‘पहले अडाणी समूह और अब सेबी…’, मायावती बोलीं- हिंडनबर्ग के आरोप सत्ता पक्ष-विपक्ष की बहस से परे
Mayawati On Hindenburg Report: बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने मंगलवार को कहा कि सेबी चेयरपर्सन के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोप अब सत्ता पक्ष तथा विपक्ष के बीच की बहस से परे हैं क्योंकि यह अब केंद्र की साख और विश्वसनीयता को प्रभावित कर रहे हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा ‘ पहले अदाणी समूह और अब सेबी चेयरपर्सन पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट फिर से जबरदस्त चर्चा में है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर इस हद तक जारी है कि इसे देशहित को प्रभावित करने वाला बताया जा रहा है। अदाणी व सेबी द्वारा सफाई देने के बावजूद मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा बल्कि उबाल पर है’।
1. पहले अदाणी ग्रुप व अब सेबी चीफ सम्बंधी हिण्डनबर्ग की रिपोर्ट फिर से जबरदस्त चर्चाओं में है तथा आरोप-प्रत्यारोप का दौर इस हद तक जारी है कि इसे देशहित को प्रभावित करने वाला बताया जा रहा है। अदाणी व सेबी द्वारा सफाई देने के बावजूद मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा बल्कि उबाल पर है।
— Mayawati (@Mayawati) August 13, 2024
मायावती ने कहा ‘वैसे यह मुद्दा अब सत्ता व विपक्ष के वाद-विवाद से परे जा कर केन्द्र की अपनी साख व विश्वसनीयता को प्रभावित कर रहा है। जबकि केन्द्र सरकार को अब तक इसकी जेपीसी या न्यायिक जांच जैसी उच्च-स्तरीय जांच जरूर बैठा देनी चाहिये थी तो यह बेहतर होता’।
2. वैसे यह मुद्दा अब सत्ता व विपक्ष के वाद-विवाद से परे केन्द्र की अपनी साख व विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर रहा है, जबकि केन्द्र सरकार को अब तक इसकी उच्च-स्तरीय जाँच अर्थात् जेपीसी या जुडिशियल जाँच जरूर बैठा देनी चाहिये थी तो यह बेहतर होता।
— Mayawati (@Mayawati) August 13, 2024
अमेरिकी शोध एवं निवेश कंपंनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था।
उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
बुच दंपति ने दिया था संयुक्त बयान
आरोपों के जवाब में बुच दंपति ने रविवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति और मार्च, 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले था। ये निवेश सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से किए गए थे। सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष निष्क्रिय हो गए।
अदाणी समूह ने भी सेबी प्रमुख के साथ किसी भी तरह के वाणिज्यिक लेन-देन से इनकार किया है। संपत्ति प्रबंधन इकाई 360वन (जिसे पहले आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट कहा जाता था) ने अलग से बयान में कहा कि बुच तथा उनके पति धवल बुच का आईपीई-प्लस फंड 1 में निवेश कुल निवेश का 1.5 प्रतिशत से भी कम था और उसने अदाणी समूह के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया था।
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