स्मारक घोटाला: अधर में विजिलेंस जांच, विदेश भागे पूर्व आईएएस मोहिंदर!
आधा सैकड़ा से अधिक आरोपियों के खिलाफ दाखिल हो चुकी है चार्जशीट
संदेश वाहक डिजिटल डेस्क: यूपी के आईएएस अफसरों के खिलाफ बड़े घोटालों की जांच में दशकों का समय भी लगता है। इसका सटीक उदाहरण सैकड़ों करोड़ का वो स्मारक घोटाला है। जिसकी जांच विजिलेंस के हवाले है।
इस घोटाले में विजिलेंस ने अभी तक आधा सैकड़ा से अधिक आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की है। लेकिन चंद बड़े आरोपी अभी भी विजिलेंस की गिरफ्त से कोसों दूर हैं। इसमें एक नाम तत्कालीन प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन मोहिंदर सिंह का भी है। इस रिटायर अफसर की लोकेशन तक विजिलेंस को नहीं पता है। नतीजतन स्मारक घोटाला की जांच मानो ठहर सी गयी है।
स्मारकों के निर्माण को बनाई गई थी अफसरों की कमेटी
दरअसल स्मारकों के निर्माण के संबंध में तत्कालीन मायावती सरकार ने चार अफसरों की एक कमेटी बनाई थी। जिसकी जिम्मेदारी इस संबंध में तमाम अहम फैसले लेने की थी। इस कमेटी को ही मिर्जापुर सैंड स्टोन की दरों को भी तय करने का जिम्मा सौंपा गया था। जिसमें बाद में बड़े पैमाने पर घोटाला अंजाम देकर तकरीबन डेढ़ हजार करोड़ से अधिक की लूट की थी।
इसमें तत्कालीन, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी रवींद्र सिंह, एलडीए उपाध्यक्ष हरभजन सिंह, प्रमुख अभियंता पीडब्ल्यूडी रहे त्रिभुवन राम, निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी सीपी सिंह और खनन विभाग के संयुक्त निदेशक रहे सुहैल अहमद फारूकी ने कमेटी की बैठक में पट्टाधारकों के कंर्सोटियम बनाकर उनसे अनुबंध कर आपूर्ति प्राप्त करने समेत कई नियम विरुद्ध निर्णय लिए थे।
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नोटिस के बावजूद पेश नहीं हुए थे मोहिंदर सिंह
विजिलेंस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक नोएडा और ग्रेटर नोएडा के भी चेयरमैन रहे रिटायर्ड आईएएस सरदार मोहिंदर सिंह ऑस्ट्रेलिया फरार हो गए हैं। तभी विजिलेंस के हाथ नहीं लग पा रहे हैं। दरअसल, मायावती शासनकाल में मोहिंदर सिंह आवास विभाग के प्रमुख सचिव थे। विजिलेंस द्वारा उनको पूछताछ के लिए नोटिस देने के बावजूद भी वे लगातार पेश नहीं हो रहे हैं।
विजिलेंस ने इनकी लाइव लोकेशन पर काम किया और उनकी लोकेशन ऑस्ट्रेलिया में मिली थी। बयान दर्ज करवाने का नोटिस जारी होने के बाद से ही मोहिंदर फरार हैं। जिसकी वजह से स्मारक घोटाले की जांच अटकी हुई है।
ईडी पर सवाल, ठंडे बस्ते में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच
पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह ने नोएडा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भी बेहिसाब घोटालों को अंजाम दिया है। ईडी भी अभी तक इस पूर्व आईएएस की अकूत सम्पत्तियों की तलाश करने में नाकाम साबित हुई है। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका में इनके बेटे रहते हैं। वहां काफी सम्पत्तियां घोटाले की काली कमाई से बनाये जाने के संकेत विजिलेंस को मिले हैं।
स्मारक घोटाले के जिम्मेदारों की सम्पत्तियां जब्त करने में ईडी अफसरों की कोई दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है। इस घोटाले में एलडीए से लेकर निर्माण निगम के कई बड़ों की गर्दनें फंसी थी। निगम के पूर्व एमडी सीपी सिंह के बेनामी साम्राज्य पर भी ईडी ने हाथ डालना मुनासिब नहीं समझा।
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