मंडी परिषद घोटाला : क्लर्क की ‘लाल डायरी’ में सबका लेखा-जोखा
2018 में तत्कालीन डीडीए ने मंजीत को हटाने के लिए लिखी थी चिट्ठी
Sandesh Wahak Digital Desk : राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के प्रयागराज निर्माणखंड में दो करोड़ रुपए फर्जी भुगतान कर चर्चा में आए क्लर्क मंजीत सिंह की डायरी में कई उपनिदेशक निर्माण का लेखा-जोखा है। वह आज से भ्रष्टाचार नहीं कर रहा है बल्कि 2017 से भ्रष्टाचार अनवरत जारी है।
हालात यहां तक आए कि 2018 में तैनात तत्कालीन उपनिदेशक प्रशासन ने संयुक्त निदेशक निर्माण को चिट्ठी लिख मंजीत सिंह को हटाने की मांग की थी। साथ ही शंका जाहिर की थी कि मंजीत सिंह लेखा विभाग में बिना अनुमति तैनात है, कभी भी वित्तीय नुकसान हो सकता है। बावजूद इसके तत्कालीन उपनिदेशकों ने मंजीत सिंह से काम लेना बंद नहीं किया।
किसने क्या लिया दिया, सभी विवरण डायरी में लिखा हुआ
सूत्रों के मुताबिक दो करोड़ के फर्जी भुगतान में फंसने के बाद आरोपी मंजीत सिंह ने एक अफसर से यह भी कहा कि मंडी के उच्चाधिकारी अगर मुझ पर कार्रवाई करेंगे तो सभी उपनिदेशकों, अवर अभियंताओं, ठेकेदारों और लेखा कर्मियों का लेखा जोखा सार्वजनिक कर दूंगा। किसने क्या लिया दिया, सभी विवरण डायरी में लिखा हुआ है।
जनवरी 2018 में उपनिदेशक (प्रशासन एवं विपणन) राजीव श्रीवास्तव ने संयुक्त निदेशक (निर्माण) को पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा कि कनिष्ठ सहायक मंजीत सिंह इलाहाबाद को वैकल्पिक व्यवस्था होने तक विद्युत, यांत्रिकी खंड इलाहाबाद के लेखा संबंधी कार्यों को निष्पादित किए जाने के लिए उपनिदेशक (विद्युत, यांत्रिकी) का पत्र दिनांक 19-01-2018 द्वारा किए गए अनुरोध को संस्तुति सहित अग्रसारित किया गया है।
मंजीत सिंह को लेखा संबंधी कार्य समस्त उपनिदेश निर्माण
इस विषय पर आपको अवगत कराना है कि लेखा संबंधी कार्य लिपिकीय कार्यों से भिन्न होते हैं। लेखा में वित्तीय अपाशयता निहित होती है और इसमें सरकारी धन के दुरुपयोग की संभावना बनी रहती है। अत: मंजीत सिंह लेखा संबंधी कार्य दिया जाना उचित नहीं है। बावजूद इसके मंजीत सिंह को लेखा संबंधी कार्य समस्त उपनिदेश निर्माण ने दिया।
इसमें तत्कालीन उपनिदेशक निर्माण विमलेश मिश्रा (दिवंगत), गोपाल शंकर (रिटायर), महेंद्र प्रसाद (डीडीसी मुरादाबाद, मेरठ) और रविंद्र यादव भी शामिल हैं। उपनिदेशक निर्माण रविंद्र यादव के समय मंजीत सिंह द्वारा किया गया दो करोड़ का फर्जी भुगतान सामने आया है। लेकिन बाकी उपनिदेशकों के समय की जांच नहीं हो रही है।
बताया जा रहा है कि महेंद्र प्रसाद (डीडीसी मुरादाबाद, मेरठ) की प्रयागराज में तैनाती के दौरान मंजीत सिंह से काफी नजदीकी थी। महेंद्र के समय मंजीत ने कई भ्रष्टाचार किए हैं। मंजीत महेंद्र प्रसाद का इतना करीबी था कि महेंद्र प्रसाद का झांसी तबादला होने के बाद मंजीत सिंह का तबादला झांसी करा दिया गया।
मंजीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने में देरी
मंजीत झांसी में तो खेल करता ही रहा, साथ ही वह प्रयागराज में भी पहुंचकर घोटाले करता था। मंजीत सिंह ने जिन समयों में फर्जी भुगतान प्रयागराज में किया है, उस समय उसकी तैनाती झांसी ही थी। जाहिर सी बात है कि महेंद्र प्रसाद के कार्यकाल की जांच होने पर बड़ा खेल उजागर हो सकता है। उधर, किस उपनिदेशक और अन्य अधीनस्थ अधिकारी ने क्या-क्या खेल किया है, सब मंजीत सिंह की डायरी में मौजूद है। इसकी जानकारी भी मंडी के अधिकारियों को है। इसीलिए मंजीत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने में देरी की जा रही है।
Also Read : मंडी परिषद घोटाला : टेंडर न काम, फर्जी फर्मों को कर दिया करोड़ों का भुगतान
क्या है मामला
झांसी में तैनात क्लर्क मंजीत सिंह ने प्रयागराज में बड़े खेल को अंजाम दिया था। मंजीत पर अपनी पत्नी, साले, दोस्त और स्वयं की फर्जी फर्म बनवाकर दो करोड़ रुपए फर्जी भुगतान करने का आरोप है। संदेश वाहक ने जब मामले का खुलासा किया तो निदेशक मंडी परिषद ने तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा जांच कराने का निर्देश दिया। लेकिन इतने गंभीर अपराध के बावजूद किसी भी दोषी पर कोई कार्रवाई नहीं की।
विधानसभा में उठेगा मामला
विधायक एवं सपा सरकार में पूर्व मंत्री रविदास मेल्होत्रा ने प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री से मामले की शिकायत करने के बाद गुरुवार को विभागीय मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को भी पत्र भेजा। पत्र के माध्यम से उन्होंने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने बताया आगामी होने वाले विधानसभा सत्र में यह मामला उठाया जाएगा। इतनी बड़ी घटना पर जिम्मेदार अफसर लापरवाह क्यों बने हुए हैं।
Also Read : UP: छात्रवृत्ति वितरण में एनआरएचएम से बड़ा घोटाला, CBI जल्द दर्ज करेगी केस