विपक्ष की बैठक पर मायावती का तंज, बोलीं- ‘दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए’
Sandesh Wahak Digital Desk : पटना में शुक्रवार को विपक्षी दलों की बैठक से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई यह बैठक ‘दिल मिले न मिले, हाथ मिलाते रहिए’ की कहावत को चरितार्थ करती है।
मायावती को इस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है। जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, “हमने सिर्फ उन दलों को आमंत्रित किया है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं।”
त्यागी ने कहा, “बसपा कह रही है कि वह गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। ऐसे में हम अपना निमंत्रण क्यों बर्बाद करें।” बैठक में हिस्सा लेने वाली पार्टियों पर निशाना साधते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि विपक्षी दलों के रवैये को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि वे उत्तर प्रदेश में अपने लक्ष्य को लेकर गंभीर हैं।
लोकसभा चुनाव की तैयारियां क्या हकीकत में जरूरी बदलाव ला पाएंगी ?
मायावती ने कहा, “उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को चुनावी सफलता की कुंजी माना जाता है, लेकिन विपक्षी दलों के रवैये से ऐसा नहीं लगता है कि वे राज्य में अपने लक्ष्य के प्रति सही मायने में चिंतित और गंभीर हैं। उचित प्राथमिकताओं के बिना लोकसभा चुनाव की तैयारियां क्या यहां हकीकत में जरूरी बदलाव ला पाएंगी?”
उन्होंने ट्वीट किया, “महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन, अशिक्षा, जातीय द्वेष, धार्मिक उन्माद/हिंसा आदि से जूझ रहे देश में बहुजन के त्रस्त हालात से स्पष्ट है कि भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों में परम पूज्य बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के मानवतावादी समतामूलक संविधान को सही तरीके से लागू करने की क्षमता नहीं है।”
बसपा प्रमुख ने कहा, “ऐसे में नीतीश कुमार द्वारा 23 जून को विपक्षी दलों की पटना में बुलाई गई बैठक ‘दिल मिले न मिले, हाथ मिलाते रहिए’ की कहावत को ज्यादा चरितार्थ करती है।”
उन्होंने कहा, “वैसे इस तरह की पहल करने के पहले ये पार्टियां अगर अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखकर अच्छी नीयत से जनता में खुद के प्रति विश्वास जगाने का प्रयास करतीं, तो बेहतर होता। ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ आखिर कब तक चलेगा?”
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