है।

वहीं राजस्थान में करीब पंद्रह फीसदी जाट आबादी है। उत्तर प्रदेश में जाटों की संख्या करीब ढाई फीसदी है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों का अच्छा खासा दबदबा है। इन तीन राज्यों में भाजपा को जाट समुदाय का समर्थन मिलता रहा है। केंद्र सरकार कुछ भी दलील दे लेकिन सच्चाई यही है कि जाटों की सियासत को साधते हुए ही ऐसे फैसले लिए जाने का अंदेशा हो रहा है। पहलवानों का पुरस्कार वापस करना भाजपा के लिए भी झटका माना जा रहा था।

सियासी गणित साधने शाह खुद उतरे थे जाटलैंड की सड़कों पर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करीब 17 से18 फीसदी जाट हैं। इनका 120 विधानसभा सीटों पर सियासी असर है। पश्चिमी यूपी की 45 से 50 सीटों पर तो जाट चुनाव में सीधे जीत हार तय करते हैं। मेरठ, मुजफ्फरनगर, आगरा, मथुरा, कैराना और बागपत जैसे जिलों को जाटलैंड का हिस्सा माना जाता है।  गौतमबुद्ध नगर, हापुड़ और गाजियाबाद में भी खासी तादाद है।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से जाट लगातार भाजपा के साथ खड़े दिखे हैं। किसान आंदोलन के बाद जाट लैंड में भाजपा की अग्निपरीक्षा 2022 के विधानसभा चुनाव में हुई थी। खुद गृह मंत्री अमित शाह ने जाटलैंड की सडक़ों पर उतरे और घर-घर पर्चा बांटकर भाजपा के लिए जाटों की अहमियत बतायी थी।

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