महाघोटाला पार्ट-7: न्याय के रखवालों को भी अंसल की टाउनशिप खूब लुभाई, खपाई काली कमाई

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का… कुछ इसी अंदाज में अंसल एपीआई सुल्तानपुर रोड स्थित सुशांत गोल्फ सिटी टाउनशिप के भीतर मायावी अंदाज में एक से बढक़र एक घोटालों की एक्सप्रेस दौड़ाता रहा।
इस टाउनशिप के भीतर प्रभावशाली शख्सियतों ने बेहिसाब काली कमाई का निवेश किया है। इनमें नेताओं, अफसरों, इंजीनियरों के साथ न्याय के मंदिर के पुजारी भी शामिल हैं। इस टाउनशिप में हाईकोर्ट के ऐसे पूर्व जज का भी करोड़ों का आशियाना है। जिनके खिलाफ सीबीआई आय से अधिक सम्पत्ति मामले की जांच कर रही है।
खास बात ये है कि कई रसूखदारों ने इस टाउनशिप में करोड़ों की जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है। इस फेहरिस्त में न्याय के मंदिर के पुजारी भी शामिल हैं। जिसकी जानकारी एलडीए से लेकर सरकारी तंत्र में बैठे कमोबेश सभी अफसरों को है। ताकतवर शख्सियतों के आगे जिम्मेदारों ने फिलहाल सिर्फ चुप्पी साधना ही मुनासिब समझा है।
सीबीआई जांच में फंसे भ्रष्टों ने भी खरीदी सम्पत्तियां
दो साल पहले सीबीआई ने हाईकोर्ट के एक पूर्व जज के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में केस दर्ज किया था। जिन्होंने कई संस्थानों के जरिये काली कमाई को खूब सफेद किया है। पूर्व जज से जुड़ी तमाम बेनामी सम्पत्तियों के दस्तावेज भी सीबीआई ने बरामद किये। शाइन सिटी जैसी ठग कंपनियों से भी इस दागी पूर्व जज ने सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त की है। इस पूर्व जज के पास टाउनशिप में पाम विला में करोड़ों का आलीशान मकान है।
प्रभावशालियों ने हाईटेक टाउनशिप में कब्जा रखी है कई बीघा कीमती जमीनें
सिर्फ इसी पूर्व जज को अंसल की घोटाला टाउनशिप नहीं लुभाई है बल्कि ऐसे कई न्याय के मंदिर के पुजारी हैं, जिनकी अंसल बिल्डर की हाईटेक टाउनशिप में करोड़ों की सम्पत्तियां हैं। एक प्रभावशाली शख्सियत ऐसी भी है। जिसने कई बीघे जमीन पर अवैध कब्जा किया है। खास बात ये है कि अंसल भी इस जमीन को बेच चुका है। वहीं यह शख्सियत बार-बार अंसल के खिलाफ एलडीए अफसरों को अर्दब में ले रही है। हालांकि टाउनशिप में सम्पत्तियां जुटाने की सूची में न्यायिक जगत से जुड़ी कई बेहद ताकतवर हस्तियों के नाम शामिल हैं।
वहीं दूसरी तरफ अंसल ने सैकड़ों करोड़ का लोन विभिन्न बैंकों से ले रखा है। बैंकों के पास गिरवी कीमती भूखंडों को भी बेचे जाने की खबर है। कंसोर्टियम के जरिये एससी की हजारों करोड़ की जमीनों को खरीदने वाले पूंजीपतियों ने भी टाउनशिप को चौपट करने में अहम भूमिका निभाई है। इनमें कई आईएएस, आईपीएस समेत बड़े नौकरशाह शामिल हैं। जिन्होंने सीधे किसानों से खरीद फरोख्त की है।
ईओडब्ल्यू नहीं, सीबीआई ही सिंडिकेट की जांच करने में सक्षम
मंगलवार को भी अंसल के खिलाफ जालसाजी के तकरीबन नौ मुकदमें दर्ज किये गए हैं। सीएम योगी के आदेश पर सिर्फ पिछले तीन दिनों में तीस मामले लखनऊ पुलिस ने दर्ज किये हैं। लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस के बड़े अफसर अंसल की ठगी से जुड़े मामलों की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को सौंपने पर विचार कर रहे हैं। ऐसा होने पर इस महाघोटाले का दफन होना बिल्कुल तय है। सरकार अगर वाकई इस तगड़े सिंडिकेट की जांच गंभीरता से कराना चाहती है तो उसे तत्काल पूरे मामले को सीबीआई को सौंप देना चाहिए।
पिछले डेढ़ माह में बिल्डर ने अरबों की सम्पत्तियां बेचीं, कहां गया पैसा?
चारों तरफ से शिकंजा कसते देख एनसीएलटी से खुद को दिवालिया घोषित कराने वाले अंसल एपीआई के सिंडिकेट की जांच गहराई से कराया जाना बेहद जरुरी है। सूत्रों की माने तो पिछले डेढ़ माह में इस दागी बिल्डर ने लखनऊ समेत देश भर में अपने करीब 20 प्रोजेक्टों में सैकड़ों करोड़ की बेहिसाब सम्पत्तियों को बेचकर पैसा जुटाया है। अंसल ने इसके पीछे कारण एनसीएलटी के दिवालिया घोषित करने का ही गिनाया था। बिल्डर ने बीते दिनों औने-पौने दामों पर सम्पत्तियों की खरीद फरोख्त को अंजाम दिया है। आखिर अरबों रुपया बिल्डर कहां हजम कर गया। इसके बावजूद एनसीएलटी ने अंसल को महज 83 करोड़ के बकाये पर दिवालिया घोषित कर दिया। बिल्डर के खिलाफ सारी कार्रवाई भी थम गयी।
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