नए संविधान की वकालत पर भड़कीं मायावती, कहा- प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहाकार पर हो सख्त कार्रवाई
Sandesh Wahak Digital Desk : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के नए संविधान की वकालत करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कहा कि बिबेक देबरॉय ने अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है और केंद्र सरकार को उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
मायावती ने सोशल नेटवर्किंग मंच एक्स पर लिखा, आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का, अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है, जिसका संज्ञान लेकर केन्द्र सरकार को तुरन्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई ऐसी बात करने का दुस्साहस न कर सके।
उन्होंने कहा, देश का संविधान 140 करोड़ गरीब, पिछड़े और उपेक्षित लोगों के लिए मानवतावादी एवं समतामूलक होने की गारंटी है, जो स्वार्थी, संकीर्ण मानसिकता वाले, जातिवादी तत्वों को पसंद नहीं है। बसपा प्रमुख ने आगे कहा कि नए संविधान के विचार का विरोध करना सबकी जिम्मेदारी है।
वर्तमान संविधान 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित
आपको बता दें कि हाल में देबरॉय ने एक लेख में लिखा था, हमारा वर्तमान संविधान 1935 के भारत सरकार अधिनियम पर आधारित है। इस प्रकार यह भी एक औपनिवेशिक विरासत है। संविधान की समीक्षा के लिए गठित एक आयोग ने 2002 में एक रिपोर्ट दी थी लेकिन यह आधा-अधूरा काम था।
उन्होंने लिखा था हम जो भी बहस करते हैं वह संविधान से शुरू हो कर संविधान पर ही खत्म होती है। कुछ संशोधनों से काम नहीं होगा। पीछे जा कर सोचना चाहिए और यह पूछना चाहिए कि प्रस्तावना में उल्लिखित शब्दों… समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, न्याय, स्वतंत्रता और समानता का अब क्या मतलब है। हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देना चाहिए।
गत 14 अगस्त को प्रकाशित लेख के ऑनलाइन संस्करण के साथ एक अस्वीकरण भी है जिसमें लिखा है कि यह लेखक के निजी विचार हैं। यह किसी भी तरह से प्रधानमंत्री या भारत सरकार की आर्थिक सलाहकार परिषद के विचारों को नहीं दर्शाते है।
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