मंडी परिषद घोटाला : टेंडर न काम, फर्जी फर्मों को कर दिया करोड़ों का भुगतान
राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के प्रयागराज संभाग में करोड़ों का घोटाला, अभी तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
Sandesh Wahak Digital Desk/Vinay Singh: मंडी परिषद के अधिकारियों द्वारा अंजाम दिया गया एक बड़ा घोटाला सामने आया है। न कोई टेंडर किया गया, न ही कोई निर्माण कार्य कराया गया। चार अलग-अलग फर्मों को करोड़ों का भुगतान कर दिया गया। खास बात यह है कि जिन फर्मों को भुगतान किया गया वह मंडी परिषद में रजिस्टर्ड भी नहीं है।
जब यह बात मंडी के उच्चाधिकारियों को पता चली तो उन्होंने पूरे मामले में पर्दा डालने का प्रयास किया। इतने बड़े घोटाले के बाद भी अब तक किसी दोषी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अलबत्ता रिटायर हो चुके एक वित्त अधिकारी का फंड आदि रोक दिया गया है। बताया जा रहा है कि इस घोटाले के बाद प्रयागराज के कुछ ठेकेदारों ने प्रकरण के बारे में निदेशक को अवगत कराया था।
लेखाधिकारी पर अपने रिश्तेदारों के खातों में भुगतान करने का आरोप
प्रकरण प्रयागराज से जुड़ा हुआ है। यहां पर उपनिदेशक निर्माण रविंद्र यादव और पूर्व वित्त अधिकारी मैकूलाल के हस्ताक्षर से भुगतान होना बताया जा रहा है। एक तथ्य यह भी सामने आया है कि भुगतान वाले चेकों पर उक्त दोनों के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर भुगतान करा लिया गया। जिस कर्मचारी ने यह भुगतान कराया उसका नाम मंजीत सिंह बताया जा रहा है और वह इस समय झांसी में तैनात है।
विगत छह महीने में एक करोड़ 40 लाख रुपए का भुगतान चार फर्मों को किया जाना पाया गया है। जबकि इससे पहले के समयों में कितना भुगतान हुआ, इसकी जांच की जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि भुगतान होने से पहले जिन प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है मसलन कैशबुक, रजिस्टर आदि पर भुगतान के एंट्री की, वह नहीं पाई गई।
डीडीसी ने स्वयं को दी क्लीनचिट आरोप लेखाधिकारी पर मढ़ा
मौके के उपनिदेशक निर्माण रविंद्र यादव मंजीत सिंह को दोषी मानते हुए वसूली की बात कर रहे हैं और अपने साथ-साथ वित्त अधिकारी को क्लीन चिट दे रहे हैं जबकि संयुक्त निदेशक निर्माण इंदल प्रसाद का कहना है कि दोषी से 80 फीसदी धनराशि जमा करा दी गई है। मंडी निदेशक प्रकरण की जांच कराने का जा रहे हैं। जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
घोटाले की सबको जानकारी, निदेशक अनजान
इस घोटाले की जानकारी मंडी परिषद के सभी अधिकारियों को है, यहां तक की फर्जी भुगतान का प्रकरण मंडी परिषद के वाट्सएप ग्रुप पर भी चल रहा है लेकिन निदेशक अंजनी कुमार सिंह अनजान बने हुए हैं। जब उनसे प्रकरण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मुझे तो जानकारी नहीं है, उपनिदेशक से प्रकरण के बारे में पूछेंगे। वहीं उपनिदेशक रविंद्र यादव ने बताया कि पूरा दोष मंजीत सिंह का है। मेरा और मैकूलाल का फर्जी हस्ताक्षर बनाकर पूरा भुगतान किया गया। मंजीत सिंह से पैसा पुन: डलवाया जा रहा है। वहीं संयुक्त निदेशक निर्माण इंदल प्रसाद ने बताया कि इन दिनों मैं गोरखपुर में तैनात हूं इसलिए यह प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं आया। हालांकि मंडी निदेशक पूरे प्रकरण की जांच किसी सक्षम अधिकारी से करा रहे हैं।
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