UP Nikay Chunav के प्रचार से दूर रहेंगी मायावती, ये है कारण

UP Nikay Chunav: यूपी में निकाय चुनाव के पहले चरण के नामांकन पूरे होने के बाद अब प्रचार का बिगुल बज चुका है. सभी राजनीतिक पार्टियां अपने ब्रांड चेहरे के साथ प्रचार मैदान में उतरने को तैयार है. इसी दौरान खबर सामने आ रही है कि बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP Supremo Mayawati) प्रचार से दूर रहेंगी. प्रचार की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष और कोआर्डिनेटर सम्भालेंगे.

ऐसे में सवाल ये उठाए जा रहे हैं कि मायावती के प्रचार से दूर रहने पर आखिर पार्टी को कितना लाभ मिलेगा? कहीं दलित वोट छिटक न जाएं. फिलहाल देखना ये है कि विधानसभा चुनावों में कोई चमत्कार न दिखा पाने वाली बसपा नगर निकाय चुनाव (UP Nikay Chunav) में वोटरों को कितना रिझा पाती है.

पार्टी सूत्रों की मानें तो नगर निकाय चुनाव के प्रचार अभियान में बसपा सुप्रीमो मायावती दूर ही रहेंगी. माना जा रहा है कि मायावती किसी भी जिले में रैली नहीं करेंगी. इस बार पूरी जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष और कोऑर्डिनेटर की रहेगी. वैसे भी बसपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए चुनाव अग्निपरीक्षा है, क्योंकि वह पहला चुनाव करा रहे हैं दूसरा इसी से लोकसभा चुनाव में बसपा का भविष्य तय होगा. पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन हो चुके हैं.

बसपा मुस्लिम और दलित समीकरण के सहारे

वहीं दूसरे चरण के नामांकन शुरू हो गए हैं. बसपा ने महापौर पद पर 60 प्रतिशत मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी हैं कि बसपा मुस्लिम और दलित समीकरण के सहारे इस मैदान में है और इस चुनाव में कुछ नया करके दिखाएगी. फिलहाल बहनजी वर्तमान में अतीक-अशरफ की हत्या के मामले में बयान देकर चर्चा में हैं.

हाल ही में उन्होंने ट्विट करते हुए कहा था कि, यह हत्याकांड अति गंभीर व अति चिंतनीय है. इस घटना का सुप्रीम कोर्ट अगर स्वयं ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करें तो बेहतर होगा. मायावती ने ट्विट किया और कहा, “गुजरात जेल से अतीक अहमद व बरेली जेल से लाए गए उनके भाई अशरफ की प्रयागराज में कल रात पुलिस हिरासत में ही खुलेआम गोली मारकर हुई हत्या, उमेश पाल जघन्य हत्याकाण्ड की तरह ही, यूपी सरकार की कानून-व्यवस्था व उसकी कार्यप्रणाली पर अनेकों गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े करती है.”

उन्होंने आगे लिखा कि, “देश भर में चर्चित इस अति-गंभीर व अति-चिन्तनीय घटना का माननीय सुप्रीम कोर्ट अगर स्वंय ही संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करे तो बेहतर. वैसे भी उत्तर प्रदेश में ’’कानून द्वारा कानून के राज’’ के बजाय, अब इसका एनकाउंटर प्रदेश बन जाना कितना उचित? सोचने की बात.”

 

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