स्मारक घोटाला: ईडी पहले से सुस्त, अब विजिलेंस जांच की रफ्तार पर भी सवाल
यूपीआरएनएन के पूर्व एमडी सीपी सिंह और इंजीनियर राजवीर सिंह की अरबों की संपत्तियां जब्त नहीं

Sandesh Wahak Digital Desk: 1400 करोड़ के स्मारक घोटाले के जरिये राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) के इंजीनियरों ने अकूत सम्पत्तियां बनाई हैं। सवा साल पहले घोटाले की जांच कर रही विजिलेंस ने पूर्व एमडी सीपी सिंह के ठिकानों पर छापे मारकर बेनामी साम्राज्य को पकड़ा था।
पिछले वर्ष अक्टूबर में पूर्व अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह से जुड़े ठिकानों पर छापों के बाद सौ करोड़ से ऊपर की सम्पत्तियां प्रकाश में आयीं। फिर भी जहां मनीलांड्रिंग की जांच का जिम्मा संभाले ईडी के अफसरों की नींद नहीं टूटी। वहीं विजिलेंस ने संपत्तियां जब्त नहीं की।

छापा मारकर विजिलेंस ने पकड़ा था सीपी सिंह और राजवीर सिंह का बेनामी साम्राज्य
पिछले वर्ष जनवरी में विजिलेंस ने छापे मारकर पूर्व एमडी सीपी सिंह की दिल्ली, देहरादून, मुंबई, गुरुग्राम समेत कई अन्य शहरों में बेशुमार सम्पत्तियों को पकड़ा था। कई कंस्ट्रक्शन फर्में भी सामने आयीं। जिनमें निर्माण निगम में किये बेहिसाब घोटालों से हुई काली कमाई का निवेश किया गया था। खुद सीपी सिंह कई कंपनियों में डायरेक्टर और साझेदार निकले थे। बावजूद इसके, विजिलेंस ने अकूत सम्पत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई शुरू नहीं की।
ईडी अफसर भी सीपी सिंह के मामलों में हाथ पर हाथ धरकर बैठे है। वहीं इंजीनियर राजवीर सिंह के पास दिल्ली में 20 करोड़ और नोएडा में छह करोड़ का काम्प्लेक्स और पांच करोड़ का आवासीय भवन, लॉकर के अंदर करीब पौन करोड़ के जेवर भारी नकदी मिली थी। गाजियाबाद में कई एकड़ के खेतों के दस्तावेज और करोड़ों की अन्य सम्पत्तियों का भी खुलासा हुआ। इन सम्पत्तियों के जब्तीकरण की कार्रवाई भी अंजाम नहीं दी गयी। यही हाल ईडी का भी है। घोटाले के बड़े खिलाडियों की सम्पत्तियों को साक्ष्यों के बावजूद ईडी चुप्पी साधे है।
योगी सरकार के आठ वर्षों में भी जांच नहीं हुई पूरी
11 साल पहले विजिलेंस ने लखनऊ और नोएडा में हुए स्मारक घोटाले के सिलसिले में पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत 19 लोगों पर केस दर्ज कराया था। पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा की जांच में 199 लोगों को घोटाले का दोषी ठहराया गया था। सीएम योगी की सरकार बने भी आठ वर्ष हो गए। भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति होने के बावजूद जांच पूरी नहीं हुई। पूर्व मंत्री कुशवाहा-सिद्दीकी आजतक गिरफ्तार नहीं हुए।
मौज काट रहे लोकायुक्त जांच में दोषी निकले आरोपी
स्मारक घोटाले में आरोपी बने तमाम इंजीनियर, कर्मी और ठेकेदार मौज में हैं। जहां कई रिटायर हो चुके हैं। वहीं कई आरोपियों ने मलाईदार यूनिटों का जिम्मा भी इस दौरान सम्भाला। पूर्व जीएम अरविन्द त्रिवेदी तो नए हाईकोर्ट की यूनिट के प्रभारी भी थे। जहां घोटालों ने रिकॉर्ड तोड़ा। जिन फर्मों को दोषी ठहराया गया। उन्हें विभागों में बड़े ठेकों से लगातार नवाजा गया। बड़े खिलाडियों की गिरफ्तारी भी करना जरुरी नहीं समझा गया।
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