मिर्जापुर लोकसभा: फिसलते वोट बैंक को बचाना अनुप्रिया पटेल के लिए बनेगा बड़ी चुनौती

पल्लवी पटेल और बसपा के बाद अब राजा भैया पर दिया बयान बढ़ाएगा सियासी मुश्किलें

Sandesh Wahak Digital Desk: लोकसभा चुनाव के छह चरणों का मतदान संपन्न हो गया। सातवें चरण का मतदान एक जून को है। इस चरण में मिर्जापुर लोकसभा सीट पर वोट डाले जाएंगे। वहीं बहन पल्लवी पटेल और बसपा के बाद राजा भैया पर बयान देकर अनुप्रिया पटेल ने खुद के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी कर ली है।

फिसलते वोट बैंक को बचाना बड़ी चुनौती

बहन पल्लवी पटेल ने अनुप्रिया पटेल के खिलाफ कद्दावर दौलत सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया है। वहीं बसपा ने ब्राह्मण को प्रत्याशी बनाकर उनकी परेशानी को दोगुना कर दिया। कुछ दिनों पहले अनुप्रिया पटेल की ओर से राजा भैया को लेकर बयान देने के बाद मामला और खराब हो गया। अनुप्रिया के सामने अन्य जाति के वोट बैंक को जोडऩे से ज्यादा अपने फिसलते वोट बैंक को बचाना बड़ी चुनौती है। अंत तक अगर अनुप्रिया पटेल नाराजगी दूर नहीं कर पाईं तो उन्हें तगड़ा नुकसान होना तय है। इसका असर परिणाम पर भी दिखेगा।

दरअसल, 2019 के चुनाव में अनुप्रिया पटेल के साथ एनडीए के कोर वोट बैंक ब्राह्मण, क्षत्रिय और कुर्मी मतदाता साथ थे। बसपा-सपा साथ मिलकर लड़ी थी, जिसका फायदा एनडीए को ही मिला था। इस बार ऐसा नहीं है।

कोर वोट बैंक ब्राह्मण का रुख बीएसपी की ओर

अनुप्रिया के सामने कुर्मी वोट बैंक में सेंधमारी के लिए दौलत पटेल दंभभर रहे हैं। तो दूसरी ओर कोर वोट बैंक ब्राह्मण का रुख बीएसपी की ओर है। राजा भैया पर बयान देने के बाद क्षत्रिय मतदाताओं में जबरदस्त नाराजगी है।

यहीं वजह है कि अनुप्रिया पटेल के कोर वोट बैंक में जबरदस्त सेंधमारी होनी का संभावना है। यह जितना अधिक होगा, अनुप्रिया पटेल को उतना ही ज्यादा नुकसान होगा। मिर्जापुर जिले में एक लाख 60 हजार के करीब ब्राह्मण और 95 हजार क्षत्रिय मतदाता है। वहीं, दो लाख 70 हजार कुर्मी मतदाता है, जिसमें दौलत जबरदस्त सेंधमारी कर सकते हैं।

क्षत्रिय मतदाताओं में जबरदस्त नाराजगी

अनुप्रिया पटेल की ओर से कौशाम्बी में राजा भैया को लेकर बयान देने के बाद क्षत्रिय मतदाताओं में जबरदस्त नाराजगी है। क्षत्रिय मतदाता न सिर्फ नाराजगी को प्रकट कर रहे है बल्कि इस नाराजगी को वोट में परिवर्तित कराने में जुट गए है। क्षत्रिय समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि आखिर में उनका अपना कबतक होगा। कोई भी आता है और कुछ भी बोलकर चला जाता है। यह बर्दाश्त योग्य नहीं है। आगे कहा कि हम लोग वर्षों से बीजेपी से जुड़े हुए है, लेकिन इस बार प्रचार न करते हुए उनका खुलकर विरोध करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जो सच्चा क्षत्रिय होगा। वह अनुप्रिया पटेल को वोट नहीं करेगा।

सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर का अनुप्रिया को समर्थन

कई चुनावों में बीजेपी के सहयोगी रहे बाहुबली विधायक राजा भैया के खिलाफ एनडीए में शामिल दलों ने ही मोर्चा खोल दिया है। अब भाजपा की सहयोगी सुभासपा के प्रमुख ओपी राजभर ने दो दिन पहले कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने रानी का आपरेशन कर दिया है। अब रानी के पेट से राजा पैदा नहीं होगा। राजा भैया का पूर्वांचल की राजनीति में कोई असर नहीं है। अब राजा बैलेट बॉक्स और ईवीएम से पैदा होगा। अनुप्रिया पटेल ने कुछ भी गलत नहीं कहा।

सियासी विश्लेषक भी सटीक आंकलन करने में नाकाम

सियासी विश्लेषकों के मुताबिक  2019 में राजेंद्र एस बिंद का टिकट कटने के बाद बिंद मतदाताओं का रुझान अपना दल एस की तरफ था। उन्होंने खुलकर मतदान किया। इस बार वैसा नहीं है। कोर वोट बैंक के साथ बिंद मतदाता सपा साथ खड़े हैं। वैश्य मतदाताओं में भी नाराजगी है। अन्य पिछड़ी और दलित जातियों में आरक्षण और संविधान का मुद्दा हावी है। लड़ाई बेहद दिलचस्प है। राजनीतिक पंडित भी सटीक आंकलन नहीं कर पा रहे हैं।

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