मंडी परिषद: आला अधिकारी बदले तो संयुक्त निदेशक ने दबा दी कार्रवाई की पत्रावली
Sandesh Wahak Digital Desk : राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के निर्माण खंड वाराणसी में हुए घोटाले की आरोपी अवर अभियंता के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ा एक और मामला तीन वर्ष पहले उजागर हुआ था। लेकिन अधिकारियों की मिलीभगत से प्रकरण को दबा दिया गया।
पहाड़िया मंडी में निर्माण घोटाले का मामला
संबंधित प्रकरण पर तत्कालीन मंडी निदेशक ने कार्रवाई के आदेश भी दिए थे, लेकिन अपर निदेशक के तबादले के बाद संयुक्त निदेशक निर्माण इंदल प्रसाद के सहयोग से पत्रावली ही दबा दी गई। चार वर्ष बीतने को है, लेकिन आज भी संयुक्त निदेशक इंदल प्रसाद भ्रष्टाचारी से जुड़ी फाइलों और पत्रावलियों को दबाए हुए हैं।
वर्ष 2020 में वाराणसी में तैनात रहे तत्कालीन उपनिदेशक निर्माण ने तत्कालीन मंडी निदेशक को संबोधित पत्र लिखा था, जिसमें अभियंताओं द्वारा भ्रष्टाचार करने का जिक्र था। तत्कालीन उपनिदेशक ने चंदौली में एग्रीकल्चरल मार्केटिंग हब, जनेश्वर मिश्र ग्रामों में साईन बोर्ड की आपूर्ति और स्थापना, संपर्क मार्गों के निर्माण आदि में अभियंताओं द्वारा भ्रष्टाचार करने का जिक्र था। बताया कि साईन बोर्ड की स्थापना किए बिना ही लाखों का भुगतान कर दिया।
हैंडपंप समिति ने लगाए थे अथवा विभाग ने स्पष्ट नहीं
हैंडपंप समिति ने लगाए थे अथवा विभाग ने स्पष्ट नहीं हुआ, लेकिन भुगतान किया गया। कुल 25 नग हैंडपंपों के सापेक्ष चार नग हैंडपंप एग्रीकल्चरल मार्केटिंग हब में लगे मिले थे। आख्या में कहा गया कि जब इस कार्य को देख रही अवर अभियंता से साइन बोर्ड एवं हैंडपंप के संबंध में पूछा गया तो अवर अभियंता ने मौखिक रूप से अवगत कराया कि समस्त हैंडपंप ठेकेदार मनोज कुमार सिंह के घर रखे हैं।
इस अनियमितता के बारे में तत्कालीन संयुक्त निदेशक निर्माण पीसी जैन को भी बताया गया लेकिन उन्होंने चुप्पी साध ली। दोषी अभियंताओं के नाम का जिक्र करते हुए सितंबर 2020 में जांच आख्या कार्रवाई हेतु तत्कालीन निदेशक को भेजी गई थी। इस दौरान तत्कालीन निदेशक ने अपर निदेशक को कार्रवाई के लिए प्रेषित किया था। लेकिन दोषी अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर मामले को दबा दिया गया।
लाल डायरी में इनमें से कई आरोपियों के नाम
अधिकारियों के तबादले के बाद प्रकरण को अग्रसारित करने की जिम्मेदारी संयुक्त निदेशक इंदल प्रसाद की थी। लेकिन इंदल ने न सिर्फ पहाड़िया मंडी के घोटाले को दबाने का प्रयास किया, इस घोटाले की पत्रावलियों को डस्टबिन में डलवा दिया। बता दें, लाल डायरी में इनमें से कई आरोपियों के नाम हैं जिन्होंने निलंबित क्लर्क मंजीत सिंह से कमीशन ले रखा है। मंजीत सिंह का कहना है कि इंदल प्रसाद न सिर्फ आरोपियों को बचा रहे हैं, बल्कि प्रत्येक हस्ताक्षर का कमीशन भी लेते थे।
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