UP News: फायर सेफ्टी पर अफसरों के कोरे वादे, मौत के मुहाने पर अधिकांश अस्पताल
हादसों में जा चुकी है कई मरीजों की जान, एक भी घटना में सख्त कार्रवाई नहीं, आग लगने पर कमेटी गठित कर कर्तव्यों की इतिश्री

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी के अधिकांश अस्पताल आग के मुहाने पर हैं। इसके बावजूद जिम्मेदारों पर कार्रवाई के बजाय अफसरों को सिर्फ जांच कमेटियों के गठन पर विश्वास है।
ऐसा लगता है कि बिना फायर एनओसी के संचालित अनगिनत अस्पतालों को बंद न करने की एवज में अफसरों की खुलेआम कमाई हो रही है। तभी अस्पतालों में आग से तमाम लोगों की मौत के बावजूद कभी सख्त कार्रवाई की नजीर पेश नहीं की गयी। सीएम योगी की नाक के नीचे लखनऊ में अस्पतालों का हाल तो और भी बदतर है। अग्निशमन विभाग से लेकर स्वास्थ्य विभाग के बड़े अफसर सिर्फ नोटिस नोटिस खेलते रहते हैं।
झांसी मेडिकल कालेज में हुई थी 11 नवजात की मौत
पिछले वर्ष नवंबर में झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में लगी भीषण आग से 11 नवजात जिंदा जल गए थे। जांच कमेटी ने किसी को दोषी नहीं पाया। जबकि पानी के छिडक़ाव यंत्र न होने के चलते आग पर काबू नहीं पाया जा सका था।
इस घटना के बाद प्रदेश भर के अस्पतालों के फायर सेफ्टी ऑडिट के निर्देश दिए गए। नतीजा ढाक के तीन पात निकला। सिर्फ लखनऊ के 66 फीसदी अस्पताल बिना अग्निसुरक्षा मानकों के संचालित हो रहे थे। 906 अस्पतालों में से केवल 301 में ही अग्नि सुरक्षा उपाय थे। 75 से ज्यादा अस्पतालों को अंतिम रूप से बंद करने के लिए नोटिस दिया गया था। इसके बावजूद हालात नहीं सुधरे।
लखनऊ में भी सैकड़ों मानकविहीन अस्पताल
लखनऊ के करीब दो सैकड़ा से ज्यादा अस्पताल अग्निशमन मानकों पर खरे नहीं उतरे। अग्निसुरक्षा के प्रति लापरवाह बड़े सरकारी अस्पताल भी हैं। अस्पतालों की इमारतें नेशनल बिल्डिंग कोड के मुताबिक सिर्फ इसलिए नहीं बनती क्योंकि इससे लागत लगभग दुगुनी आती है। केजीएमयू में तकरीबन आधा दर्जन बार आग लग चुकी है। जुलाई 2017 में केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में लगी आग में सात मौतें होने के बावजूद जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गयी। दो साल पहले लखनऊ में पीजीआई की ओटी में आग लग गई थी। हादसे में बच्चे सहित तीन लोगों की मौत हो गई। अफसर सिर्फ जांच कमेटी के गठन तक सीमित रहे।
लोकबंधु अस्पताल में आग से एक मरीज की मौत
इसी लापरवाही का नतीजा है कि एक दिन पहले जिस लोकबंधु अस्पताल में भीषण आग से एक मरीज की मौत हुई है। वो अस्पताल बिना फायर एनओसी के तीन माह से मरीजों को इलाज दे रहा था। शासन और स्वास्थ्य विभाग के बड़े अफसर कभी इन अस्पतालों में अग्निसुरक्षा के लिहाज से झांकने नहीं आते हैं। सिर्फ मॉकड्रिल कराकर कर्तव्यों की इतिश्री हो जाती है। अधिकांश कर्मियों को फायर फाइटिंग सिस्टम चलाने नहीं आते हैं।
प्रदेशभर में सिर्फ नोटिस देने तक कार्रवाई सिमटी
लोकबंधु अस्पताल में आग लगने की घटना की जांच के लिए शासन ने मंगलवार को स्वास्थ्य महानिदेशक डा. रतनपाल सिंह सुमन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। कमेटी 15 दिन में रिपोर्ट देगी। जांच कमेटी आग लगने के प्राथमिक कारण, किसी भी प्रकार की लापरवाही या दोष की पहचान (यदि कोई हो तो) एवं भविष्य में घटनाओं के बचाव के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने के संबंध में रिपोर्ट देगी।
कमेटी के सदस्य के रूप में विद्युत सुरक्षा निदेशालय के निदेशक, चिकित्सा शिक्षा के अपर निदेशक, अग्निशमन विभाग द्वारा नामित अधिकारी एवं स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक (विद्युत) को शामिल किया गया है। कमेटी का गठन डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश पर हुआ है।
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